Hindi Sex Com Story – ऑफिस की कुलीग होटल में आकर चुद गई


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Story Start Here :

हिंदी सेक्स कॉम स्टोरी में एक ऑफिस की लड़की अपने सीनियर को पटा कर पिकनिक पर ले गयी और वहां होटल में कमरा लेकर उसे गर्म कर दिया. उसके बाद क्या हुआ?

फ्रेंड्स, मैं ऋषि आपका अपनी सेक्स कहानी के अगले भाग में स्वागत करता हूँ.
हिंदी सेक्स कॉम स्टोरी के पहले भाग
ऑफिस की लड़की के साथ होटल के कमरे में
में अब तक आपने पढ़ लिया था कि मैं वाणी के साथ संसर्ग कर रहा था.
वह भी उत्तेजित थी.

अब आगे हिंदी सेक्स कॉम स्टोरी:

मैं समझ गया कि वाणी भी अब मेरा लंड खाने के मूड में है और मैं यह मौका बर्बाद नहीं करना चाहता था.

मैं तुरंत उठा और अपनी जीभ उसके होंठों में डाल दी और उसकी जीभ को आइसक्रीम की तरह चाटने लगा.
साथ ही अपने हाथ उसके शरीर के ऊपरी हिस्से पर फिराने लगा.

वाणी अब गर्म हो रही थी और मैंने इस समय का फायदा उठाकर उसका टॉप उतार दिया.
मैंने ब्रा के ऊपर से उसके स्तनों को दबाना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे अपने हाथ को ब्रा के अन्दर डालने लगा.

इसी दौरान मैं पुनः अपनी पैंट में झड़ गया.
जैसे ही मैंने यह बात वाणी को बताई, उसने मेरी पैंट और अंडरवियर उतार दिए और मेरे लंड को किसी बच्चे की तरह चूसने लगी.

मेरा लंड फिर से दानव का आकार लेने लगा.
वाणी मेरे बड़े लंड को देखकर चौंक गई पर दिल ही दिल में खुश हो रही थी.

मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी और उसके स्तनों को ब्रा के बंद पिंजरे से बाहर निकाल दिया.

उसके स्तन ऐसे लग रहे थे मानो बहुत पहले से मुझे बुला रहे हों कि उन्हें मुक्त कर दूँ और नीचे उसके छोटे दोस्त का आनन्द उठाऊं.

मैं उसके बड़े-बड़े स्तनों को देखकर पागल हो रहा था. मैं बस पागलों की तरह उन पर कूद पड़ा और जोर-जोर से उन्हें मसलने लगा.
वह भी मेरे लंड को जोश और वासना से चूस रही थी, जिससे मैं बहुत कामुक हो रहा था.

मैं उसके स्तनों को बहुत ज़ोर से दबा रहा था और उसके निपल्स के साथ खेल रहा था.
मैं महसूस कर सकता था कि उसके निपल्स सख्त हो रहे थे.

उसके निपल्स का भूरा रंग मुझे ऐसे आकर्षित कर रहा था जैसे वैनिला आइसक्रीम के ऊपर चेरी रखी हो, जो मुझे बहुत उत्तेजित कर रही थी.
अब मैंने उसे अपने नीचे ले लिया और उसे चूमना जारी रखा.

कभी मैं उसके माथे को चूमता, कभी उसके होंठों को, या फिर उसकी गर्दन को चूम रहा था और कानों की पलकों को चाट रहा था.

यह उसे कराहने पर मजबूर कर रहा था और वह अपने आप ‘आह्ह्ह… उह्ह्ह’ करने लगी.
इससे मैं और अधिक उत्तेजित हो गया और मुझे और जोश चढ़ गया.

इस बीच मैंने धीरे-धीरे अपना एक हाथ उसकी लैगिंग में डाला और उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से ही सहलाने लगा.

उसकी पैंटी चूत से निकले कामरस से पूरी भीग चुकी थी और चुत रस मेरे हाथों को लग रहा था.

मैंने हाथ बाहर निकाला और उसकी चूत के रस का स्वाद लिया, जिससे मैं और मदहोश हो गया.

मैंने झट से उसकी लैगिंग्स और पैंटी उतार फेंकी.
अब हम दोनों पूरी तरह नंगे थे.

