Hot Vasna Xxx Kahani – कामपिपासु आंटी को चोदकर तृप्ति दे दी

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Story Start Here :

हॉट वासना Xxx कहानी में मैं थोड़ा शर्मीला था. एक दिन मेरे पापा के दोस्त अपनी बीवी के साथ आये. आंटी ने वाशरूम जाना था. मैं उनको बाथरूम तक छोड़ने गया. उन्होंने मुझे अंदर बुला लिया.

दोस्तो, मेरा नाम असीम है, मैं इंदौर का रहने वाला हूँ.

उम्र 38 साल और आकर्षक चेहरा मोहरा. उम्र के अजीब से पड़ाव पर हूँ, जहां रंग, रूप, उम्र, साइज़ सब मोह माया लगती है और सच सिर्फ़ वासना.

अन्तर्वासना की सेक्स कहानियां मुझे हमेशा उत्तेजित करतीं और कई बार तो अपने लंड से पानी निकालने पर मजबूर कर देती हैं.

तो मैंने सोचा कि क्यों न आपको अपनी एक और सेक्स कहानी सुना कर आपके लंड में चुस्ती और चूत में पानी लाने की कोशिश करूँ.
बस दरख्वास्त इतनी सी है कि पानी निकले तो कमेंट्स जरूर करें.

मुझे किसी से बात करने में बहुत घबराहट होती है, हिंदी में इसे अंतर्मुखी और अंग्रेज़ी में इसे इंट्रोवर्ट होना कहते हैं.
इस वजह से घर से बाहर कहीं ज़्यादा आना जाना जल्दी नहीं करता, समझो कि ख़ुद को लॉकडाउन रखना.

यह करीब 20 साल पुरानी हॉट वासना Xxx कहानी है.

तब एक दिन कुछ यूं हुआ कि मेरे पापा के एक मित्र जो उनसे मिलने घर पर आए थे, उनसे पापा ने मुझे जबरन मिलवाया.
पापा ने उन्हें मेरी इंट्रोवर्ट वाली बात बता दी थी.

उनकी बीवी भी उनके साथ थीं, जिन्हें इत्तफ़ाक से वाशरूम जाना था और घर में मम्मी थीं नहीं.

तो पापा ने मुझे कह दिया कि आंटी को वाशरूम दिखा दो.
मैं एक झूठी सी मुस्कान चेहरे पर लिए उनके साथ चल दिया.

आंटी जो थीं, बहुत ही चुस्त कुर्ता पहने हुई थीं और नीचे उतनी ही टाइट जीन्स चिपकाई हुई थी.

उस चुस्त पोशाक में देख कर कोई भी आंटी का फिगर बता सकता था कि मोहतरमा का फिगर 38-34-40 का है.

उनका वजन लगभग 70 किलो का रहा होगा.
सांवला रंग, कद लगभग 5 फुट 2 इंच, यानि थोड़ी अजीब सी, लेकिन बदन पूरा लदा फदा हुआ था.

मैं भले ही इंट्रोवर्ट हूँ लेकिन सेक्स के प्रति उत्तेजना में मेरे अन्दर कोई कमी नहीं है.

बस आंटी का फिगर देख कर मेरे दिल में उसी तरह के ख्याल आने शुरू हो गए थे.
उनके बड़े बड़े तने हुए बूब्स और उठे हुए कूल्हे देख कर लंड हिचकोले लेने लगा था.

उन्होंने मुझसे पूछा- घर में कौन कौन है?
उनके इस सवाल से मेरा दिमाग़ उन सब ख्यालों से अचानक बाहर आया, मगर मैंने कोई जवाब नहीं दिया.

‘तुम अकेले रहना क्यों पसन्द करते हो?’
मैंने फिर कोई जवाब नहीं दिया.

फ़िर वे वाशरूम में जाकर मुझसे पूछने लगीं- मेरा एक काम कर दोगे क्या?
मैंने कहा- जी बताइए!

‘पहले अन्दर आ जाओ!’

मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ, तो मैं वहां से भाग गया.

बाद में खुद को कोसता रहा कि यूं तो तुझे बहुत गर्मी रहती है कि कहीं से कोई आंटी या भाभी या लड़की मिल जाए, कैसी भी बस चूत मिले … और वहां बात करने में भी सकपका गया.

पता नहीं उस आंटी को कोई प्रॉब्लम थी या कुछ और … मैं बस सोचता ही रहा.

