Meri Anterwasna Ki Kahani – होने वाले दामाद से चुद गयी

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Story Start Here :

मेरी अन्तेरवासना की कहानी में अपने होने वाले दामाद का लंड देख मेरी चूत गीली हो गयी. मैंने उससे चुदाई करवाने के लिए उसे अपने घर बुलाया और उसका लंड चूसने लगी.

यह कहानी सुनें.

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फ्रेंड्स, मैं कविता माथुर एक बार पुनः आपका अपनी सेक्स कहानी में स्वागत करती हूँ.
कहानी के पहले भाग
कुंवारी बेटी को मंगेतर से चुदती देखा
में अब तक आप पढ़ चुके थे कि मेरी बेटी अवनि शादी से पहले अपने मंगेतर के साथ सेक्स कर रही थी और उसे चुदते हुए मैंने देख लिया था. जिसको लेकर मैंने अपनी बेटी को बहुत डांटा भी था और मारा भी था. बाद में मैं खुद भी अपने होने वाले दामाद के लंड पर मोहित हो गई थी.

अब आगे मेरी अन्तेरवासना की कहानी:

राहुल का अवनि को इस तरह से चोदना, मुझे भी उसकी ओर आकर्षित कर रहा था.

अगले दिन सुबह मैं अवनि के कमरे में गई.
अवनि अभी सो रही थी, मैं उसके पास बैठी और उसके सिर पर हाथ फेरने लगी.

अवनि की नींद खुल गई और वह मुझसे लिपट कर मुझसे माफी मांगती हुई रोने लगी.
‘माँ माँ … मुझे माफ कर दो. हमें शादी से पहले ऐसा नहीं करना चाहिए था. माँ माँ मुझे माफ कर दो!’
अवनि रोती हुई बार-बार मुझसे माफी मांग रही थी.

मैंने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा- चल उठ जा. कोई बात नहीं! चल अब तुझे भी ऑफिस जाना है और मुझे भी … और शादी के अभी बहुत सारे काम है. चल उठ जा अब!

अब हम दोनों में ऐसा लगा रहा था जैसे कि कल कुछ हुआ ही न हो.

अवनि तैयार होकर अपने ऑफिस निकल गई.
पर मैंने बैंक से अपनी तबियत का बहाना बनाकर छुट्टी ले ली थी.

मेरा मन और दिमाग आज कुछ और ही शरारत करने के मूड में था.

मेरे दिल और दिमाग पर काम वासना इतनी हावी हो गयी थी कि मैं भूल गई थी कि मैं क्या करने जा रही थी!

अभी भी राहुल का लंड मेरी आंखों के सामने था.
कल जब से मैंने राहुल का वह लंड देखा था, बार बार मुझे राहुल का वह मूसल लंड ही नजर आ रहा था.

मैंने फोन उठाया और राहुल का नम्बर लगाया.

पर उसने पहली बार में मेरा फोन नहीं उठाया, शायद वह भी कल वाले वाकिये से हैरान और परेशान था.

मैंने दूसरी बार फोन मिलाया.
राहुल ने फोन उठाया और उठाते ही वह भी मुझसे माफी मांगने लगा- मम्मी जी, हमें माफ कर दो. हम दोनों जवानी के आगोश में बहक गए थे. हमें माफ कर दो.

मैंने राहुल से कहा- माफ कर दूंगी. अभी आकर मुझसे मिलो.
यह कहकर मैंने फोन काट दिया.

थोड़ी देर बाद दरवाजे की बेल बजी.
मैंने आकर दरवाजा खोला.
दरवाजे पर राहुल ही था.
मैंने राहुल को अन्दर आने के लिए बोला.

उस समय मैंने नाइटी पहनी हुई थी, जिसमें मेरा शरीर साफ साफ दिखाई दे रहा था.

मैंने नाईटी के अन्दर केवल लाल रंग की ब्रा और पैंटी ही पहनी हुई थी.

