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Story Start Here :
देशी सेक्स कहानी में मैंने गाँव में अपने बड़े भाई की पत्नी को पहले खेत में चोदा, फिर घर आकर भाभी को पूरी नंगी करके लंड चुसवा कर चोदा.
दोस्तो, मेरा नाम दीपक है, मेरी उम्र 21 साल है, हाईट 5.11 है और मेरा लंड 8 इंच का है.
आज मैं अपको बताता हूँ कि कैसे मैंने अपनी प्रीति भाभी को चोदा.
भाभी का रंग गोरा और फिगर 34 – 30 – 34 का है.
यह देशी सेक्स कहानी सर्दियों की है जब मेरे कॉलेज के एग्जाम खत्म हो चुके थे.
मैं कुछ दिनों के लिए अपने गांव आ गया.
घर पहुंचा तो भाभी नहा रही थीं.
मेरी आवाज़ सुनकर भाभी बाथरूम से अपनी साड़ी को ऐसे लपेट कर बाहर आईं कि मैं उन्हें देखता ही रह गया.
आज तक मैंने भाभी के बारे में कभी गलत नहीं सोचा था लेकिन उस दिन मेरे दिमाग में सिर्फ़ भाभी की चूत लेने के बारे में ही ख्याल आ रहे थे.
मुझे देख कर वे वापस बाथरूम में चली गईं.
मैंने कहा- क्या हुआ भाभी, वापस क्यों घुस गईं.
भाभी की हंसने की आवाज आई और वे बोलीं- अरे मुझे लगा कि तुम्हारे भैया आ गए हैं!
मैंने कहा- अरे तो क्या हुआ भाभी … भैया नहीं तो मैं ही सही … वापस क्यों जाना!
भाभी हंसने लगीं और बोलीं- पूरे बदमाश हो गए हो.
यह कहती हुई वे अपने कपड़े पहन कर बाहर आ गईं.
मैंने उन्हें देखा और कहा- सच में भाभी आप बहुत सुंदर हो!
वे धत कह कर पूछने लगीं कि कितनी देर के आए हो!
मैंने कहा- मैं बस अभी ही आया हूँ!
वे आईने में अपने बाल सही कर रही थीं और मैं उन्हें देख रहा था.
सच में मुझे उस वक्त भाभी एक चोदने लायक माल लग रही थीं.
मैंने भाभी से भैया के बारे में पूछा, तो उन्होंने बताया कि खेत जोतने का काम चल रहा है, तो तेरे भैया शाम तक आएंगे.
कुछ देर बाद उन्होंने मुझसे खाने के बारे में पूछा.
मैंने हां कह दी और उन्होंने हम दोनों के लिए खाना परोस लिया.
अब मैं और भाभी साथ में बैठ कर खाना खाने लगे.
खाने के बाद हम दोनों मेरे कॉलेज के बारे में बातें करने लगे.
शाम को भैया आए और मुझे आया देख कर बोले- तू बिल्कुल सही समय पर घर आ गया है. मुझे कुछ काम से आज ही बुआ जी के यहां जाना है, तो कल से तुम खेत जोतने चले जाना.
मैंने ओके कह दिया.
उसके बाद भैया बाहर निकल गए.
मैंने भाभी से पूछा- अब ये किधर चले गए?
भाभी ने हंस कर हाथ से दारू पीने का इशारा करते हुए कहा- अब गए अपनी मौज मस्ती करने!
मैंने कहा- क्या रोज का हो गया है?
भाभी ने हां कह कर अपना सर घुमा लिया.
मैं समझ गया कि भाभी भैया की इस बात से दुख हैं.
मैंने कहा- अब कितने बजे आएंगे?
वे बोलीं- आने का कोई समय तय नहीं होता है … कभी कभी तो आते ही नहीं हैं!
मैंने कहा- क्या मतलब आते ही नहीं हैं? किधर सोने चले जाते हैं!
भाभी कुछ नहीं बोलीं और अपना पल्लू मुँह में दबा कर अपनी नम आंखों को छिपाने लगीं.
मैंने उन्हें अपने हाथ से सहारा दिया और समझाने लगा.
तो वे मेरे गले से लग कर रोने लगीं.