फिर कुछ दिनों बाद घर पर खीर बनी थी तो पापा ने अंकल के घर देकर आने को कहा क्योंकि अंकल को खीर पसंद थी.
मेरे बहुत मना करने पर भी पापा ने मुझे ज़बरदस्ती वहां भेज दिया.

अपने अन्दर की हिम्मत जुटा कर मैं चल दिया.
हालांकि अन्दर ही अन्दर हलचल मची थी, ख़ुशी, डर और उत्साह सब कुछ एक साथ चरम पर था.

उनके घर पहुंच कर बेल बजायी.
अन्दर से ही आवाज़ आयी- दरवाज़ा खुला है, अन्दर आ जाओ!

आवाज़ आंटी की थी, मेरी दिल की धड़कन बढ़ गई थी.

मैं अन्दर गया तो लिविंग रूम में कोई नहीं था.

अन्दर बेडरूम से आवाज़ आयी- इधर आ जाओ असीम!

मैं सकपकाता सा अंदर चला गया.

वे एक झीनी सी घुटने तक वाली मैक्सी पहने लेटी हुई थीं.

बहुत ही सेक्सी और भरा हुआ बदन देख कर लंड में पुनः तनाव आने लगा.
मैं उनकी तरफ़ नज़र चुरा कर देख रहा था … और हां, आंटी के हाथ में प्लास्टर भी बंधा था.

‘आंटी ये क्या हुआ?’ मैंने पूछा.
उन्हें शायद मेरा आंटी कहना पसंद नहीं आया, इसलिए वे सीधे बोलीं- मेरा नाम अनीता है, तुम मुझे एनी भी कह सकते हो.

यह सुनकर मैं थोड़ा सा झेंप गया- आप मेरे पापा के दोस्त की पत्नी हो इसलिए आंटी …
‘तो क्या हम दोस्त नहीं बन सकते?’ उन्होंने मेरी बात काटते हुए कहा.

मैं उन्हें देखने लगा.
‘मेरी तरफ़ देखो, क्या इतनी बुरी दिखती हूं मैं कि मेरी तरफ़ देखना भी पसन्द नहीं तुम्हें?’

मैंने कहा- नहीं ऐसा नहीं है, वह मैं …’ इतना बोलते हुए मैंने एनी की तरफ़ देखा तो उनकी आंखों में आंसू थे, मुझे समझ में नहीं आया कि मैं क्या करूं!

मैं उनके पास गया और उनसे कहा- ऐसा नहीं है, आप बहुत सुंदर हो.
उन्होंने कहा- आप नहीं तू कह मुझे!
‘तू … तू बहुत सुन्दर है एनी!’ मैं हिचकिचाहट के साथ बोला.

वे यह सुनकर थोड़ा सा मुस्कुरा दीं और बोलीं- झूठ नहीं भी बोलोगे तो चलेगा!
मुझे समझ नहीं आता कि कुछ लड़कियों का जब थोड़ा सा ही वज़न बढ़ जाता है, तो उन्हें ये क्यों लगने लगता हैं कि वे सुंदर नहीं हैं. शायद ये भी कोई मनोरोग होगा इंट्रोवर्ट होने जैसा.

फ़िर उन्होंने पूछा- अब तो हम दोस्त हैं न?
मैंने कहां- हां!

उन्होंने पूछा- कितनी पक्की दोस्ती?
मैंने कहा- बिल्कुल पक्की वाली!

वे मुस्कुराईं और कहने लगीं- तो फ़िर जो भी पूछूँगी, उसका सही जवाब देना!
मैंने हां में सर हिला दिया.

‘इतना दूर क्यों खड़े हो? इधर आकर बैठो मेरे नजदीक!’
मैं उनके पास जाकर एक स्टूल पर बैठ गया.

‘मुझे अभी भी दोस्त नहीं मानते हो … है ना?’ उन्होंने कहा.
मुझे कुछ समझ नहीं आया, मैंने कहा- अभी तो कहा कि हम दोस्त हैं, वह भी पक्के वाले!

‘तो फ़िर मेरे पास आकर बैठो न!’
मैं उठने की हिम्मत नहीं जमा कर पा रहा था, यह देख कर वे ख़ुद पलंग से उठीं और मेरे सामने आ कर बैठ गईं.

फिर मुझसे बात करने के लिए आगे ऐसी झुकी कि उनके जिस्म की गोलाई जो कि मैक्सी से आधी बाहर लटक रही थीं, साफ़ और करीब दिखने लगीं.
उनकी वक्ष रेखा तो ब्रा तक नज़र आने लगी.

