Latest Hindi Sex Stories added for who looking to read Ass Ass Porn Kahani – सहपाठी दोस्त से गांड चुदाई के संबंध to make every night hot about Ass Ass Porn Kahani – सहपाठी दोस्त से गांड चुदाई के संबंध story.
Story Start Here :
ऐस ऐस पोर्न कहानी में मुझे गांड मरवाने का शौक लग गया था. काफी दिन से मेरी गांड में लंड नहीं गया था. तभी मेरे एक दोस्त ने मुझे अट्टा बट्टा करने का सुझाव दिया.
दोस्तो, मेरे गांव में कैसे मेरी गांड ने लंड लिया, वह सब मैं आपको इस सेक्स कहानी में बताऊंगा.
तो चलिए आप सब अपना अपना लंड हाथ में ले लें और मेरी कोमल गांड का आनन्द महसूस करते हुए इस गे सेक्स कहानी का आनन्द लीजिए.
आपने मेरी पिछली कहानी
मौसी के बेटे ने मेरी गांड मारी
में पढ़ा कि मैं अपनी गांड मरवा कर गांव लौटा था.
गांव आने के बाद मुझे रोज अपनी गांड चुदाई याद आती.
अब मुझे अपनी गांड में लंड लेने की तड़फ रहने लगी मगर लेता किसका?
ये एक बड़ी समस्या थी.
पर किस्मत में जब लिखा हुआ हो तो वह मिल ही जाता है … और मेरी किस्मत में लिखा था मेरे दोस्त का लंड.
तो चलिए ऐस ऐस पोर्न कहानी में पहले मैं अपने दोस्त से आप सब का परिचय करवा देता हूँ.
उसका नाम लक्की है.
वह दिखने में बिल्कुल मेरे जैसी बॉडी का है.
उसकी लंबाई मुझसे थोड़ी सी ज्यादा है.
लगभग 6 फीट हाइट है. पतला सा बिल्कुल मेरे जैसा है.
हां उसका लंड मुझसे बड़ा है और गांड भी मुझसे थोड़ी सख्त है … ज्यादा मुलायम नहीं है.
मैं और लक्की अच्छे दोस्त थे और सहपाठी भी.
हम स्कूल में भी एक साथ रहते और स्कूल टाइम के बाद भी.
हम दोनों सेक्स की बातें भी करते थे और लड़कियां पटाने की बातें भी करते थे.
स्कूल में हम दोनों एक साथ रहते और हर काम में बराबर के भागीदार भी रहते थे.
यहां तक कि लड़की भी हम दोनों ने एक ही सिलेक्ट की सैटिंग करने के लिए.
तो इससे आप समझ ही गए होंगे कि हमारी दोस्ती कितनी मजबूत थी.
एक बार हम दोनों क्लास रूम में डेस्क के नीचे अपने हाथ चलाते हुए मुठ मार रहे थे.
उस दिन हम दोनों बड़ी मुश्किल से फंसते फंसते बचे थे.
हालांकि कुछ लड़कों को तो पता चल गया था कि हम लोग क्या कर रहे थे, मगर हमारी टीचर को पता नहीं चल सका था.
एक दिन हम दोनों सेक्स की बातें कर रहे थे.
लक्की ने मुझसे पूछा- क्या तुमने कभी किसी की गांड या फुदी मारी है?
तो मैंने कहा- नहीं मारी … और तुमने?
उसने कहा- मैंने भी नहीं मारी.
फिर उसने बताया- मेरे पड़ोस में एक लड़का है, उसको मेरे बड़े भाई और ताऊ जी के लड़के ने चोदा है … कई बार चोदा है … और वह लड़का इतना लचीला है कि अपना लंड खुद चूस लेता है.
उसकी बातें सुन कर मेरी गांड कुलबुलाने लगी.
मैंने भी अपनी पहली गांड चुदाई उसे बता दी कि कैसे मेरी बुआ के लड़के ने गांड मारी और कई बार मारी.
पर मैंने हाल ही में हुई अपनी गांड चुदाई के बारे में उसे नहीं बताया जो अभी महीने पहले ही हुई थी.
दरअसल एक महीने में ही दो बार हो चुकी थी.
वह मेरी गांड चुदाई का किस्सा सुनते ही थोड़ा मुकुराया और मेरी गांड पर हाथ फेरने लगा.
उसके हाथ फेरने से मेरे पूरे बदन में सिहरन सी दौड़ गई.
