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Story Start Here :
Xxx वर्जिन ब्राइड सेक्स कहानी में मेरे ससुर और उनके भाई मेरे बेडरूम में थे. मुझे नंगी करके वे मुझे सेक्स का मजा लेना सिखा रहे थे. मेरी कुंवारी चूत में उंगली डाल रहे थे.
कहानी के चतुर्थ भाग
हनीमून पर मेरे बेडरूम में ससुर और उनके भाई
में आपने पढ़ा कि मैं पति के साथ हनीमून पर गयी तो वहां मेरे पति ने फिर से मेरे मुंह में लंड घुसाना चाहा पर मैं इसे सह ना पाई और मैंने लंड मुंह से निकाल दिया. इससे मेरा पति नाराज होकर चला गया.
इन्तजार के बाद मैंने अपनी जेठानी को फोन करके बताया.
तब देखा कि मेरे सब रिश्तेदार जैसे ससुर, उनके भाई, फूफा जी, जेठानी वहीं पर थे, मेरी चूत की पहली चुदाई की बातें कर रहे थे.
मेरे ससुर ने मेरी पहली चुदाई का जिम्मा लिया.
मैंने नज़रें झुका के हामी दी और ससुर जी मुझे बिस्तर तक ले गए.
यह कहानी सुनें.
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अब आगे Xxx वर्जिन ब्राइड सेक्स कहानी:
ससुर जी ने मेरे पैरों की उंगलियां मुंह में ले ली और चूसने लगे, उनके हाथ, मेरी चिकनी टांगों को सहला रहे थे।
ताऊजी पीछे खड़े हुए बोले- बहू, अगर कुछ अच्छा ना लगे तो कहना लाल या रेड … यह तुम्हारा सेफ वर्ड है … जैसे ही बोलोगी, रुक जाएगा सब. अगर लगे कि सह सकती हो, तो शब्द इस्तेमाल मत करना, ये शब्द केवल तभी इस्तेमाल करना जब लगे अब सहन नहीं होगा.
मैंने पूछा- और अगर बोलने की हालत में ना हूं तो, जैसे चिराग के साथ हुआ था?
ताऊ जी- तो हाथ उठा कर रुकने का इशारा करना।
अब मेरी घबराहट थोड़ी कम हुई.
ससुर जी मेरी टांगें सहलाते हुए मेरी जांघों तक पहुंच गए थे.
उन्होंने मेरी चिकनी चूत पर अपना हाथ हल्के से फिराया तो जैसे पूरे बदन में करेंट सा दौड़ गया … ऐसा कभी चिराग के साथ महसूस नहीं हुआ.
शायद इसे ही परिपक्वता और तजुर्बा कहते हैं।
ससुर जी- बहू, अब मैं तुम्हारी योनि में उंगली डालूंगा … ताकि उसका द्वार थोड़ा बड़ा हो जाए और तुम्हें कम पीड़ा हो. पहले एक उंगली डालूंगा … तुम बताना कि कैसा महसूस कर रही हो.
मैं- जी पापा जी!
मेरे ससुर ने मेरी चूत में अपनी उंगली घुसा दी.
मैं- आह … उम … आआ आह!
मुझे हल्का दर्द तो हुआ पर अच्छा भी लगा.
ससुर जी उंगली तेजी से अंदर बाहर करने लगे … मेरी आहें भी तेज होने लगी … ताऊ जी मेरे सिरहाने आ कर बैठ गए.… और मेरे सिर पर हाथ फेरने लगे.
चाचा जी और फूफा जी भी पास ही खड़े थे.
ससुरजी- बहू, अब मैं दो उंगली घुसा रहा हूं … जरा सम्भल के!
मेरे ससुर जी के हाथ मजबूत और बड़े थे.
दूसरी उंगली डालते ही मेरी चीख निकल गई- पापाजी … आआ आई … आआ आआ … लाल लाल!
मेरा सेफ वर्ड सुनते ही पापा जी दो उंगली मेरी चूत के भीतर फंसाए हुए रुक गए.
मुझे अभी भी दर्द हो रहा था.