‘मेरी तरफ़ देखो!’
मैं नज़र उठा कर देखने लगा, उनकी आंखों में एक शरारती चमक नज़र आ रही थी.

‘मेरा इस शहर में कोई दोस्त नहीं है. मुझे फॉर्मेलिटी पसन्द नहीं है और दोस्तों में तो बिल्कुल भी नहीं … और तुम्हें दोस्त माना है तो तुमसे भी उम्मीद करती हूँ कि तुम भी नहीं करोगे.’
इतना कह कर दूसरा हाथ, जिसमें प्लास्टर नहीं था, उससे मुझे अपनी तरफ़ खींच लिया.

क्योंकि ऐसी किसी चीज़ के लिए मैं तैयार नहीं था और उन्होंने खींचा भी इतनी ज़ोर से था कि मैं उनके प्लास्टर वाले हाथ से टकराते हुए उन पर गिर गया.
उन्हें दर्द तो हुआ मगर उन्होंने अपने माथे पर एक सिलवट को भी नहीं आने दिया.

मैं उठ कर बैठा और उल्टा सॉरी सॉरी बोलने लगा.

‘कोई बात नहीं!’ वे बोलीं.
‘दर्द तो नहीं हुआ?’
‘बिल्कुल नहीं.’ यह कहकर आंटी थोड़ा सा मुस्कुरा दीं.

पता नहीं क्यों, लेकिन अब तक मेरी झिझक अपने आप दूर हो गई.
‘एनी, ये बताओ कि ये हाथ में क्या हुआ?’
उन्होंने कहा- एक शर्त पर बताऊंगी!’

‘कैसी शर्त?’
‘जाने दो, तुमसे नहीं हो पाएगा!’
‘बोल तो सही!’

‘मुझे टॉयलेट जाना है और हाथ में प्लास्टर की वजह से मैं …’ कहकर वे चुप हो गईं.
मैंने कहा- हां चलो न!

यह सुनते ही उनके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान आ गयी.
‘तुम आगे चलो.’ उन्होंने कहा.

हम दोनों टॉयलेट में अन्दर गए, जो ज़्यादा बड़ा नहीं था.
उन्होंने मेरी तरफ देखा और कहा- मेरी पैंटी उतार दो प्लीज़!

मैं आगे बढ़ गया और उनकी ड्रेस ऊपर करके उनके एक हाथ में पकड़ा दी, फिर दोनों हाथों से उनकी पैंटी नीचे खींची, जो कि टाइट इतनी थी कि उतारने से पहले ही उनकी चूत का w वाला आकार दिख रहा था और उस पर कुछ गीलापन भी था.

उनकी पैंटी पकड़ कर खींचने में ही मैं पसीना पसीना हो रहा था.
जीवन में पहली चूत के दर्शन … वे भी इतने करीब से!

मेरा पसीना देख कर वे कहने लगीं- इतनी टाइट पैंटी भी नहीं थी कि उतारने में पसीना आ जाए!
उनकी बात सुन कर मैं मुस्कुरा दिया.

वे टॉयलेट सीट पर बैठीं और मेरे सामने ही पेशाब करने लगीं.

पहली बार मैंने किसी लड़की को मूतते हुए देखा था.
उनकी जांघें भरी हुई थीं और उन्होंने भी ये देखा कि मैं उनकी चूत व टांगें ही देख रहा हूँ.

वे पेशाब करके उठीं और एक बार फ़िर से उनकी चूत मेरे सामने थी.

मैं पसीने पसीने हुआ जा रहा था.
‘वापस तो पहना दे!’ उन्होंने वासना भरी आवाज में कहा.

मैं आगे बढ़ा और उन्हें पैंटी पहनाने लगा.
वे आगे को झुकी हुई थीं तो उनके बूब्स मेरे सर को छू रहे थे.

मैं जानबूझ कर पैंटी चढ़ाने में जितना टाइम लगा सकता था, लगाने लगा.
चढ़ाने के बाद हम दोनों बाहर आ गए.

मैं ख़ुद को कोसने लगा कि कम से कम छू ही लेता चूत को … पर हां सूंघ तो ली थी … और जो आई उसे खुशबू तो नहीं कहेंगे … पर चुत की महक में एक उत्तेजना होती है, जो उस बू को खुशबू कहने को मजबूर कर देता है.

हम दोनों बाहर आए और उन्होंने कहा- खीर फ्रिज में रख दो क्योंकि मेरे लिए यह थोड़ा मुश्किल होगा.
मैंने वही किया.