राहुल ने अन्दर आते ही मेरे पैर पकड़ लिए और अपने आप को माफ करने के लिए गिड़गिड़ाने लगा.
मैंने राहुल को उठाया और कहा- मैं तुम्हें माफ कर दूंगी लेकिन … !

राहुल- लेकिन क्या मम्मी जी?

‘तुम्हें इसकी कीमत चुकानी होगी!’
राहुल- क्या?

‘राहुल जो तुम कल अवनि के साथ कर रहे थी, वही आज मेरे साथ करो!’
राहुल- मम्मी जी आप क्या कह रही हैं. नहीं, मैं ऐसा नहीं कर सकता!

‘सोच लो राहुल, अगर मेरी बात नहीं मानोगे तो तुम्हें मुझसे और अवनि दोनों से ही हाथ धोना पड़ेगा. फैसला तुम्हारा है. अगर हां करोगे तो अवनि के साथ उसकी माँ भी सदा के लिए तुम्हारी. नहीं तो कुछ भी नहीं मिलेगा!’

एक पल रुकने के बाद मैं पुनः बोली- मैं दूसरे कमरे में जा रही हूँ. तुम फैसला ले लो. जैसा तुम निर्णय लोगे मुझे मंजूर है, पर सोच समझ कर लेना. एक तरफ जिन्दगी की जन्नत है. अवनि और उसकी माँ. दूसरी ओर कुछ नहीं. अगर तुम्हारा मन करे तो आ जाना दूसरे कमरे में, नहीं तो तुम जा सकते हो … दरवाजा खुला है.

कुछ देर बार राहुल दूसरे रूम में आ गया और मेरे कान में बोला- आपका हुकुम सर माथे मॉम!

मुझे पता था कि राहुल मना नहीं करेगा.

कल जब से मैंने राहुल को अवनि को कुतिया की तरह चोदते हुए देखा था, तब से ही न जाने क्यों मेरी चूत में आग लगी हुई थी.
मैं सब कुछ भूल गई थी … भूल गई थी कि राहुल मेरी बेटी का होने वाला पति है. राहुल मेरा दामाद है.

पर जब दिल और दिमाग पर कामुकता हावी होती है, तो इंसान सारे रिश्ते भूल जाता है.
मुझे बार-बार राहुल का लंड ही दिखाई दे रहा था.

मैंने उसे वासना भरी नजर से मुस्कुरा कर देखा.

राहुल के एटीट्यूड में मुझे अब बदलाव नजर आ रहा था. उसकी कामुक निगाहें मेरे बदन को नाप रही थीं.
उसने मुझे अपने दोनों हाथों से अपने आगोश में ले लिया और मुझे चूमने लगा.

कई सालों के लंबे इंतजार के बाद आज मुझे भी किसी पुरूष के हाथों का स्पर्श बहुत ही प्यारा लग रहा था.

मैं आज इन तेरह सालों के लंबे इंतजार को खत्म करना चाहती थी.

मुझ पर काम वासना का ऐसा नशा चढ़ गया था कि क्या सही है और क्या गलत, मैं सब कुछ भूल गई थी.
बस मुझे लंड ही लंड नजर आ रहा था.
मैं आज सालों से छुपी अपनी प्यास को बाहर निकालना चाहती थी.

मैंने भी अपने दोनों हाथों से राहुल को पकड़ लिया और उसकी छाती को, उसके मुँह को चूमने लगी. मैंने अपने जीभ राहुल के मुँह में डाल दी और उसे जबरदस्त तरीके से चूमने लगी.
दस मिनट तक मैं उसे ऐसी ही जबरदस्त तरीके से चूमती रही.