ताऊ जी मेरे सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए- देखा बहू, तुमने लाल बोला और सब रुक गया … रिलेक्स … अपने आपको ढीला छोड़ दो.
मेरी सांस फूल गई थी और मैं गहरी गहरी सांसें ले रही थी.
कुछ देर रुकने के बाद मेरा दर्द कुछ कम हुआ.
मैंने ससुरजी की को इशारा किया- पापा जी, मैं अब ठीक हूं.
ससुरजी ने दोनों उंगलियां बाहर निकाली और फिर अंदर डाल दी.
“आह … पापाजी … चिराग ऐसे क्यों नहीं करते … आह … अम्मम!”
अब दर्द कम हो रहा था … मुझे मज़ा आने लगा था.
ससुरजी- करेगा, वो भी तुम्हारे योनि द्वार को अपने लिंग के मुताबिक खोलेगा.
तभी ससुरजी अपने हाथ की गति बढ़ाने लगे.
उन्होंने मेरी भगनासा पर अपने होंठ रख दिए और उंगलियां करते हुए मेरा दाना चूसने लगे.
“आह … पापा जी … आह … आह … आआ आह आआ आह … पापा जी करते रहिए जो कर रहे हैं!” मैं वासना में बड़बड़ाने लगी, अपने स्तन पकड़ के दबाने लगी, निचोड़ने लगी.
ताऊ जी ने फूफा और चाचा को कहा- बहू की मदद करो छाती पर!
पलंग के दोनों ओर से चाचा और फूफा आ गए मेरे हाथ मेरी चूचियों से अलग कर मेरी चूचियां दबाने और मरोड़ने लगे.
फूफा तो पहले ही मेरी चूचियां चख चुके थे पर जैसे ही चाचा ने मेरी सख्त संतरों सी चूचियां दबोची, उनका तो लंड जैसे फुफकारने लगा … उन्होंने मेरा हाथ अपनी पैन्ट पर लगा दिया.
दोनों ने कुछ ही देर में मेरे संतरों से दूध मसल मसल कर सेब जैसे लाल कर दिए.
फूफा और चाचा मिल कर मेरे चूचुक मरोड़ मरोड़ के खींच रहे थे.
ताऊजी ने दोनों को डांटते हुए कहा- मनहूसो, दूध चूसो बहू के!
मैं सिसकारियां भर रही थी- आह … आआ आह … ऊं आह … सी!
मेरे होंठ सूख गए थे.
मेरा जिस्म दोनों ओर से होता इतना मर्दन सहन नहीं कर पाया … मेरी टांगें कांपने लगी … पेट में मरोड़ सी पड़ने लगी … चूत फड़कने लगी … जांघें हिलने लगी … मैं अपने पैर बिस्तर पर पटकने लगी.
ताऊ जी- छोटे, जो कर रहा है करता रह, झड़ने वाली है बहू!
फूफा, चाचा और ससुर जी ने मिलकर मुझे मेरे पहले स्खलन से अवगत कराया.
मैं पापा जी की दो उंगलियों में झड़ गई.
मेरे झड़ते ही तीनों ने मेरे बदन से हाथ हटा लिए.
ताऊजी- कैसा लगा बहू?
मैं- ताऊजी, क्या इसे ही सेक्स / सहवास / संभोग कहते हैं?
ताऊ जी मेरी नादानी और भोलेपन पर मुस्कुरा दिए.
ससुरजी बोले- बहू, संभोग तक तो अभी पहुंचे भी नहीं … इसे फोरप्ले कहते हैं … इसे संभोग से पहले किया जाता है, और मैंने जो तुम्हारी भगनासा को चूसा, उसे मुखमैथुन कहते हैं. इसीलिए चिराग भी तुमसे मुखमैथुन चाहता था, ताकि संभोग की प्रक्रिया कर सके.
Xxx वर्जिन ब्राइड सेक्स की बात अब मेरे कुछ पल्ले पड़ने लगी … मुझे अहसास हुआ कि मैं तो सेक्स का स तक नहीं जानती.