उनकी रुलाई देख कर मैंने भाभी को अपनी बांहों का सहारा देते हुए थामा और उनकी पीठ सहलाने लगा.
उनकी पीठ सहलाते ही मुझे वासना चढ़ने लगी और मैं भाभी के आगोश की गर्मी से खुद को गर्म करने लगा.
फिर हम दोनों अलग हुए और सो गए.
सुबह होते ही मैं खेत पर निकल गया.
तीन-चार घंटे जुताई करने के बाद भाभी मेरे लिए खाना लेकर आईं.
मुझे खाना देने के बाद भाभी झाड़ियों में पेशाब करने चली गईं.
मुझे भाभी को नंगी देखने का मौका मिल गया.
मैं चुपके से उनके पीछे गया और उन्हें देखने लगा.
शायद भाभी को अहसास हो गया था कि मैं उनके पीछे हूँ.
वे और मस्ती से अपनी गांड मुझे दिखाती रहीं.
फिर मैं भाभी के पास गया और उनके पीछे बैठ कर उनके बूब्स दबाने लगा.
भाभी ने मुझे दूर करते हुए कहा- ये क्या कर रहे हो?
मैंने भाभी से कहा कि भाभी मैं आपको प्यार करने लगा हूँ!
तो वे घबरा कर बोलीं- प्लीज़ दीपक, यह सब सही नहीं है!
लेकिन मैं कहां मानने वाला था, मैंने कहा- भाभी, सिर्फ़ एक बार मेरा लंड ले लो, फिर नहीं कहूँगा.
भाभी बोलीं- ये गलत है!
लेकिन मैं नहीं माना और उन्हें किस करने लगा.
तो वे चुप हो गईं.
अब मैंने उन्हें अपने सीने लगा लिया और उन्हें प्यार करने लगा.
भाभी अपनी तरफ से कुछ नहीं कर रही थीं लेकिन वे मुझे मना भी नहीं कर रही थीं.
फिर मैंने भाभी को खेत में लिटाया और उनकी साड़ी उठाकर उनकी चूत चाटने लगा.
थोड़ी ही देर में भाभी गर्म हो गईं और मेरा सिर पकड़ कर दबाने लगीं.
अब मुझे समझ आ गया था कि भाभी चुदने के लिए तैयार हैं.
मैंने फिर भाभी को किस करना शुरू किया.
इस बार भाभी भी मेरा साथ दे रही थीं.
मैं एक हाथ से भाभी का ब्लाउज़ खोलकर उनके दूध दबाने लगा.
करीब दस मिनट तक ऐसा ही चलता रहा.
फिर मैंने भाभी की चूत में उंगली करनी शुरू की, जिससे भाभी तड़पने लगीं और जोर-जोर से सिसकारियां लेने लगीं ‘आआहह … उहहह … आहहहह.’
उनकी मदभरी आवाज़ निकलने लगी.
भाभी सेक्स भरी आवाज़ में बोलीं- देवर जी, अब और ना तड़पाओ … डाल दो अब अपना हथियार मेरी सुरंग में!
मैंने कहा- पहले तो बड़े नखरे कर रही थीं!
वे हंस कर बोलीं- तो क्या खोल कर खड़ी हो जाती कि लो मेरी ले लो!
मैंने हंस कर कहा- अरे खोल कर खड़ी होने की कौन कह रहा है … बस अपने देवर को प्यार से देने की बात तो मान लेतीं!
वे बोलीं- अब ज्यादा चुदुर पुदुर न करो. जल्दी से अपना लंड निकालो और मेरी प्यासी चुत में पेल कर मुझे चोद दो.
मैंने कहा- बड़ी चुदासी दिख रही हो भाभी … भैया का लंड कबसे नहीं मिला है?
वे हंस दीं और बोलीं- इस बार तुम्हारे भैया अपने खेत की जुताई के काम के चक्कर में मेरी चुदाई करना समझो भूल ही गए! उन्हें दारू से प्यार हो गया है!
वे मेरे लंड को पकड़ने लगी थीं.
मैंने अपना 8 इंच का लंड निकाला जो पूरी तरह टाइट हो चुका था.
मैंने भाभी से कहा- लो इसे मुँह में लेकर चूस लो!
लेकिन भाभी मना करने लगीं.