‘अब मैं चलता हूँ.’ मैंने कहा.
‘किसी गर्लफ्रेंड से मिलना है क्या?’ उन्होंने पूछा.

‘तुम्हारे सिवाय कहां कोई फ्रेंड है मेरी!’
यह सुनकर वे हंसने लगीं.

मैं सच में उनके साथ काफ़ी कम्फ़र्टेबल फ़ील करने लगा था.
‘हां पता है मिस्टर इंट्रोवर्ट … कहीं नहीं जा रहे तुम, बैठो मेरे पास!’

किसी होनहार बच्चे की तरह मैं उनकी बात मान इस बार सीधे उनसे चिपक कर बैठ गया.
दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे.

मैं नज़रें नीची करके मुस्कुरा भी रहा था.

उन्होंने मेरी ठोड़ी पकड़ कर चेहरा अपनी तरफ़ किया, थोड़ी देर हम दोनों एक दूसरे की आंखों में देखते रहे.
फिर पता ही नहीं चला कि कब उनके होंठ मेरे होंठों से मिल गए.

उनके नर्म और गर्म होंठ मेरे होंठों को ऐसे चूस रहे थे मानो कोई बर्फ़ की चुस्की हो.

फ़िर उन्होंने अपने दांतों से मेरे होंठों को दबाया, तो मीठा सा दर्द हुआ … मगर उसकी वजह से ही मुझमें हिम्मत आयी और मैंने उन्हें कसके अपनी बांहों में जकड़ लिया.

फिर उन्होंने मेरा एक हाथ पकड़ा और अपने एक बूब पर रख दिया.
मुझे अटपटा लगा, तो उन्होंने अपना हाथ हटा लिया.

उनका हाथ हटते ही मैंने भी अपना हाथ हटा दिया.
उन्होंने धीरे से मेरे गाल पर चपत लगाई और फ़िर से अपने बूब पर हाथ रखवा दिया.

इस बार मेरा हाथ उनके बूब को दबाने लगा था.
कमीनी आंटी यह देख कर मुस्कुराने लगी थीं.

उन्होंने मेरा दूसरा हाथ भी अपने दूसरे बूब पर रखवा दिया, अब उनके दोनों ही दूध मेरे हाथों में थे.

उनके दूध इतने बड़े थे कि मेरे हाथ में समा ही नहीं रहे थे.
फ़िर मेरी जिज्ञासा ने मेरे डर पर विजय पा ली और मैं उनके मम्मों को अपने हाथों से दबाने लगा.

वे अपनी आंखें बंद करके बैठ गयी थीं, मानो उनकी ओर से यह इशारा हो कि जो मर्ज़ी, कर लो.

थोड़ी देर तक कपड़ों के ऊपर से ही दूध सहलवाने के बाद उन्होंने मादकता भरी सख्ती से कहा- नंगी कर दे मुझे!

अब तक मेरी शर्म ज़्यादातर जा चुकी थी तो मैंने आव देखा न ताव, सीधे उनकी मैक्सी उतार दी.
अब वे सिर्फ ब्रा, पैंटी और प्लास्टर में थीं.

मैंने उनकी ब्रा खोलने की कोशिश की, लेकिन मैं खोल ही नहीं पा रहा था.
‘क्या हुआ डियर?’ उन्होंने इठला कर पूछा!

‘कुछ नहीं!’ मैंने कहा.
‘सामने दराज़ में से कैंची निकाल कर ला और काट दे इसे!’ उन्होंने कहा.

‘नहीं, मैं खोल लूंगा.’ कह कर मैंने पूरी इच्छा शक्ति उनकी ब्रा को खोलने में लगा दी.
कुछ देर के प्रयास के बाद मैंने ब्रा के दोनों हुक खोल दिए.

खुद में ऐसा लगा कि इस बात के लिए मुझे अलग से इनाम मिलना चाहिए.

सामने का नज़ारा देख कर मैं पसीना पसीना हो गया था. दो गदराए हुए भारी भरकम पेड़ पर लटकते हुए पपीते मेरे सामने मुझे ललचा रहे थे.

मैंने उन्हें अपने दोनों हाथों से दबोच लिया और इतनी कसके दबाए कि आंटी की आह निकलने लगी.
फिर मैं एक चूची मुँह में भरने लगा, दूसरी को एक हाथ से सहला रहा था.

वे बस मुझे अपने सीने से चिपकाए जा रही थीं.
उनकी चूची मुँह में भर के मैंने धीरे धीरे चूसना शुरू कर दी.