मेरे इस चूमने के तरीके से राहुल खुश हो गया और बोला- मॉम, तुम तो जबरदस्त आईटम हो यार!
मैं राहुल से बोली- राहुल, आज बस मुझे कविता बोलो. बस कविता … तुम्हारी कविता. तुम्हारे इस प्यारे लौड़े की दासी कविता. आज अगर तुमने मुझे खुश कर दिया, तो मैं तुम्हारी दासी बन जाऊंगी, फिर जब भी तुम चाहोगे, ये दासी तुम्हारी खिदमत में हाजिर हो जाएगी. जब चाहो जब चोद लेना.

राहुल- कविता मेरी जान. आज तुम जब तक खुद नहीं कहोगी. तब तक तुम्हारी इस चूत का भर्ता बनाता रहूंगा. तुमको आज इतना चोदूंगा कि तुम भूल जाओगी कि कभी किसी ने मुझे ऐसा चोदा था.

मैं- साले, कल जब से तेरा लंड देखा है. मेरी चूत तो तेरे इस लंड की दीवानी हो गयी है. आज मुझे जितना तू चोद सकता है, उतना चोद भोसड़ी के … आज मैं भी देखना चाहती हूँ तेरे इस लंड में कितनी जान है!

राहुल- हां मेरी डार्लिंग, मैं भी तुझे आज दिखाता हूं कि मेरे इस लंड में कितनी जान है. कल देख रही थी ना तू मेरे लंड की जान … तेरी बेटी की चूत का भर्ता बनाते हुए … आज तू देख साली तेरी चूत का भी भोसड़ा बना दूंगा.
मैं- साले, उस लौंडिया पर मर्दानगी दिखा रहा था. मैं देखती हूँ तेरी मर्दानगी. साले खा जाउंगी आज तेरे इस लंड को. तुझे आज इतना मजा दूंगी कि तू भी याद रखेगा अपनी इस मॉम की जवानी को!

राहुल अपने हाथ में अपने तने हुए भूरे काले मोटे लंड को लेकर बोला- लो मैं तैयार हूँ मेरी रांड, आ जा चूस साली मेरे लवड़े को!

मैं राहुल के लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी. मैं राहुल का लंड किसी रंडी की तरह चूस रही थी जैसे कोई रंडी अपने यार का लंड चूस रही हो.

राहुल मेरी इस अदा पर मस्त हो गया था.
आज तक शायद अवनि ने भी इस तरह से उसका लंड नहीं चूसा था.

मैं राहुल का लंड लॉलीपॉप की तरह चूसे जा रही थी.
सालों की वासना की आग मुझे धधका रही थी.
आज मैं वह सब कुछ करना चाहती थी, जो मैं रवि के साथ किया करती थी.

लगभग दस मिनट की चुसाई में ही राहुल का लावा निकलने का तैयार हो गया था.
राहुल ने मेरा सिर पकड़ कर कहा- ओह मॉम बस करो. मैं आने वाला हूँ … आह मॉम साली कुतिया मेरे लंड का रस खा ले!

‘आह राहुल आ जाने दो … झाड़ दो मेरे मुँह में ही … कल से ही तुम्हारे इस लावे को पीने की मेरी तमन्ना थी. अपने इस अमृत को झाड़ दो मेरे मुँह में ही!’
‘मॉम आह लो आह’ कहता हुआ 2-3 झटकों में ही राहुल का लावा मेरे मुँह में था.

रवि ने मुझे तीसरी रात को अपना वीर्य पिला दिया था.
एक दो दिन तो मुझे ये बड़ा ही अटपटा लगा था, पर फिर मुझे रवि का वीर्य पीने की आदत हो गयी थी.
रवि मेरे मुँह को चोदते हुए अपने अमृत वीर्य से भर देते थे और मैं उनका सारा वीर्य पी जाती थी.

‘राहुल आज इतने सालों बाद वह महक, वह खुशबू मुझे दुबारा तुम्हारे इस वीर्य रूपी अमृत में प्राप्त हो रही है … आह राहुल मेरी जान!’

मैं राहुल का सारा वीर्य पी गई. उसके वीर्य की एक-एक बूंद को मैं गटक गई.

