Latest Hindi Sex Stories added for who looking to read Desi Aunty Fuck Story – दोस्त की खूबसूरत मम्मी को गर्म करके चोदा to make every night hot about Desi Aunty Fuck Story – दोस्त की खूबसूरत मम्मी को गर्म करके चोदा story.
Story Start Here :
देसी आंटी फक स्टोरी में मैंने अपने दोस्त की मम्मी को चोदने की पूरी तैयारी कर ली थी. अन्तर्वासना की आग में जलती हुई आंटी बाथरूम में अपनी चूत में उंगली कर रही थी कि मैं पहुँच गया.
दोस्तो, मैं बबई आपको अपने दोस्त अनूप की मम्मी की चुदाई की कहानी सुना रहा था.
कहानी के पहले भाग
दोस्त की हसीन मम्मी से सेक्स की लालसा
में अब तक आपने पढ़ लिया था कि आंटी को मैंने कामोत्तेजित करने वाली दवा ठंडे पेय में मिला कर पिला दी थी, जिसके चलते वे गर्म हो गई थीं और बाथरूम में जाकर अपनी चुत के साथ खेल रही थीं.
अब आगे देसी आंटी फक स्टोरी:
मैंने ऐसा दिखाया मानो मैं अभी-अभी सोकर उठा हूँ और बाथरूम पहुंच गया हूँ.
मैं जैसे कुछ जानता ही नहीं हूँ कि आंटी अन्दर हैं.
मैंने अन्दर घुसते ही आंटी को देखा और कहा- अरे आंटी … आपको क्या हुआ?
आंटी बोलीं- अरे मुझे कुछ अजीब-सा लग रहा है.
यह कहते हुए उन्होंने अपनी पैंटी और नाइटी ठीक करने की कोशिश की.
मैंने पूछा- हुआ क्या है आपको? आप ऐसे क्यों कर रही हैं?
यह कहते हुए मैंने उन्हें संभालने के लिए पकड़ने का प्रयास किया.
आंटी ने जरा भी विरोध नहीं किया.
वे बोलीं- अरे कुछ नहीं … बस थोड़ी-सी बेचैनी हो रही थी!
मैंने उन्हें अपनी बांहों में पकड़ा और बाथरूम से बाहर लाने की कोशिश की.
उनका पूरा शरीर एकदम गर्म भट्टी की तरह तप रहा था.
मैंने उनके गाल पर हाथ रख कर कहा- अरे आपका शरीर तो तप रहा है?
आंटी बोलीं- अरे मैं ठीक हूँ.
यह कहते हुए उन्होंने खुद को संभालने की कोशिश की.
लेकिन वे संभल ही नहीं पा रही थीं या न संभलने का ड्रामा कर रही थीं.
उनके ऊपर काम वासना बढ़ाने वाली दवाई का असर था, जिस वजह से वे मेरे साथ चिपकी हुई थीं.
उनका यूं चिपकना मेरे हित में था.
मुझे भी आंटी स्पर्श अच्छा लगने लगा था.
मैंने उन्हें अपनी बांहों में लगभग दबोच ही लिया था और उनका एक दूध भी मेरे हाथ से दबने लगा था.
आंटी को इस बात से जरा भी दिक्कत नहीं थी.
फिर मैं उन्हें जैसे-तैसे कमरे में लाया और उन्हें अपने नीचे वाले बिस्तर पर बिठा लिया.
आंटी मुझसे सटती हुई बोलीं- मुझे कुछ अजीब लग रहा है बबई … प्लीज मुझे संभाल लो!
यह कहती हुई वे इधर-उधर अपने शरीर पर हाथ फेरने लगीं.
मैंने पूछा- क्या आपको गर्मी लग रही है? आपको इतना पसीना क्यों आ रहा है?
आंटी बोलीं- हां, पता नहीं क्यों … बहुत गर्मी-सी लग रही है. पूरा शरीर गर्मी से जल रहा है! मेरा दिल धकधक कर रहा है.
आंटी ने यह कहा तो मैंने उनके लेफ्ट बूब को अपने हाथ में भर लिया और दबा कर ऐसा ड्रामा करने लगा मानो मैं उनके दिल की धड़कन को चैक कर रहा हूँ.
उन्होंने कुछ भी नहीं कहा.
मैंने तुरंत मौके का फायदा उठाकर कहा- तो आप एक काम करो आंटी. अपनी नाइटी उतार दो … आपको थोड़ी राहत मिलेगी.
आंटी शर्माती हुई बोलीं- लेकिन कैसे?
मैंने कहा- अरे कुछ नहीं होगा आंटी. यहां और कोई है भी कौन? वैसे भी मैं तो आपके बेटे जैसा ही हूँ. मुझसे कैसा शर्माना?
