Dick sucking Sex Kahani – पति का लंड नहीं चूसा गया

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Story Start Here :

डिक सकिंग सेक्स कहानी में शादी के बाद पहली रात मेरे पति ने थोड़ा फोरप्ले किया, फिर चूत के बार ढेर हो गए. बाद में उन्होंने मुझे लंड चूसने को कहा तो मेरी हालत खराब हो गयी.

यह कहानी सुनें.

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कहानी के दूसरे भाग
फूफा जी ने मेरी चूचियां चूसी
में अपने पढ़ा कि मेरे पति के फूफा जी एकांत का फ़ायदा उठाकर मेरे साथ अश्लील हरकतें कर डाली. उन्होंने मेरी ब्राखोल कर मेरी निप्पल को चूसा और मेरी चूत भी सहला डाली.
मुझे इससे मजा आया था.
उसके बाद मेरे पति ने मेरे साथ आधा अधूरा सेक्स करने की कोशिश की और फिर वे मुझे मेरे मायके छोड़ आये.

अब आगे डिक सकिंग सेक्स कहानी:

मायके में मां ने पूछा- कैसे है घर वाले?
पर रह रह कर मुझे फूफा की हरकत याद आ रही थी.
बात छिपाते हुए मैंने कहा- सब बहुत अच्छे हैं मां, शारदा भाभी और अशोक भैया तो साथ वाले घर में ही रहते हैं ताऊ जी के साथ!

“और चिराग कैसा है?” मां ने फिर तफ्तीश की.
मैं चिराग का नाम सुनते ही शर्मा गई- वे भी अच्छे हैं.

“कल रात ज्यादा तंग तो नहीं किया उसने? वैवाहिक संबंध बनाए?” मां ने पूछा.
मैं शर्माती हुई- कैसे सवाल कर रही हो, मुझे नहीं पता … प्लीज तंग मत करो मुझे!
मां- अरे, मुझे नहीं बताएगी तो किसे बताएगी? ये बता कि ज्यादा दर्द तो नहीं हुआ, खून आया था?
मैं- मां, माहवारी तो दो हफ्ते पहले ही खत्म हुई है, तो खून क्यों आएगा भला?

मां- इसका मतलब कुछ नहीं हुआ?
“नहीं मां, सब कुछ हुआ, तुम फिक्र मत करो!” मैंने मां को तस्सली दिलाते हुए कहा.

मां- पर तेरी चाल में कोई बदलाव नहीं, दर्द के बारे में भी कुछ नहीं बता रही … कुछ तो गड़बड़ है?
मैं- मां, हनीमून पर, जो रही सही कसर है, चिराग वो भी पूरी कर लेगा. आपने उसे देखा नहीं, भूखा शेर है वो!

मां- उसकी किसी इच्छा को मना मत करना। जो करने को कहे, उसका पूरा साथ देना, हो सकता है, तुम्हें कुछ चीजे गंदी और अभद्र लगें, पर चिराग को अगर वो पसंद हो तो तुम्हें वो करने में झिझक नहीं होनी चाहिए।
दांपत्य जीवन का मूल आधार है जिस्मानी संबंध, अपने रूप और भोलेपन से उसे अपना बना ले। फिर उस घर में सिर्फ तेरा ही राज होगा। सास भी नहीं है, तो कोई रोक टोक भी नहीं होगी।

मैं- मां तुम भी क्या ज्ञान दे रही हो, सेक्स तक तो तुमसे बोला नहीं जा रहा।

मां- हां हां सेक्स करना, और जितना हो सके उतना करना … अपने पति को रिझाओ … अपनी ओर आकर्षित करो, उसके आस-पास घूमो और उसका ध्यान अपनी ओर खींचती रहो.

मैं- मां, वो मुंह में लेने को कह रहा था अपना वो! मैंने तो मना कर दिया.
मां- पागल … पति की कोई सेक्स इच्छा को मना नहीं करना चाहिए, नहीं तो वह बाहर से अपनी इच्छा पूरी कर लेगा.
मैं- जी, मैं समझ गई.