इसलिए चिराग को वापस पाने के लिए इन चारों के साथ ये ज्ञान क्रिया जारी रखनी होगी.
मैं तब यह नहीं जानती थी कि छोटी बहू होने के नाते घर में मुझसे बड़े हर मर्द को पहले मेरे योनि द्वार में प्रवेश करना होगा, तभी चिराग को मौका मिलेगा।
ताऊ जी- अब तुम थोड़ा आराम करो … ढेर सारा पानी पीओ, कुछ खाओगी?
मैं- जी, सुबह से चिराग के लिए भूखी प्यासी थी.
ताऊ जी- ठीक है, तुम रूम सर्विस से कुछ ऑर्डर कर लो जो पसंद हो … हम थोड़ी देर में आते हैं.
बहुत भूख लगी थी, मैंने खाना ऑर्डर किया.
चारों के जाने के 15 मिनट बाद खाना आ गया।
खाना खाकर मैं रात के अंधेरे में नंगी होकर कमरे के साथ बने पूल में नहाने चली गई.
बहुत अच्छा लग रहा था, जैसे बदन की सारी गांठे खुल गई थी।
कुछ देर में चारों वापिस आ गए.
मुझे बिस्तर पर ना पाकर उन्होंने मुझे आवाज लगाई.
ससुरजी- बहू, कहां हो, बाथरूम में हो क्या?
मैंने पूल से जवाब दिया- पापा जी इधर, पानी में!
चारों पूल के पास आ गए और मुझे नंगी नहाते देखा तो उन्होंने भी अपने कपड़े निकाल दिए और मेरे साथ पूल में आ गए।
वे अपने साथ शराब ले कर आए थे.
फूफा जी सबके लिए पेग बनाने लगे- बहू, तुम लोगी थोड़ी?
मुझे बड़ों के साथ पीने में थोड़ी हिचक महसूस हुई, फिर मैंने सोचा, बड़ों के साथ संभोग कर सकती हूं, तो पीना तो बहुत छोटी से बात है.
मैं- जी फूफा जी, मेरे लिए भी हल्का वाला एक बना दीजिए, मैं भी ट्राई कर लेती हूं आप सभी के साथ!
सभी मर्द डबल पी रहे थे पटियाला पेग.
मैं ससुरजी और ताऊजी के बीच पूल में बैठी थी, चाचा और फूफा, पूल में सामने की ओर थे.
सभी अपनी अपनी चुदाई की कहानियां बताने लगे.
तब मुझे पता चला कि भाभी की सील ताऊजी ने खोली थी … और उसके बाद ससुरजी, चाचा, फूफा, सभी ने मिलकर भाभी को अशोक भैया के लिए तैयार किया.
सुधा भाभी, जिनका तलाक का केस सूरज भैया के साथ कोर्ट में था, उनकी सील भी ससुरजी ने खोलने की योजना बनाई थी, ताऊजी, फूफा जी, चाचा जी और अशोक मिलकर सुधा को तैयार करने में शामिल थे.
ससुरजी- सुधा बदचलन थी, उसके शादी से पहले से कई संबंध थे. इसलिए जब मैंने और भाई साहब ने उसकी सील खोलकर उसे तैयार करना चाहा तो उसने मना कर दिया … उसे इस शादी का कोई मोल नहीं था, वह यौनसुख पहले से बाहर के लोगों के साथ भोग रही थी, भगवान भला करे अगर वह मां बनती तो जाने किसका बच्चा हमारे सिर मढ़ देती।
फूफा जी बोले- वह सूरज को धोखा दे रही थी।
मेरे हाथ में दूसरा पेग था … मुझे शराब चढ़ने लगी थी.
तभी मुझे अपनी योनि पर एक हाथ महसूस हुआ.
ताऊजी और ससुरजी दोनों ही मेरी तरफ गौर से देख रहे थे
हाथ ससुरजी का था, उन्होंने मेरी चूत को हथेली में पकड़ लिया.
ताऊ जी ने मेरा चेहरा अपनी तरफ किया और मेरे अधरों से अधर मिला दिए.