वे Xxx वासना से कामुक सिसकारियां भरने लगीं और धीरे से मेरे कान में बोलीं- मुँह में दांत नहीं हैं क्या?
मैं समझ गया और कर दिया हमला दांतों से उनकी नर्म मुलायम चूचियों पर!

बहुत ज़्यादा सहन शक्ति थी उनमें … मैंने इतनी जोर से दांत गड़ाए थे कि उन्होंने अपने दोनों हाथ नीचे टिका कर बिस्तर की चादर को भींच लिया, मगर मुझे रोका नहीं.

मुझे भी मज़ा आने लगा.
मैं एक एक करके दोनों चूचियों पर दांत गड़ाने लगा. वे कसमसाती रहीं.

फिर थोड़ी देर बाद मैंने एक हाथ उनकी चड्डी में डाल दिया.
अब एक हाथ चूची पर और एक चूची मुँह में.

चड्डी में हाथ डालते ही मेरा हाथ भी गीला हो गया, उनके चिपचिपे माल में सन गया था.

मैंने झट से अपना हाथ बाहर निकाला और कुछ सोचने लगा था कि उन्होंने अपनी वही मैक्सी देकर बोल दिया कि इसी में पौंछ लो!

मैंने पौंछा और फिर से हाथ डालने के बजाए उनकी चड्डी उतारने का सोचा.
मैंने आंटी से कहा- अपनी चूत दिखाओ!

उन्होंने कहा- सब तेरा है, ख़ुद ही देख ले!
मैंने आंटी की चड्डी उतारी, तो देखा कि अपनी चूत उन्होंने साफ़ कर रखी थी.

मुझे हल्की सी बदबू सी लग रही थी, मगर वही बात कि उत्तेजना, हॉट वासना में बदबू भूल गया था.

मैंने उनसे पूछा- ये बू कैसी!
तो वे हंसने लगीं और बोलीं- पागल … ये चूत की खुशबू है, ऐसी ही होती है.

अपने एक हाथ से मेरा मुँह, जो उनकी चूत को देख रहा था, उस पर चिपका दिया.

पहले थोड़ी सी झिझक हुई, मगर फिर सोचा कि अब तो मुँह दे ही दिया तो घबराने का कोई मतलब नहीं.

मैंने चुत चाटना शुरू कर दिया और अपनी जीभ से चूत के कोने कोने को खंगालने लगा.
वे बैचैनी में बड़बड़ाने लगीं- आह्ह … आज तो मैं मर भी जाऊं तो भी गम नहीं … तू पहले क्यों नहीं मिला मुझे हरामी … आह जो तू कर रहा है आह बस करता रह … आह साले रुकना मत वर्ना जान से मार डालूंगी!

उनकी इस कामुक बात ने मुझे और जोश दिला दिया.
मैं और ज़्यादा भिड़ कर चुत चुसाई करने लगा.

उनकी उत्तेजना चरम पर पहुंच गई और थोड़ी ही देर में वे झड़ कर निढाल हो गईं.

फिर मैंने आंटी के चेहरे की तरफ़ देखा.
जीवन में पहली बार देखा कि किसी औरत के चेहरे पर संतुष्टि कैसी दिखती है.

वे मेरे सामने पूरी नंगी लेटी हुई थीं.
मेरे देखने के बाद वे उठ कर बैठीं और अपने एक हाथ से मेरी पैंट की बेल्ट खोलने लगीं.

काफ़ी कोशिश के बाद आंटी को कामयाबी हासिल हुई.
उन्होंने मेरी तरफ़ देखा और मुस्कुराने लगीं.

बेल्ट के बाद बटन भी खोला, उसके बाद ज़िप और एक झटके में पैंट नीचे उतार दी.

आंटी ने देखा कि मेरी चड्डी पर भी ढेर सारे दाग बने थे.
उन्होंने चड्डी उतारी और चिकनाई में सना हुआ लंड बिना पौंछे ही मुँह में भर लिया.

उनके मुँह की गर्मी, थूक की नमी और जीभ की नर्मी, तीनों मेरे लंड पर मुझे एक साथ महसूस हो रही थीं.

फिर उन्होंने मेरे लौड़े को मुँह के अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.

मेरे लंड की चिकनाई और उनके मुँह की लार का धीरे धीरे झाग बनकर आस-पास फैलने लगा.
मेरा लंड एकदम कड़क और कड़क होता चला गया.