“चल अब आराम कर ले, फिर सामान भी दिखाना है तुझे जो तू साथ लेकर जाएगी कल!”

अगले दिन चिराग मुझे लेने आया और हम घर को चल दिए।

रास्ते में चिराग ने बताया कि उसके पास मेरे लिए एक सरप्राइज़ है.
और उसने गाड़ी दूसरी दिशा में मोड दी.

मैं- क्या सरप्राइज़, कहां जा रहे हैं हम?
चिराग- हम फाइव स्टार होटल जा रहे हैं … घर में बहुत भीड़ है रिश्तेदारों की!

कुछ ही देर में हम होटल पहुंच गए.
चिराग मुझे सीधा कमरे में ले गया, कमरे में बिस्तर पर गुलाब की पंखुड़ियां बिछी थी, सुहागरात जैसी!

मैं कमरे की दीवार पे लगे, बड़े से आईने में खुद को निहार रही थी.
कि तभी चिराग ने मुझे पीछे से पकड़ लिया और मेरी गर्दन पर चूमने लगा … काटने लगा.
“आह आ आआ … आह … चिराग … उफ्फ!”

उसने मेरी साड़ी के पल्लू के साथ ही मेरे ब्लाउज को कंधे से नीचे कर दिया … मेरे गले और कंधे पर चुंबनों की बारिश कर दी.
वह मुझे कल की तरह गर्म कर चोदना चाहता था।
उसने दूसरे हाथ से मेरी कमर पर बंधी साड़ी की प्लेट्स निकाल कर खोल दी.

वह आईने में मेरे चेहरे पर आ रहे वासना के भावों को देख रहा था.
उसने अपने दोनों हाथ मेरे ब्लाउज में छिपे चूचों पर रख दिया और दबाने लगा.

मैं बताना भूल गई, उन दिनों मेरा फिगर 30-24-32 का हुआ करता था … मेरे नर्म मम्मे और सख्त चूचुक चिराग को बहुत पसंद थे।

गर्दन पर चूमते हुए उसने मेरे ब्लाउज के हुक एक एक कर खोल दिए और मेरा ब्लाउज उतार दिया.
मेरी नेट की ब्रा देख कर तो वह पागल ही हो गया.

उसने मुझे अपनी ओर घुमाया और ब्रा के ऊपर से ही मेरे चूचुक चूसते हुए काटने लगा.
फिर आईने में देखते हुए उसने मेरी ब्रा खोल दी और मेरे दोनों कबूतरों को अपनी हथेली में भर लिया।

मैंने भी थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए उसकी पैन्ट में बने तंबू को छुआ तो चिराग में जैसे सनसनी दौड़ गई।

चिराग मेरी चूचियां चूसने लगा और मैं चिराग की जिप खोलने लगी।
धीरे धीरे मैंने चिराग के सख्त लौड़े को उसकी पैन्ट की कैद से आजाद कर दिया।

मैं उसका लौड़ा पकड़ हिलाने लगी।
उसके लंड के टोपे से चिपचिपा रस निकल रहा था!

चिराग ने फिर से मुंह में लेने की गुजारिश की.
मुझे मां की कही बात याद आ गई … इस बार मैंने मना नहीं किया.
पर चिराग को लंड धोकर आने को कहा.

मेरी इतनी बात सुनते ही चिराग की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, वह तुरंत बाथरूम चला गया.

उसके जाते ही मैंने अपनी साड़ी में लगे बस्कुए खोले पेटीकोट उतारा और लपेट के एक तरफ रख दिया.
इतने में वह लंड धोकर लौट आया.

मैंने उसे सोफे पे बिठाया और उसकी टांगों के बीच बैठ गई.
डिक सकिंग सेक्स का मेरा मन तो बिल्कुल नहीं था, उसका लिंग अपने मुंह में लेने से मुझे घृणा हो रही थी.
पर पति की हर यौन इच्छा को पूरा करना पत्नी धर्म मानते हुए, मैंने डर डर के उसका लिंग अपने होंठों में दबाया.

चिराग- इसे अंदर लो, पूरा जड़ तक!
मैंने कभी पहले यह नहीं किया था, डर था कि कहीं गलती से मैं चिराग को दर्द ना दे बैठूं.