आंटी बोलीं- मुझे सही नहीं लगेगा बेटा!
मेरे बहुत कहने पर उन्होंने अपनी नाइटी उतारकर साइड कर दी.
अब वे सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में मेरे सामने बैठी थीं.
उन्हें ऐसे देखकर मेरा लंड आंटी को सलामी देने लगा.
आंटी बार-बार मुझसे दूर होने की कोशिश कर रही थीं और अपने स्तनों व पैंटी को छुपा रही थीं.
मैंने सोचा कि यही सही मौका है, वरना बाद में मौका नहीं मिलेगा.
मैंने उन पर लाइन मारना शुरू कर दिया.
मैंने उन्हें अपने करीब बुलाते हुए कहा- आइए आंटी. आपको कुछ नहीं होगा. मेरे साथ सही से बैठ जाइए.
मैंने बैठे-बैठे ही उन्हें अपने गले से लगा लिया.
आंटी भी चुपचाप मेरी बांहों में बनी रहीं और वे साथ में कामुक सिसकारियां भी ले रही थीं.
‘आह … सीई … आइ … पता नहीं क्यों अन्दर से बड़ी आग लग रही है!’
मैंने मौके का फायदा उठाकर अपना हाथ उनके पूरे शरीर पर घुमाना शुरू कर दिया.
वे भी गर्म हो गई थीं लेकिन दिखावे की नौटंकी कर रही थीं.
फिर मैंने उनके गालों पर हाथ फेरते हुए उनके नर्म गालों पर चूमने लगा.
उनकी तरफ से कुछ भी विरोध नहीं था बल्कि वे और ज्यादा चिपकने लगी थीं.
यह देख कर मैंने उनके प्यारे से गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चुम्मी लेने लगा.
पहले पहल तो आंटी मेरा विरोध कर रही थीं लेकिन उन्हें अच्छा लग रहा था तो वे और अब नहीं रुक सकीं.
उन्हें गर्म करने की दवाई जो मैंने दी थी, उसका असर धीरे-धीरे होने लगा था और वे मेरे सामने पूरी तरह समर्पित हो गईं.
बस अब उनकी तरफ से भी प्रतिक्रिया मिलने लगी और वे भी मुझसे खुलकर किस करने लगीं.
पहले तो मैंने उनके होंठों का प्यारा-प्यारा रस पिया, फिर अपनी जीभ उनके मुँह में डालकर उनके पूरे मुँह का रसपान करने लगा.
आंटी भी मेरी जीभ को खाने लगी थीं.
उसी बीच मैंने उनकी ब्रा का एक कप नीचे कर दिया और उनके दूध को मसलने लगा.
वे आह आह करती हुई मुझसे अपने मम्मे मसलवाती हुई मेरे लंड को सहलाने लगीं.
अब मामला अति कामुक होने लगा था.
मैं उन्हें चूमते हुए नीचे आ गया और उनके बूब्स पर टूट पड़ा.
आंटी ने नई वाली रेड कलर की ब्रा और पैंटी में पहनी हुई थी और वे इस सैट में इतनी सेक्सी लग रही थीं कि मैं तो पूरा पागल हो गया था.
पहले तो मैंने ब्रा के ऊपर से ही उनके बूब्स चूमे, फिर ब्रा का हुक खोल दिया.
उनके दोनों कबूतर जैसे आज़ाद होने को बेताब हो उठे थे.
मैंने उन्हें आज़ाद कर दिया. दोनों रसभरे मम्मे खुली हवा में फुदकने लगे.
वे कामुक भाव से मेरे मुँह में अपने दूध देने लगीं और मैं भी बारी-बारी से उनके दोनों बूब्स को चूसने लगा.
एक बार इधर वाला चूसता, तो दूसरा वाला मसलता. फिर उधर वाला चूसता तो पहले वाला मसलने लगता.
आंटी कामुक सिसकारियां लेने लगीं- उफ्फ़ बबई … आ आह्ह्ह … बस्स … सीई .. ऐसे ही बस चूस लो आह मजा आ रहा है आह आज मेरी प्यास बुझा दो मेरी जान.
देसी आंटी फक की बात सुन मैंने एक पल की भी देरी न करते हुए उनके पेट को चूमते हुए उनकी पैंटी तक आ गया.
आंटी की चूत को मैं उनकी पैंटी के ऊपर से ही सूँघने लगा. आह उनकी चुत की महक का न/शा ही अलग था.
जैसे ही मैंने पैंटी के ऊपर से चुत को चाटना शुरू किया, तो समझ में आया कि आंटी की चुत का रस तो पहले से ही छूट चुका था.