फिर वे उठीं और मुझे बिस्तर पर लेटा दिया.
मेरे लेटते ही वे उछल कर मुझ पर चढ़ बैठीं और अपनी चूची मेरे मुँह में दे मारी.

मैं फिर से उन्हें चाटने, चूसने और काटने लगा.
वे फिर से गर्मा गईं और बिना देर किए मेरे लौड़े पर सवार हो गईं.

शुरू में थोड़ा सा लंड अन्दर किया और आह आह करती हुई धीरे धीरे चूत के अन्दर कर लिया.

लंड को चूत में अन्दर बाहर करने के बाद उन्होंने धीरे धीरे रफ्तार बढ़ा दी.

तब लंड की चूत में फच फच की आवाज … और चूतड़ के साथ मेरी जांघें टकराने की पट पट की आवाज़ आने लगीं.

मेरे लौड़े को चुत की गर्मी का अहसास हो रहा था.
मुँह और चूत का भी फर्क समझ में आ गया था.

चूत की गर्मी और नर्मी में थोड़ी देर तक गोता लगाने के बाद कमरे में फच फच की आवाज भर गई थी.

आंटी की कामुक सिसकारियां और मेरी जोर जोर की सांसें भी कमरे के माहौल को सेक्सी कर रही थीं.

जब वे मेरे लौड़े को अपनी चूत में जड़ तक भरने लगीं, तो मैं सोचने लगा कि क्या मेरा लंड आंटी की नाभि तक जा रहा होगा?
क्योंकि आंटी की हाईट भी कम थी.

कुछ मिनट बाद मुझे महसूस हुआ कि मेरे अन्दर कोई ज्वालामुखी फटने वाला है.
मैंने अपने सफ़ेद वीर्य की पिचकारियां उनकी चूत में ही छोड़ दीं.

इतना ज़्यादा रस निकला कि चूत से बाहर भी छलक कर आ रहा था.

आंटी भी निढाल हो गईं और वे मुझ पर ढेर होकर गिर पड़ीं.
उनका वज़न काफ़ी था, मगर पहली बार के उत्साह में इस सबसे किसे फर्क पड़ता है.

जब आंटी की थोड़ी हिम्मत बनी तो वे मेरे सीने से उठ कर साइड में लेट गईं.

जब वे उठीं तो हर जगह चिपचिपा हुआ था.
नीचे हम दोनों की जांघों पर भी रस लगा था, कुछ कुछ तो बिस्तर भी सना हुआ था.

मैंने मज़ाक में आंटी से कहा कि ये चादर मुझे दे देना!
वे मुस्कुरा दीं और कहने लगीं- बहुत दिनों बाद ये अहसास मिला है.
मैंने पूछा- बहुत दिनो बाद क्यों?

वे समझ गईं और बोलीं- हां, ये अहसास तो पहली बार ही हुआ है, बस इस बार जितनी तृप्ति आज से पहले कभी नहीं हुई, ज़िंदगी में अब मेरे लिए कोई सबसे अच्छा दोस्त हैं तो वह तुम हो.

मैं मंद मंद मुस्कान के साथ उठा और फिर हम दोनों एक साथ बाथरूम में गए.
मैंने पहले खुद को, फिर उनके निचले हिस्से को धोया.

चूत धोते धोते ही मेरे लंड ने अपनी औकात दिखानी शुरू कर दी.

आप लोगों ने सही सोचा कि उसके बाद अन्दर क्या हुआ होगा!

तो दोस्तो, ये हॉट वासना Xxx कहानी आपको कैसी लगी … ज़रूर बताएं.
इस बार भी आप लोगों की प्रतिक्रियाओं का इंतज़ार रहेगा.
धन्यवाद.
[email protected]

मेरी पिछली कहानी थी: आखिर मामी ने चूत चोद लेने दी

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I am the story writer for this story. How dare you post my story without my permission.
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I am a story writer for நண்பன் மாமியாரின் சொந்தக்காரி.
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agentxxx
Hey author u want me to write stories in your site. ping directly hope u have my mail..
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agentxxx
Hi, This is my story. why did u copy others with out permission.
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Romie
love this. I have to remake this on glambase
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Aran
love this. i'm gonna recreate it on glambase
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Maruthu
Hi girls iruntha vanga மூடா இருக்கேன்
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Aran
Now im inspired for when i go on glambase later
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this inspired me for glambase later
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Kamaveri Paiyan
அவள் புண்டையை பார்த்தேன். எனக்கும் இன்னும் மூடு ஏறியது.
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Romeo
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Mona
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