और लिंग का स्वाद कुछ आकर्षक तो नहीं था कि उसे पूरा मुंह में लेने की इच्छा हो.
अनमने मन से मैंने उसे थोड़ा और अंदर लिया.

चिराग- आह आआ आह … हां ऐसे ही … ऐसे चूसो जैसे चुस्की चूसती हो … इसपर अपनी जीभ फिराओ … प्यार करो इसे … ये ही तुम्हें यौन सुख की प्राप्ति देगा … इसे खुश रखोगी तो ये भी तुम्हें खुश रखेगा.

मैं चिराग के लिंग के टोपे पर जीभ फिराने लगी.
पर उसमें से निकलता पानी बिल्कुल भी अच्छा नहीं था, मुझे उल्टी आने लगी.

तभी चिराग ने मेरा सिर अपने लंड पर दबा दिया और लंड गले तक जा चिपका.

मुझे सांस लेने में तकलीफ होने लगी, मैं छटपटाने लगी … आंखों से आंसू आने लगे.
चिराग ने सिर नहीं छोड़ा और मेरे गले में वीर्य डालने लगा.

जैसे ही उसने मेरे सिर से हाथ हटाया, मैंने लंड गले से निकाल बाहर किया और एक पल के लिए जैसे उल्टी निकल आई … तब जाकर कुछ सांस आई.

मैं घबराई हुई बाथरूम में चली गई और दरवाजा बंद कर लिया.

चिराग- अरे क्या हुआ … चांदनी ये सब ऐसे ही होता है … इस की यही प्रक्रिया है.
उसने दरवाजा पीटते हुए कहा- देखो बुरा मत मानो, पर शुरू शुरू में यौन सुख में थोड़ा बहुत दर्द सहना पड़ता है, अभी तो मैंने तुम्हारी योनि भी नहीं खोली, जब वो खुलेगी तो इस से ज्यादा दर्द होगा. यकीन मानो, मैं हर संभव प्रयास करूंगा कि हमारा मिलन हम दोनों के लिए सुखदाई और मंगलमय हो।

मैं अंदर रो रही थी कि गले में घुसाने की इस प्रक्रिया में यदि मेरी सांस रुक जाती तो मैं तो शादी का सुख भोगने से पहले ही भगवान को प्यारी हो जाती.
मैं चिराग की बात का कोई जवाब नहीं दे रही थी।

चिराग ने शारदा भाभी को फोन किया और भाभी को सारी बात बता दी और कहा कि मैंने खुद को बाथरूम में बंद कर लिया है।
शारदा भाभी तुरंत गाड़ी लेकर होटल आ गई और चिराग उन्हें कमरे में ले आया.

उन्होंने ने भी दरवाजा बजाया- चांदनी, सुनो मुझे अपनी सहेली समझो … बाहर आओ और बताओ कि क्या बात है … बात नहीं करोगी तो कैसे निभाओगी शादी में इतने रिश्तों को?

चिराग घबराते हुए- देखो ना भाभी, ये तो बाहर ही नहीं आ रही, मैं कब से कह रहा हूं.

शारदा- चिराग तू बाहर जा … शायद वह तेरे कारण बाहर नहीं आ रही.

अब तक शारदा समझ चुकी थी कि मैं अभी भी कुवांरी हूं और चिराग मेरी सील नहीं तोड़ पाया है.

चिराग बाहर चला गया.

शारदा फिर से बाथरूम के दरवाजे पर खड़ी हो बोली- देखो, मैंने चिराग को भगा दिया है, अब तो बाहर आ जाओ, मुझे बताओ कि क्या हुआ.

मैं तो अधनंगी थी, टॉवेल लपेट कर मैंने बाथरूम का दरवाजा खोला तो शारदा भाभी सामने ही खड़ी थी.
मैं उनसे लिपट के फूट फूट के रोने लगी।

भाभी कुछ देर तक कुछ नहीं बोली, उन्होंने मुझे रोने दिया … फिर वे मुझे बिस्तर तक ले गई … मुझे बिठाया, मैं अभी भी सिसकियां ले रही थी।

उन्होंने मेरे लिए ग्लास में पानी भरा और मेरी तरफ करते हुए, पीने का इशारा किया.
मैंने सर हिलाकर मना किया.