उसके बाद राहुल निढाल सा होकर बिस्तर पर लेट गया.

‘राहुल क्या हुआ, अभी तो एक ही राउंड हुआ और इतने में ही तुम हार गए!’
मैंने तंज कसते हुए राहुल से कहा.

राहुल- मेरी जान अभी रूको, तुमको अभी जन्नत की सैर करवाऊंगा.

अचानक से राहुल उठा और उसने मुझे पकड़ कर बेड पर उलटा पटक दिया.
वह मेरी कमर पर चढ़ गया और मेरे सारे बदन को पागलों की भांति चूसने लगा.

मेरी गांड के छेद पर अपनी जीभ लहराता हुआ वह मेरी गांड को अपनी जीभ से चोदने लगा.
मेरे लिए ये एक नया अनुभव था.

रवि ने भी कभी मेरी गांड को ऐसे नहीं चाटा था, जैसे आज राहुल मेरी गांड के छेद को चाट रहा था.

मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था.
उसके चाटने का अंदाज बहुत ही निराला था.

मुझे अन्दर तक ऐसा लग रहा था, जैसे कोई मेरी गांड में घुस गया हो.

फिर उसने मुझे सीधा किया, अपना मुँह मेरी चूत के द्वार पर लगा दिया और मेरी चूत को अपनी जीभ से चोदने लगा.

जीभ के साथ-साथ उसने अपनी दो उंगली मेरी चूत में डाल दीं और बहुत जोर जोर से मेरी चूत को चोदने लगा.

फिर एकदम से मेरी चूत का लावा जोरदार धार के साथ उसके सारे मुँह पर आ गया.
मैं एकदम से उठी और अपनी चूत का मुँह उसके मुँह में लगा दिया.

अब मैं उसके ऊपर थी, वह मेरे नीचे … ऐसा लग रहा था कि वह नीचे से अपनी जीभ से मुझे चोद रहा है.

अब तक उसका लंड दुबारा से खड़ा हो गया था.
मैंने अपनी चूत का मुँह उसके मुँह से निकाल कर उसके लंड को पकड़ा और अपनी चूत के द्वारा पर सैट कर दिया.

मैं उससे बोली- चोद भड़वे अपनी होने वाली सास को चोद … साले बेरहम तरीके से चोद भोसड़ी वाले. आज मेरे तीनों छेदों को अपने लावे से भर दे. मेरी तेरह सालों की इस अगन को आज तू पूर कर दे राहुल. मेरे राहुल!

अब वह भी जोश में मुझे जोर से चोदे जा रहा था. वह मेरे नीचे था और मैं उसके ऊपर झूला झूल रही थी.
इतने सालों बाद ऐसा लग रहा था मानो जैसे किसी ने गर्म डंडा मेरी चूत में घुसा दिया हो.

उसके लंड की टक्कर मुझे अपनी बच्चेदानी तक महसूस हो रही थी.
इतने सालों बाद आज मुझे लंड का सुख मिल रहा था. मेरी अन्तेरवासना ठंडी होने लगी थी.

उसके लंड की मोटाई मुझे अपनी चूत की गहराई तक महसूस हो रही थी.

कुछ देर ऐसे ही चुदवाने के बाद मैंने उससे कहा- चल साले, अब मैं कुतिया बन रही हूँ. जैसे कल मेरी बेटी को चोद रहा था, ऐसे ही मुझे चोद … मुझे चोद साले निर्मम तरीके से चोद … भोसड़ी के आज मेरा बल।त्क।र कर … चोद मुझे जैसा तू चोद सकता है मादरचोद!

पता नहीं आज कहां से मुझे गाली बकने में बड़ा ही मजा आ रहा था.

मैंने राहुल से बोला- आज मुझ पर रहम मत करना. एक रंडी की तरह मुझे चोद. मुझे तू भी गाली बक साले. चोद, जितना तू चोद सकता है. मेरी ये चूत तेरह सालों से प्यासी है कुत्ते!