वे कहने लगीं- मैंने पहले कभी मुँह में नहीं लिया.
मैंने भाभी को मनाया और थोड़ी ही देर में भाभी बहुत अच्छे से लंड चूसने लगीं.
मैं तो बस ‘अह हहाहह …’ करता रहा.
क्या मस्त लंड चूस रही थीं भाभी.
मैं भाभी के मुँह में ही झड़ गया और भाभी ने सारा पानी पी भी लिया.
मेरा लंड झड़ने के बाद जल्दी ही खड़ा हो गया था.
फिर मैंने भाभी की चूत चाटी और थोड़ी देर में भाभी ‘उहहहह …’ की आवाज़ के साथ झड़ गईं.
कुछ देर बाद मैंने भाभी की गीली चूत पर अपना लंड रखा और एक ही झटके में घुसेड़ दिया, जिससे भाभी को बहुत दर्द हुआ … लेकिन थोड़ी देर में ही वे सामान्य हो गईं.
अब वे मस्ती से ‘अहहहह … उहहह … आआह … उउह … ’ की आवाज़ों के साथ चुदाई का मज़ा लेने लगीं.
करीब 20-25 मिनट की घमासान चुदाई के बाद मैं और भाभी एक साथ झड़ गए.
देशी सेक्स करने के बाद मैं भाभी को किस करने लगा और हमने 10 मिनट तक किस किया.
भाभी बोलीं- देवर जी, आप तो बहुत अच्छी चुदाई करते हैं!
तभी मुझे याद आया कि घर पर तो कोई है ही नहीं, भैया भी बुआ जी के यहां गए हैं.
मैंने भाभी से कहा- भाभी, चलो एक राउंड घर पर भी खेल लेते हैं!
भाभी मुस्कुरा दीं और बोलीं- तुम कोई मौका नहीं छोड़ोगे.
मैं और भाभी घर पहुंचे.
मैं भाभी को गोद में उठाकर कमरे में ले गया और बेड पर लिटा दिया.
फिर मैंने अपने हाथों से उनकी साड़ी ब्लाउज़ उतारा और उन्हें पूरी नंगी कर दिया.
मैंने अपने कपड़े भी उतार दिए.
मैं सीधा भाभी की चूत चाटने लगा. भाभी की सिसकारियां निकलने लगीं, ‘उफ्फ … उहहह … अहहह … आआह …’
थोड़ी ही देर में भाभी झड़ गईं.
फिर भाभी ने मेरा लंड चूसा और मैं उत्साह में सीधा भाभी को चोदने लगा.
भाभी इतनी तेज़ चुदाई से चिल्लाने लगीं, ‘आआह … ऊऊह … धीरे धीरे पेलो न अहह हह …’
मैं चूत में लंड डाले हुए भाभी को किस करने लगा और उनके दूध दबाने लगा, जिससे भाभी थोड़ी ठंडी हुईं.
भाभी के ठंडे होते ही वे अपनी गांड उठाने लगीं और मैंने फिर से चोदना शुरू कर दिया.
भाभी फिर सिसियाने लगीं ‘अहहहह … ईईई … ऊऊऊऊ …’
मैं उन्हें चूमने लगा.
भाभी बोलीं- रुक क्यों गए … और जोर से चोदो न मेरे प्यारे देवर जी!
यह सुनते ही मैंने धकापेल मचा दी.
थोड़ी देर बाद भाभी का शरीर अकड़ने लगा और उनकी चूत से गर्म लावा निकल गया.
मैं अभी खड़ा लंड हिला रहा था.
मैंने भाभी से कहा कि कुतिया बन जाओ.
भाभी झट से कुतिया बन गईं और मैं उनकी चूत को पीछे से बजाने लगा.
भाभी की चूत गीली होने की वजह से पूरे कमरे में फच-फच की आवाज़ गूँजने लगीं.
करीब 15 मिनट तक डॉगी स्टाइल में पेलने के बाद मैं भाभी की चूत में ही झड़ गया.
उस दिन से जब भी हमें मौका मिलता है, हम चुदाई शुरू कर देते हैं.
दोस्तो, ये मेरी पहली देशी सेक्स कहानी है.
कमेंट करके जरूर बताना कि कैसी लगी.
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