उधर ससुरजी ने भी मेरी चूत पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली.
फूफा जी और चाचा जी भी करीब आ गए, दोनों ने अपने अपने लंड मेरे दोनों हाथों में दे दिए और मेरा हाथ पकड़ कर आगे पीछे करने लगे.
ताऊजी ने अपने ग्लास से एक लंबा घूंट व्हीस्की का लिया और मुझे चुम्बन देते हुए मुझे पिला दिया.
चाचा और फूफा लंड हिलवाते हुए मेरी चूचियां मसलने लगे.
उनके लंड देख कर लगा कि चाची और बुआ दोनों ही बिस्तर पर जन्नत की सैर करती होंगी।
चाचा जी का लंड मोटा और कड़क था, तकरीबन 5.5 इंच का होगा.
और फूफा जी का लंड भी कुछ कम नहीं था … लगभग 6 इंच का रहा होगा … तन्नाया हुआ जैसे काले नाग सा … सुपाड़े की ओर से मोटा, किसी की भी चूत को चीरने लायक और जड़ से पतला.
मैंने चुम्बन तोड़ा और ससुरजी की तरफ देख कर कहा- पापा जी, मैं संभोग के अगले पाठ के लिए तैयार हूं.
ससुरजी- मैं जानता हूं बहू … पर पाठ तब शुरू होगा जब गुरु कहेगा। और यहां हम सबके गुरुजी हैं बड़े भाई साहब.
ताऊजी ने वापिस मेरा मुंह अपनी तरफ कर, मेरे होंठों को अपने होंठों में दबा लिया और मेरे होंठ चूसने लगे।
मैं भी उनका साथ देने लगी.
अपने दो हाथों में लंड हिलाते हुए मैं ताऊ जी के अधरों से अधर मिला रही थी।
मेरी चूचियां मेरे से दोगुनी उम्र के दो मर्द मसल रहे थे और एक अधेड़ उम्र का आदमी अपनी हथेली से मेरी चूत भींचे बैठा था।
ताऊ जी ने मेरी चूत पर रखे ससुरजी के हाथ पर हाथ रख दिया।
इशारा पाकर ससुर जी ने अपना हाथ हटा लिया और ताऊ जी मेरी चूत में उंगली करने लगे.
ससुर जी ने मेरी टांगें खोल दी ताकि ताऊ जी अच्छे से मेरी जवानी का रस महसूस कर सकें.
ससुरजी की तरह उन्होंने भी मेरी चूत में दो उंगली डाल दी.
तब मेरे मुंह से आह … निकल गई.
मेरे और ताऊजी में होता गहरा चुम्बन टूट गया.
ससुरजी ने मेरा चेहरा अपनी तरफ किया और ताऊ जी का अधूरा चुम्बन अपने होंठों से पूरा करने लगे.
मेरे होंठों को ससुरजी ने अपने होंठों में दबाया और चूसते हुए खींचने लगे.
ताऊ जी के हाथों की रफ्तार तेज होने लगी … पूल का पानी भी खलबलाने लगा … उन्होंने भीगी चूत में से अपनी दोनों उंगलियां निकाली और मेरे चूत से निकले चिपचिपे रस को ससुरजी को दिखाने लगे.
तब ताऊ जी ने अपना शराब का घूंट भरते हुए कहा- बहू अब आगे के पाठ के लिए तैयार है … इसे अंदर ले जाओ.
ससुरजी, फूफा जी और चाचा जी ने मुझे मिलकर खड़ा किया, मुझ पर एक टॉवेल लपेट कर अपने साथ अंदर ले गए.
कुछ देर में ताऊ जी भी आ गए.
ससुरजी ने मुझे बिस्तर के कोने पर बिठाया और धीरे धीरे मेरा तौलिया खोल दिया … मुझे नंगी कर वो उसी तौलिया से मेरे गीले बाल पौंछने लगे।
वे मेरे सामने नंगे खड़े थे, उनका मोटा सांड जैसा लौड़ा, अकड़ के हवा में सलामी दे रहा था।
तकरीबन 6.5 इंच लंबा और 4 इंच मोटा लंड था उनका.