मगर मैंने किसी तरह अपने आप पर काबू पाया.
फिर हमें बातें करते करते अंधेरा हो गया और हम दोनों अपने अपने घर चले गए.
हम दोनों स्कूल टाइम के बाद स्कूल में दोबारा खेलने आते और खेलने के बाद बैठ कर बातें करते थे.
तो हमारा ये रोज का काम हो गया था.
अगले दिन स्कूल के बाद मैं खेलने गया.
उसी समय लक्की भी आ गया.
उसने कहा- आज खेलने का मूड नहीं है.
मैंने कहा- ठीक है. मैं भी नहीं खेलूँगा.
वह मुझे स्कूल की छत पर ले गया.
उधर बैठ कर हम दोनों बातें करने लगे.
वह आज शुरू से ही सेक्स की बात करने लगा.
उसने मुझसे पूछा- तुम्हारी बुआ के लड़के ने जब तुम्हारी गांड मारी तो कितना दर्द हुआ था? क्या तुम्हारी गांड से खून आया था?
तो मैंने उसे बताया कि जब पहली बार किया था तो उसका लंड ज्यादा बड़ा तो था नहीं … इसलिए मुझे कोई दिक्कत नहीं हुई.
तो वह झट से बोला- मेरा लंड भी ज्यादा बड़ा नहीं है. क्या मैं भी तुम्हें चोद लूँ?
ये सुन कर मेरे मन में तो लड्डू फूट गया.
पर मैंने सोचा कि ये सबको बता न दे कि मैंने गोलू की गांड मारी. अगर ऐसा हुआ तो मेरी बदनामी हो जाएगी.
ये सोच कर मैंने उसे मना कर दिया.
पर वह बार बार मुझे मनाने लगा … और इसी ना-नुकर में समय बीतता गया.
अब अंधेरा होने को था.
फिर उसने मुझे एक बात बोली, जिससे मुझे विश्वास हो गया कि ये किसी से नहीं कहेगा.
वह बात ये थी- पहले मैं तुम्हारी गांड मार लूँ … फिर तुम मेरी गांड मार लेना.
यह सुनकर मैंने उसे हां बोल दी.
अब क्या था … उसने मुझे उठाया और दूसरी छत, जो स्कूल में बने बरामदे वाली गैलरी की थी … वहां ले गया.
वह छत दूसरी छत से 5 फीट नीची थी.
उधर एक साइड में थोड़ी ऐसी जगह थी जहां से कुछ दिखता नहीं था … अगर कोई छत पर न आए तो.
वह मुझे वहां ले जाकर चूमा चाटी करने लगा.
मैं भी पूरे जोश से उसका साथ देने लगा.
कुछ देर की चूमा चाटी के बाद उसने मुझे लोवर नीचे करके दीवार के साथ हाथ लगा कर घोड़ी बना दिया और मेरी गांड में थूक लगा कर उंगली डाल दी.
मुझे उसका उंगली डालना बड़ा अच्छा लगा.
एक मिनट तक उसने मेरी गांड में उंगली घुमाई.
उसके बाद उसने अपने लंड पर भी थूक लगाया और हाथ से उसे सहलाने लगा.
मेरा मन तो चूसने का हो रहा था, मगर मैं रुक गया.
अब उसका लंड मेरी मुलायम गांड में जाने को तैयार था और इसी पल का मेरी गांड को इंतजार था.
उसने जैसे ही अपने लौड़े का टोपा मेरी गांड के छेद पर रखा, मुझे आनन्द की अनुभूति होने लगी.
मगर जैसे ही वह झटका लगाने लगा, उसका थोड़ा सा सुपाड़ा अन्दर गया.
इतने में उसे किसी के आने की आहट सुनाई दी.
तो उसने इधर उधर देखा.
उसे एक लड़का छत पर आता हुआ दिखाई दिया.
उसने झट से लंड गांड से खींचा और अपनी व मेरी लोवर ऊपर कर दी.
अब वह हाथ के सहारे से उछल कर वापिस ऊपर वाली छत पर चला गया.
मैं भी उसके पीछे ही चला गया. जाकर देखा तो वह लड़का मेरा पड़ोसी था.
वह मेरे रिश्ते में अंकल लगता था.
उसके आ जाने के कारण से हमारा गांड चुदाई का कार्यक्रम अधूरा ही रह गया.
अब हम दोनों घर चले गए.
