मां, बेटी और बेटा : तीनों को लपेटा


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किशोरीरमण टंडन, घीसालाल दरजी, और लालाराम पहलवान तीनों सेक्स के कर्मवीर खिलाडी थे. उन्हें अनुभवसे पटा लगा कि कुछ प्रौढ़ स्त्रियाँ एक अलग तरह से पुरुषों को ज्यादा मज़ा देती हैं. वे शादीशुदा होती हैं, बच्चे पैदा करती हैं और फिर इन बच्चों को सेक्स कि ट्रेनिंग देकर अच्छा ख़ासा कमाती हैं. आजकल शर्म नाम की चीज़ तो रह ही नहीं गई है. जवान लड़का मां को चोदता है, बेटी बाप से चुदवाती है, भाई सगी बहन की चूत लेता है, ससुर बहूरानी की मारता है.

पटता नहीं कैसे कर घीसालाल दरजी ने एक ४० वर्ष की मस्तानी औरत को पटाया. इस औरत के गर्भ से एक बेटी और बाद में एक बेटा पैदा हुआ. बेटी १९ साल की हो चुकी थी और बेटा १७ का. यह औरत एक तरह से कॉल गर्ल कही जा सकती थी. यही धंधा इसकी बेटी करती, और बेटा भी कामुकता की लाइन में था. बेटा १७ का होते हए भी बहुत कमसिन था. शक्ल लड़कियों से मिलती थी इसलिए उसकी मां उसे बदमस्त पुरुषों के पास भेजती थी जो इसकी गांड मार कर मज़ा लेते. बहन को भी इसका पता था और वह भी प्रौढ़ पुरुषों से गांड मरवाती. आपस में कोई शर्म नहीं थी. मां और भी खतरनाक खेल खेलती. वह अपने से बीस व तीस वर्ष बड़े व्यभिचारी व दुराचारी पुरुषों के साथ बी. डी. एस. एम का करिश्मा करती. इस खेल में कोई उसे पीटता, सताता, जलील करता और महा व्यभिचार करता. चूँकि इसमें मोटी कमाई थी इसलिए मां ये कराती थी और जरूर कराती.

धीमे धीमे यह रहस्य इसके बच्चों को भी पता लगा तो इस मां ने उनको भी इस कुत्सित कर्म में लगा दिया. मां का नाम कोंकणा सेन था और बेटी का नाम इन्दुबाला व बेटे का नाम किशोरी था. बेटा बहुत खूबसूरत, आकर्षक व सेक्सी था. वैसे इसकी बहन इन्दुबाला भी कम सेक्सी नहीं थी.

लालाराम पहलवान, किशोरीरमण टंडन और घीसाराम दरजी – इन तीनों ने एक जलसा करने की सोची. महा चुदाई का सार्वजनिक प्रदर्शन. प्रदशन देखने के लिए ४० स्कूल गर्ल्स, कालेज गर्ल्स, नवविवावाहिता स्त्रियाँ, और बच्चेवाली औरतों को भी बुलाया गया. कुल ४०का जमावड़ा. आठदस लड़के लोग भी थे और कुछ गाँव के बुड्ढे – उनके सामने यह कुत्सित खेल खेला गया. बड़ा ही गन्दा खेल था.

दर्शक लड़कों में एक १८ वर्ष का जवान पट्ठा छोकरा था उसे कहा गया कि वह पहले कोंकणा सेन की इज्जत को नंगा करे, उसे “माँ, माँ” कह कर चोदे और फिर इस मां की बेटी इन्दुबाला को भी लपेटे. इस पट्ठे लड़के का नाम लोलालाल था. यह दर असल लालाराम पहलवान का ही बेटा था. और यह लालाराम का ही हुकुम था.

लोलालाल कोंकणा सेन के पीछे लपका, उसकी गांड से चिपट बोला – “आह मम्मी, क्या मस्तानी गांड है तेरी”. कोंकणा बदमस्ती से बोली – “ये क्या कर रहा है सबके सामने?” उसके बोलने में मिठास और नखरा था, जैसे वह यही कुत्सित काम चाहती हो. लोलाराम भी बदमस्ती से बोला – “सबके सामने ही तो तेरी गांड मारने का मज़ा है, देख तेरी बेटी और तेरा बेटा भी देख रहा है, है ना?” और ये बात सच भी थी. बेटी इन्दुबाला तो बहुत घूर कर देख रही थी, अपनी मां को. जब लोलालाल कोंकणा मम्मी की गांड मार चूका तब लालाराम पहलवान कोंकणा की बेटी इन्दुबाला की गांड मारने उतरा. वो उससे बोला – इधर आ मुन्नी. फिर लालाराम ने इस मुन्नी के भाई को बुलाया और कहा कि वो अपनी सगी बहन का स्कर्ट खोल उसे नंगी करे. इसके बाद लाला उस मुन्नी बिटिया की गांड मारने लगा.

इसके बाद लालाराम ने कोंकणा के बेटे किशोरी की गांड भी मारी. किशोरी बहुत कमसिन छोकरा था. उसकी मान व बहन ने उसे नंगाकिया और उस लड़के की गांड का छेद चुअदा किया. फिर लालाराम ने बेरहमी से १७ साल के इस छोकरे की गांड मारी.

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