भाभी- चांदनी, पानी पी लो और मुझे पूरी बात बताओ … क्या हुआ … क्यों घबराई हो इतनी?
मैं लड़खड़ाती ज़ुबान से- वो … वो भाभी, मेरी सांस अटक गई थी, ऐसा लगा कि आज मैं नहीं बचूंगी … आंखों के सामने अंधेरा सा छा गया था.

भाभी- तुमने सेफ वर्ड क्यों नहीं कहा?
मैं- कुछ कहती भी कैसे, गला घोंट रखा था मेरा … और ये सेफ वर्ड क्या होता है?

भाभी- चिराग ने तो कुछ और बताया था, क्या उसने तुम्हारा गला दबाया?
मैं- नहीं भाभी, गला नहीं दबाया, गला घोंटा अपने औजार से!

भाभी- हा हा हा हा, पगली हो तुम तो बिल्कुल!
मैं- भाभी आप नहीं जानती, बहुत गंदे हैं चिराग!

भाभी- मुझे मालूम है कितने गंदे है तुम्हारे चिराग, सारे पति एक से होते हैं. तुम सोच भी नहीं सकती, मेरी सुहागरात पर क्या हुआ होगा.
मैं उत्सुकता से- क्या हुआ था भाभी?

भाभी- जब तुम्हारी होगी तब तुम्हें भी पता चल जाएगा.
मैं- क्यों डरा रही हो भाभी … हमारी सुहागरात तो हो चुकी.

भाभी- अगर असली सुहागरात हुई होती तो तुम इससे भी ज्यादा रोती अगली सुबह को.
मैं- क्या आप भी रोई थी?

भाभी- उस एक रात ने शादी के बारे में मेरी पूरी सोच ही बदल के रख दी … मेरे सारे सुराख वीर्य से भर गए थे … बिस्तर पर बिछी चादर मेरी सील टूटने की गवाह थी.
मैं- हाय राम, अशोक भैया इतना जबरदस्त करते हैं?

भाभी बिना कुछ कहे हंस दी.

फिर वे बोली- अब ठीक हो तुम? बुलाऊं चिराग को या बाहर ही रहने दूं? तुम और मैं कर लेते हैं सेक्स!
मैं- क्या भाभी आप भी ना … बुला लीजिए उन्हें!

भाभी ने चिराग को फोन किया और अंदर आने को कहा.
चिराग कमरे में लौट आया.

वह मेरे पास जमीन पर बैठ कर, मेरे हाथ हाथों में लेकर बोला- क्या तुम ठीक हो, मुझे माफ कर दो प्लीज … मुझे जब सेक्स चढ़ता है तो मैं पागल सा हो जाता हूं.

भाभी- चिराग तुम दोनों को आपस में बात करनी चाहिए कि कहां तक कंफर्टेबल है दोनों को, कहां रुकना है, कब रुकना है, कैसे रुकना है और एक दूसरे को क्या बोलना है कि सामने वाला समझ जाए कि रुकने का समय आ गया है, अपने सेफ जेस्चर और सेफ वर्ड पर बात करो … विवाहित संबंध में आपसी तालमेल बहुत जरूरी है.

चिराग- जी भाभी, समझ गया. आने के लिए शुक्रिया. आइए मैं आपको नीचे छोड़ आता हूं.

तब चिराग और भाभी कमरे से निकल गए … मैंने भी कपड़े पुनः पहन लिए और तैयार होने लगी.

चिराग को वापस आने में काफी देर लग गई.

करीब एक घंटे बाद चिराग फूलों के गुलदस्ते के साथ वापिस आया … उसने मुझे गुलदस्ता दिया और दोबारा माफी मांगी.

चिराग- चलो अब घर चलें … सब हमारा इंतजार कर रहे होंगे।

हम घर पहुंचे तो सभी ने मेरा स्वागत किया.

कहानी अभी चलती रहेगी.

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