उस पूरी रात मुझे तो बस उसका मस्त लंड ही दिखाई देता रहा और नींद नहीं आई.
अब मेरी गांड की प्यास और ज्यादा भड़क गई थी.
गांड की शांति के लिए मैंने कुछ सोचा तो मेरा ध्यान घर पर रखे पेचकस की तरफ गया.
मैंने लाइट ऑन करके पेचकस उठाया और लाइट बंद करके बिस्तर में घुस गया.
बिस्तर में मैं लोवर नीचे करके पेचकस को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
उसका पूरा हैंडल, जो थोड़ा गोल खुदरा सा था, को मैं अपने मुँह में लेकर चूस रहा था.
फिर मैंने उसे अपनी गांड पर लगाया और धीरे धीरे से पेचकस का पूरा हैंडल अपनी गांड में ले लिया.
अब मैं पेचकस को आगे पीछे करके गांड में चलाने लगा.
थोड़ी थोड़ी देर बाद उसे मुँह में लेकर चूस कर गीला भी कर रहा था.
अब पेचकस आसानी से गांड में चल रहा था.
मैं पूरा बाहर निकाल कर अन्दर बाहर कर रहा था.
मेरी गांड से फच फच की आवाज आने लगी थी.
लगभग आधा घंटा तक रुक रुक कर पेचकस के हैंडल से अपनी गांड मारने के बाद मैं उसे अपनी गांड में ही लेकर सो गया.
सुबह उठा तो पेचकस मेरी गांड में ही था.
मैं लोवर ऊपर करके उठा और इधर उधर देख कर जल्दी से टॉयलेट में आ गया.
उधर पेचकस को गांड से बाहर निकाल लिया.
फिर उसे साफ करके जेब में डाल कर पेशाब करके वापिस आ गया.
मैंने वापस आकर पेचकस को उसके स्थान पर रख दिया.
वैसे अभी भी यह सेक्स कहानी मैं पेचकस गांड में लेकर ही लिख रहा हूं.
उस रात पेचकस के हैंडल से गांड मरवाने के बाद मैं नहाया और खाना खाकर स्कूल चला गया.
स्कूल में हमने सारा दिन यही काम किया कि आज सेक्स कहा करें.
वह जगह हम दोनों को स्कूल में ही खोजनी थी.
उस दिन हमारी पढ़ाई में कोई दिलचस्पी नहीं थी; बस सेक्स का भूत सवार हो गया था.
ऐसे ही दिन बीतता गया और स्कूल से छुट्टी हो गई.
घर आकर होमवर्क पूरा करके चाय नाश्ता करके वापिस स्कूल में खेलने चले आए.
खेलना तो अब किसे था, अब तो बस गांड मारने मरवाने की जल्दी थी.
लक्की भी आ गया था.
मैंने उससे पूछा- कोई जगह मिली क्या?
वह बोला- हां मिल गई.
तो मैंने कहा- चलो फिर देर किस बात की है?
उसने कहा- सब्र करो, सब्र का फल मीठा होता है.
मैंने कहा- मुझे सब्र का फल नहीं, तुम्हारा फल खाना है.
वह हंसने लगा और बोला- कुछ देर तक खेलते हैं, उसके बाद जब सब चले जाएंगे तो ठीक रहेगा. किसी के आने का डर भी नहीं रहेगा.
मैंने कहा- ठीक है. जैसी तुम्हारी मर्जी.
हम दोनों को खेलने में लगभग 2 घंटे बीत गए.
अंधेरा होने में अभी आधा घंटा बाकी था.
हम दोनों छत पर चले गए और सब लड़कों के घर जाने का इंतजार करने लगे.
उस दिन सभी जल्दी ही चले गए.
अभी अंधेरा भी नहीं हुआ था.
मगर हम भी यही चाहते थे सो हम दोनों खुश हो गए.
हमने एक दूसरे को बांहों में भर लिया.
फिर हमने पूरी छत पर एक चक्कर लगाया और तसल्ली कर ली कि सब चले गए.
फिर लक्की मुझसे बोला- चल, मैंने आज एक ऐसी जगह खोज निकाली है, जहां कोई हम नहीं देख सकता.
मैंने कहा- कहां है?
तो उसने कहा- मेरे पीछे आ जा.
वह मुझे वाटर कूलर के पास ले गया.
वाटर कूलर एक ऐसे कमरे में था, जिसमें से सिर्फ टूंटी दीवार से बाहर निकली हुई थी.