राहुल- साली कुतिया, तू तो बड़ी रंडी है. बहुत मजा आएगा मुझे अब तेरे साथ … दिन में तुझे चोदा करूंगा और रात को तेरी उस रांड बेटी को. मजा ही आ जाएगा कुतिया दोनों को चोदने में, साली तू तो अपनी बेटी से बड़ी रंडी है तो आज ले लंड … आज तुझे रण्डी बनाकर ही चोदता हूँ. बन साली कुतिया, तुझे तेरी बेटी की तरह चोदता हूँ छिनाल.

मुझे कुतिया बनाकर वह मेरे बालों को जोर से खींचने लगा और अपने मूसल लंड पर अपना थूक डालकर सीधे मेरी गांड में डाल दिया.

मुझे ऐसी उम्मीद नहीं थी कि वह मेरी गांड में ही लंड डाल देगा.
मुझे ऐसा लगा जैसे उसने गांड में कोई मोटी चीज फंस गई हो.

उसका लंड मेरी गांड में आधे रास्ते में ही जाकर फंस गया और मैं दर्द से बिलबिला उठी- आह उह … फाड़ दी कमीन ने!

मेरी आंखों से दर्द के मीठे मीठे आंसू आ गए. ऐसा लगा रहा था मेरी गांड की चमड़ी अन्दर से छिल गई हो.
पर उसने मुझ पर कोई दया ना दिखाते हुए फिर से अपना लंड मेरी गांड से बाहर निकाला और थोड़ा और थूक अपने लंड पर रगड़कर दुबारा से मेरी गांड में एक जोरदार धक्का मार दिया.

इस बार उसका पूरा लंड मेरी गांड के छेद में अन्दर तक घुस गया और मेरी बहुत जोरदार चीख निकल गई.

उसने अपने दोनों हाथों को मेरे कूल्हों पर रखे और बेरहम तरीके से मेरी गांड चोदने लगा.

उसके इस तरह के अप्रत्याशित धक्कों से मैं बेहाल हो गयी.
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कोई मुझे जोर जोर से पीट रहा हो.
मेरे मुँह से आवाज निकलनी बंद हो गयी. मेरी आंखों से आसुंओं की धारा बहने लगी.

ऐसा तो कभी रवि ने भी मेरे साथ नहीं किया था.
पर आज राहुल के इस लंड ने मेरी गांड अन्दर तक सुजा दी थी.

पांच मिनट तक राहुल ऐसे ही मेरी गांड को चोदता रहा और उसके बाद उसने अपना लंड मेरी गांड से निकाल कर मुझे सीधा कर दिया, फिर एकदम से मेरे मुँह में अपना लंड ठूंस दिया.

‘साली, छिनाल, कुतिया, हरामजादी ले साली मेरा लंड ले … तू ही बोल रही थी ना मुझ पर कोई दया नहीं करना, तो ले साली मेरा लंड खा मादरचोद!’

एक तो पहले ही मेरी गांड दर्द कर रही थी, ऊपर से उसने अपना मोटा लंड मेरे मुँह में अन्दर तक पेल दिया था.
मैं गुं गूँ की आवाज करती हुई अपने हाथों को पटकने लगी और छटपटाने लगी.

मुझे उस वक्त ऐसा लग रहा था, जैसे मेरी जान ही निकल जाएगी.

दोस्तो, आपको मेरी सेक्स कहानी कैसी लग रही है, प्लीज आप अनुराग जी की मेल आईडी पर अपने विचार अवश्य भेजें.
मेरी अन्तेरवासना की कहानी के अगले भाग में इस चुदाई का परिणाम भी आपको देखने मिलेगा व आपके लिए कुछ भी सवाल हैं, जिनके उत्तर आपको देना है.
[email protected]

मेरी अन्तेरवासना की कहानी का अगला भाग:

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