अब मैंने बिना देर किए उनकी पैंटी निकाल दी और उन्हें नंगी देखते हुए अपने भी सारे कपड़े उतार दिए.
हम दोनों पूरी तरह नंगे हो गए.
अब जैसे ही मैंने आंटी की चूत पर मुँह लगाया, वैसे ही उनकी ज़ोरदार सिसकी निकली- आईई ईई.
मैं उनकी चूत चाटता रहा और वे मदभरी सिसकारियां लेती रहीं- आह बबई आह मेरी जान मजा आ गया … आह मैं तो बिना चुदे ही झड़ गई आह.
ऐसा कहते ही आंटी ने मुझे अपनी दोनों जांघों के बीच ज़ोर से दबा लिया और चुत की रसधार छोड़नी शुरू कर दी.
वे हिचकी लेती हुई मेरे मुँह में ही खाली हो गईं.
मैंने उनका पूरा पानी चाटकर साफ कर दिया.
चुत का सारा रस निकल जाने के बाद भी मैं उनकी चूत को चाटे जा रहा था.
आंटी मेरे सर के बालों को सहलाती हुई बोलीं- बब्बी डार्लिंग … जल्दी से मेरी चूत की चुदाई कर दो. मुझसे अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा है!
मैंने कहा- बस अनु डार्लिंग … एक बार मेरा लंड और चूस दो, मैं अभी आपकी चुत चोद देता हूँ.
वह बोलीं- जान मैंने आज तक कभी भी लंड नहीं चूसा!
मैंने कहा- जो आज तक नहीं किया, वह आज कर लो मेरी जान … सच कह रहा हूँ मजा आ जाएगा.
वे मना करने लगीं, तो मैंने वक्त ज़ाया न करते हुए कहा- अरे डार्लिंग, कम से कम हाथ से तो हिला दो!
मेरे इतना कहते ही एक पल की भी देरी न हुई और उन्होंने मेरे लंड को हाथ से हिलाना शुरू कर दिया.
उन्हें चुत की आग से बेहद बेचैनी हो रही थी, तो वे जल्दी से चोदने की बात कहने लगीं.
मैंने उन्हें सीधा लिटा दिया और उनकी छाती पर चढ़कर उनका हैंडजॉब लेने लगा.
मेरा लंड सूखा था, तो मुझे अच्छा नहीं लग रहा था.
मैंने कहा- डार्लिंग थोड़ा थूक लगाकर हिलाओ ना!
उन्होंने वैसा ही किया.
कुछ देर तक लंड हिलाने के बाद मुझे अन्दर से चुदाई की चुल्ल हुई तो मैं उनकी चूत की तरफ बढ़ गया.
आंटी की चूत में थोड़ा थूक लगाकर और उनकी सुनहरी झांटों को सहलाते हुए मैंने अपना लंड उनकी चूत के ऊपर रगड़ना शुरू कर दिया.
लंड का टोपा आंटी की गर्म चुत की फांकों में मस्ती करने लगा.
वे भी अपनी कमर उठाती हुई लौड़े को अन्दर लेने की कोशिश करने लगीं.
मैंने उनकी चुत के ऊपर ऊपर से उन्हें खूब रगड़ा और उनकी चुत की आग को खूब भड़का दिया तो वे खुद अपनी गांड उठाकर लंड लेने की कोशिश करने लगीं.
मैंने भी देरी न करते हुए उनकी चूत के दाने को सहलाते हुए उनकी चूत में एक हल्का सा झटका दे मारा.
मेरे उस हमले के लिए आंटी तैयार नहीं थीं इसलिए लंड घुसते ही उनकी चीख निकल आई ‘उऊऊई मां.’
मैंने उनकी चीख को दबाने के लिए होंठों को चूसना चालू किया और उन्हें हाथ से सहला कर सांत्वना देने लगा.
मेरा 7 इंच का लंड उनकी चूत में बस अभी 3 इंच ही गया था.
उनकी दर्द भरी आवाज निकलने लगी ‘आह मर गई बबई … बहुत बड़ा लंड है तेरा … आज मेरी फट जाएगी आह आह धीरे चोद हरामी साले … आह … मादरचोद मेरी चुत चिर रही है!’
उनके मुँह से गाली सुनकर तो मैं समझो जन्नत में विचरने लगा था.
मेरा लंड और अन्दर घुसते ही वे छटपटाने लगीं.
लेकिन मेरे चंगुल से छूट नहीं पाईं.
मैं उन्हें लगातार चूम रहा था.
कुछ पल बाद जब आंटी थोड़ी सामान्य हुईं, तो मैंने एक जोर का झटका पुनः लगा दिया.