बाकी वाटर कूलर कमरे में रखा हुआ था.
उस कमरे में लोहे का गेट लगा था, उसमें डिजाइन के लिए नीचे लोहे की चादर से बनी जाली लगी थी.
मगर वह जाली थोड़ी सी दूर में टूटी हुई थी.
उसने मुझे इस जगह की तरफ इशारा करके अन्दर घुसने को कहा मगर उसमें अंधेरा था.
मैं बोला- मैं नहीं जाऊंगा, मुझे डर लगता है.
तो वह बोला- इसमें क्या डरना!
वह खुद उस थोड़ी सी टूटी हुई जाली की जगह से अन्दर चला गया.
उसने अब मुझे भी बुलाया तो मैं भी उसी प्रकार कमरे में चला गया.
अन्दर जाते ही उसने मुझे बांहों में भर लिया और चूसने लगा.
मेरे गालों पर चुम्बन की बौछार सी आ गई.
कुछ देर चूमने के बाद उसने अपना लंड निकाल कर मेरे हाथ में थमा दिया.
उसका लंड पूरा गर्म तप रहा था.
उसने कहा- नीचे बैठ कर चूसो इसे!
तो मैं नीचे बैठ कर चूसने ही लगा था कि मेरा ध्यान अपने कपड़ों की तरफ गया.
मैंने देखा कपड़ों में बहुत सारी मिट्टी लगी है. फिर मैंने उसके कपड़े देखे, उन पर भी मिट्टी लगी थी.
मैंने इधर उधर देखा तो चारों तरफ दीवारों पर मिट्टी जमी हुई थी.
ये देख कर मैंने अंदाजा लगा लिया कि यह कभी सफाई नहीं हुई थी.
मैंने उससे कहा कि ऐसे तो हम दोनों के कपड़े खराब हो जाएंगे.
वह बोला- फिर क्या किया जाए?
मैंने उससे कहा कि ये जो वाटरकूलर रखा है, इसके ऊपर खड़े होकर सही रहेगा क्योंकि ऊपर छत भी बहुत ऊपर है.
फिर हम दोनों वाटरकूलर के ऊपर चढ़ कर खड़े हो गए और आपने लोवर निकल कर वहीं बने रोशनदान में रख दिए.
अब मैं उसका लंड चूसने लगा.
जैसे जैसे मैं उसका लंड चूसता जा रहा था, वैसे वैसे ही उसका लंड बड़ा होता जा रहा था.
कुछ ही देर में अब उसका लंड पूरे जोश में आ गया था और झटके खाने लगा था.
मैं भी उसका लंड किसी रबड़ी मलाई की कुल्फी की तरह चूस रहा था.
उसने ज्यादा देर न करते हुए मुझे खड़ा करके मेरा मुँह दूसरी तरफ घुमा कर गांड अपनी तरफ खींच ली.
मेरी गांड में थोड़ा थूक लगाया और अपने लंड को अपनी गांड की मोरी में सैट कर लिया.
मैं आगे दीवार के सहारे घोड़ी बना खड़ा था.
अब उसने मेरे चूतड़ों को थोड़ा सा सहलाया और उसकी धीरे से झटका दिया तो उसका सुपारा गुलाबी रंग का मेरी गांड में प्रवेश कर गया और मेरी चीख निकल गई.
उसने अपने हाथ से मेरा मुँह बंद कर दिया.
फिर उसने मुझे कहा कि अगर दर्द हो भी, तो तुम चीखना मत!
मैंने कहा- ठीक है, मगर तुम्हारा लंड बड़ा है … तो दर्द हो रहा है.
सच में लक्की का लंड पहले वाले तीनों लंड से बड़ा था.
उसने मुझे दर्द सहन करने का एक तरीका बताया.
वह बोला- तुम अपना शरीर पूरा ढीला छोड़ दो.
मैंने शरीर को ढीला छोड़ दिया.
उसने कहा- अब तुम अपने दांत जोर से भींच लो.
मैंने वैसा ही किया.
मैंने उसके कहे अनुसार गांड ढीली छोड़ कर दांत भींच लिए.
फिर उसने एक झटका और मारा, इस बार उसका पूरा लंड मेरी गांड को भेदता हुआ गहराई में उतर गया.
मेरा शरीर दर्द से तड़प उठा मगर मैं दांतों को भींच कर दर्द सहन कर गया.
थोड़ी देर रुकने के बाद लक्की धीरे धीरे मुझे पेलने लगा.