गहरे भूरे रंग के लौड़े पे गुलाबी टोपी थी और झिल्ली पीछे की हुई थी.
ससुरजी मुझे मुखमैथुन के पाठ पढ़ाने लगे- बहू, इसे अब धीरे धीरे मुंह में लो … इस पर जीभ फिराओ … कुल्फी जैसे चूसती हो वैसे.
मैंने उनके कहे अनुसार ही किया.
ससुरजी- अब इस पर अपनी जीभ को गोल गोल घुमाओ और जीभ घुमाते घुमाते होंठों के बीच भर लो. जीभ गोल गोल चलती रहनी चाहिए.
मेरे ससुरजी एक कुशल अध्यापक थे.
मैंने उनके कहे अनुसार उनके लंड का टोपा अपने होंठों के बीच दबा लिया और उस पर अपनी जीभ गोल गोल घुमाने लगी.
उनका लंड बहुत मोटा होने के कारण कुछ देर में मेरे जबड़े में दर्द होने लगा.
मैंने हाथ से रुकने का इशारा किया.
ससुरजी रुक गए.
ताऊ जी- बहू रुकने से मर्द का लंड शिथिल पड़ सकता है, ऐसे में तुम्हें हर वो क्रिया करनी होगी जिससे लंड मुरझाए नहीं … लगे कि मुंह थक गया है तो मुंह से बाहर निकाल के लम्बाई भी चाट सकती हो, नीचे के अंडकोष भी मुंह में भर के चूस सकती हो. और जांघों पर चुंबनों से भी उत्तेजना बनी रहती है … लंड को चूचियों में दबा कर मसल सकती हो, हाथों से हिलाते हुए चाट सकती हो … सीखने को बहुत कुछ है.
मैं ताऊजी का इशारा समझ गई और लंड को लम्बाई से चाटने लगी.
फिर धीरे धीरे मैं ससुरजी के अंडकोशों तक गई और उन्हें चाटने लगी.
एक एक कर दोनों को मुंह में भर के चूसा.
ताऊ जी ने मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए- शाबाश बहू, बहुत अच्छा कर रही हो.
मैंने कंफर्टेबल होकर ससुरजी के चूतड़ पकड़ लिए और अपनी जीभ के साथ उनके लंड और अंडकोष से खेलने लगी।
ताऊ जी मेरी बगल में खड़े थे, उनका लंड सोया हुआ था।
ससुर जी- बहू तुमने ये तो सीख लिया कि खड़े लंड को कैसे खुश करते हैं … अब बारी अगले पाठ की है … तुम्हें अपने मुखमैथुन से बड़े भाई साहब का सोया लंड जगाना है।
मैं ताऊ जी की टांगों को तरफ मुड़ कर जमीन पर बैठ गई और उनका सोये हुए लंड को मुंह में डालने लगी.
ताऊ जी मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए अपना लंड मुझसे चुसवाने लगे।
धीरे धीरे ताऊ जी लौड़ा ताव में आने लगा … वो मेरे मुंह में ही सख्त और बड़ा होने लगा.
उनका लौड़ा जब पूरी तरह तन गया तो क्या देखती हूं हाथी सा मोटा और लंबा लंड … ससुरजी से भी बड़ा और कड़क, तकरीबन 7 या 7.5 इंच लंबा 4 – 4.5 इंच मोटा!
मेरे मुंह में समा ही नहीं रहा था.
मैंने जैसे ससुरजी की चुसाई की, वैसे ही ताऊ जी की भी की.
ताऊ जी ने 500 के नोटों की गड्डी मेरे सिर के ऊपर से घुमाई … जैसे मेरी बलाएं उतार रहे हों.
और चाचा को कहा- होटल स्टाफ में बांट देना.
ताऊ जी ने अगले पाठ के लिए मुझे बिस्तर पर लेटने को कहा.
मैं उनके कहे अनुसार बिस्तर पर लेट गई.
Xxx वर्जिन ब्राइड सेक्स कहानी अगले में खत्म होगी.
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