इस बार मेरा पूरा 7 इंच का लंड घुसकर उनकी बच्चेदानी से जा टकराया.
इस बार उनकी एक भी आवाज बाहर नहीं आई क्योंकि उनका मुँह मेरे मुँह के अन्दर था.
इस झटके से आंटी की आंखों से आंसू निकल आए.
आंटी बस गूं गूं कर रही थीं.
वे किसी तरह से अपने मुँह को एक पल के लिए मेरे मुँह से हटा कर दर्द से कराहती हुई बोलीं- आह … तुम्हारा बहुत बड़ा लंड है बबई साले हरामी … आह इसे बाहर निकाल लो … वरना मैं मर जाऊंगी. मुझसे नहीं झिलेगा प्लीज अपना लंड बाहर निकालो!
मैं निरंतर उन्हें चूमता रहा और दोनों हाथों से उनके बूब्स को दबाता रहा.
फिर कुछ मिनट के बाद जैसे ही आंटी को थोड़ी राहत मिली, उन्होंने अपनी गांड उठाकर लंड का मजा लेना शुरू कर दिया.
मैं समझ गया कि अब आंटी सामान्य हो चुकी हैं.
मैं भी किसी इंजन के पिस्टन की तरह अपने लंड को उनकी चुत में अन्दर-बाहर, अन्दर-बाहर करने लगा.
अब आंटी की दर्द भरी सिसकारियों के बाद सुकून वाली सिसकियां आने लगी थीं.
वे अब बस यही कह रही थीं कि आह बबई मजा आ गया … ऐसे ही अन्दर बाहर करते रहो … आह और थोड़ा जोर से करो … आई आह … प्यार से करो ना!
मैं बस झटके पर झटका देता रहा.
आंटी ने एक बार फिर से पानी छोड़ दिया और मुझे कसकर पकड़ लिया.
मैं समझ गया कि उनका एक बार और हो गया. उनकी चूत से पानी छूटते ही लंड आसानी से अन्दर-बाहर होने लगा.
चूत के अन्दर लंड की ‘पच-पच.’ की आवाज आने लगी. जबकि बाहर मेरे और आंटी की जांघों के हर धक्के से ‘फच-फच’ की आवाज आ रही थी.
हम दोनों बेफिक्र होकर चुदाई में लीन थे.
मैं आंटी की ले रहा था और आंटी मेरा ले रही थीं.
मुझे इस पोजीशन में चुदाई करने में बहुत मजा आ रहा था.
मैं आंटी के ऊपर लेटा हुआ था, उनकी चुम्मी ले रहा था … बूब्स चूस रहा था और कमर से लगातार धक्के देकर आंटी को असीम सुख की प्राप्ति करवा रहा था.
हमें चुदाई करते हुए लगभग आधा घंटा हो चुका था. आंटी का दोबारा छूटने वाला था और इस बार मेरा भी पानी निकलने वाला था.
देसी आंटी फक करते हुए उन्होंने मुझे टाइट पकड़ लिया.
मैं समझ गया कि अब फिर से उनका पानी गिरने वाला है.
मैंने भी आंटी से कहा- मेरा भी निकलने वाला है … कहां निकालूँ?
उन्होंने चुदाई के न/शे में कह दिया- अन्दर ही डाल दो.
मैंने भी जोश में आकर बिना कंडोम के अन्दर ही अपना माल डाल दिया.
मुझे असीम सुख की प्राप्ति हो गई.
अब तक आंटी ने तीन बार माल छोड़ दिया था.
जैसे ही हम दोनों का माल निकला, मैं निढाल होकर आंटी के ऊपर ही गिर गया.
कुछ ही देर में आंटी की चूत से हम दोनों का मिश्रित पानी उनकी जांघों से होकर बहने लगा.
कुछ देर बाद मेरी आंख खुली और मैंने देखा कि आंटी की प्यारी बेटी हम दोनों को देख रही थी.
मैं अचकचा गया, इसलिए नहीं कि उसने हम दोनों को नंगा देख लिया था बल्कि इसलिए क्योंकि वह शायद आंटी को देख कर आंखों ही आंखों में मुस्कुरा कर कुछ मूक बात कर रही थी.
मेरी समझ में आ गया कि आंटी और इनकी बेटी भारी चुदक्कड़ हैं.
दोस्तो, मेरे दोस्त अनूप की मम्मी की चुदाई की सेक्स कहानी में आगे क्या हुआ, वह मैं बाद में लिखूँगा.
अभी आप यह बताएं कि यह देसी आंटी फक स्टोरी आपको कैसी लगी.
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