मुझे अब हल्के व मीठे दर्द के साथ मजा आने लगा.
थोड़ी देर बाद लक्की ने अपनी रफ्तार तेज कर दी.
मैं भी पूरे जोश से आगे पीछे होकर उसे मजे दे रहा था.
उसका लंड मेरी गांड को ऐसे चोद रहा था जैसे कोई ईंजन में पिस्टन चलता है.
कभी कभी उसका लंड बाहर निकल रहा था तो गांड में एक ठंडक सी महसूस हो रही थी.
कुछ देर की चुदाई के बाद उसने अपने झटकों की रफ्तार और तेज कर दी.
तेज तेज झटके मारते मारते वह आअह्ह्ह आह्ह्ह्ह अहह्हा करता हुआ मुझसे लिपट गया और मुझे अपनी बांहों में कस कर पकड़ लिया.
मुझे उसके लंड से छूटते लावा की बौछार गांड में साफ साफ महसूस हो रही थी.
पूरा झड़ जाने के बाद मैंने 5 से 7 झटके और दिए व उसके लंड को पूरा निचोड़ कर लिया.
अब वह खुश था.
फिर उसके कहे अनुसार मैंने भी उसकी गांड मारने की इच्छा जताई तो उसने एक बार तो मना कर दिया.
मैंने उसे दोबारा कहा तो वह मुस्कुराते हुए घोड़ी बन गया.
मैंने भी समय सीमा देखते हुए जल्दी से उसकी गांड और अपने लंड पर थूक लगाया.
इस वक्त तक अंधेरा बहुत हो चुका था.
स्कूल में अब कोई नहीं था तो डर भी लगता था.
मैंने जल्दी से उसकी गांड भी अपना लंड पेल दिया.
वह थोड़ा सा कसमसाया मगर मैंने पूरी ताकत से उसे पकड़ा हुआ था.
उसने चीख तो नहीं मारी मगर उसकी आह निकल गई थी और आंखों में पानी आ गया था.
मैंने कुछ और नहीं देखा क्योंकि मैं आज पहली बार किसी की गांड मार रहा था.
मैंने जल्दी जल्दी झटके मारने शुरू कर दिए.
वह भी आह आह ओह करके डटा रहा.
लगभग 4 से 5 मिनट में मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैंने भी अपना सारा वीर्य उसकी गांड में छोड़ दिया.
अब वह भी मुस्कुरा रहा था और मैं भी.
हमारी तेज तेज सांसों की रफ्तार अब धीरे होने लगी थी.
हम दोनों ने अपने अपनी लोवर पहने और वहां से निकल कर एक छोटा सा चुम्बन किया और अपने अपने घर चले गए.
उस दिन से हम दोनों का आपस में लेन-देन का खेल फलने फूलने लगा.
अब हमें जहां भी मौका मिलता, हम दोनों वहीं पर सेक्स करने लगते.
स्कूल में तो शायद ही कोई जगह बची हो, जहां मुमकिन हो सकता था … वहां हमने एनल सेक्स को एन्जॉय किया.
ये सिलसिला 3 साल चलता रहा.
इन 3 सालों में हमने कभी गिनती नहीं की कि कितनी बार सेक्स किया.
कभी स्कूल में, तो कभी खेत में, कभी उसके घर तो कभी मेरे घर … और एक बार तो हमने चलते पानी में भी सेक्स किया.
वहां सिर्फ मेरी गांड चुदाई हुई थी.
पानी में गांड चुदाई का भी अलग ही मजा था.
खुले आसमान के नीचे जंगली झाड़ियों के बीच से बने खेतों में पानी देने के गड्डे में डॉगी स्टाइल में हुई चुदाई.
हम दोनों की चुदाई के बहुत सारे किस्से हैं.
इसलिए सब तो कहानी में नहीं लिख सकता मगर एक बार हमारे एक दोस्त राजेश ने हम मेरे घर पर घपाघप करते पकड़ लिया था.
फिर हम लोगों ने थ्रीसम गे सेक्स किया था.
वह मस्त कहानी है उसे जरूर लिखना चाहता हूँ. यदि आप ऐस ऐस पोर्न कहानी पर मुझे अच्छे कमेंट्स भेजेंगे तो मैं जरूर लिखूँगा.
तब तक के लिए आप सबके खड़े लंड पर मेरी कोमल गांड का ढेर सारा प्यार.
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