मैंने बिना देर किए अपनी एक उंगली उसकी चूत के अन्दर डाल दी.
जैसे ही मैंने पूरी उंगली अन्दर डाली, उसके मुँह से ‘आह्ह्ह’ निकल गया.

मैंने अपनी दो उंगलियां उसकी चूत में डाल दीं और अन्दर-बाहर करने लगा.
मैं एक हाथ से उसकी चूत में उंगली कर रहा था और दूसरे हाथ से उसके स्तनों को दबा रहा था.

उसके बड़े-बड़े स्तन देखकर मैं बहुत लालची हो रहा था.
उसकी चूत इतनी गीली थी कि जब मैं अपनी उंगलियां अन्दर-बाहर कर रहा था, तो मुझे ‘पच पच … पच पच’ की आवाज़ सुनाई दे रही थी, जिससे मैं और अधिक उत्तेजित हो रहा था.

अब मैं नीचे आया और उसकी चूत में अपनी उंगली बहुत तेज़ी से अन्दर-बाहर करने लगा और अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटने लगा.
उसकी चूत के नमकीन स्वाद ने मुझे पागल बना दिया.

मैं अपनी जीभ बहुत तेज़ी से उसकी चूत के अन्दर-बाहर कर रहा था और कमरे में ‘आह्ह्ह … उह्ह्ह … आह्ह्ह’ की आवाज़ें गूंज रही थीं.

इसी बीच उसकी चूत ने अपना पानी छोड़ दिया.
मैंने उसकी चूत से निकला सारा नमकीन स्वादिष्ट पानी पी लिया.
सच में दोस्तो … उस पानी का स्वाद लाजवाब था.

ऐसा न/शा आपको कोई दूसरी चीज़ नहीं दे सकती.
वाणी जोर-जोर से चिल्ला रही थी- आआह … उउह्ह ऋषि … प्लीज़ मुझे चोद दो … अब मैं और बर्दाश्त नहीं कर सकती!

मैंने उसकी पानी से भरी हुई चूत को पूरी तरह चाटकर साफ कर दिया.
अब तक मेरा लंड इस धरती पर स्वर्ग में प्रवेश करने की स्थिति में था.

मेरा साढ़े सात इंच का लंड एकदम सख्त हो गया था और उसकी चूत के दरवाज़े खुलने का इंतज़ार कर रहा था.

वाणी ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और एक हाथ से मेरे लंड को आगे-पीछे करने लगी.

मैं वाणी से अलग हुआ और अपने लंड पर कंडोम पहना.
फिर मैंने उसके होंठों को जोर-जोर से चूमना शुरू कर दिया.
कभी मैं उसके होंठों को चूमता, कभी उसके निपल्स को काटता … या फिर उसके स्तनों को जोर-जोर से दबाता.

बीच-बीच में मैं उसकी नाभि को चाटता या फिर उसके कान और गर्दन को काट रहा था.
इससे वह और भी ज़्यादा उत्तेजित हो रही थी और उसके मुँह से ‘अह्ह … उह्ह्ह … आह्ह’ की आवाज़ें निकल रही थीं.

मैं जानबूझ कर उसे छेड़ रहा था ताकि वह और अधिक उत्तेजित हो जाए और सेक्स के लिए और तड़प उठे.
आख़िरकार उसने मुझे अपनी ओर खींच लिया और मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत पर रख लिया.

वह लंड को चुत पर रगड़ती हुई मुझसे बोली- ऋषि साले हरामी … अब फाड़ दे न मेरी चूत को … कसम से अब सहन नहीं हो रहा … चोद दे साले … वरना मैं तेरे लंड को काट लूँगी!
यह कह कर उसने खुद को नीचे से उठाते हुए धक्का दे दिया ताकि मेरा लंड उसकी चूत में घुस जाए.

मेरे लंड को अपनी चूत में लेने की उसकी कोशिश पूरी तरह विफल रही और वह सचमुच रोने लगी.
उसने अपने नाखूनों से मेरी पीठ को खरोंच डाला.

मैंने उसे शांत किया और अपने लंड का टोपा उसकी चूत पर रखा, फिर धीरे से अन्दर धकेला.
पहली बार मेरा लंड फिसल गया था, इसलिए वाणी ने उसे सही जगह पर अपनी चूत के ऊपर रखा.

मैंने अब जोर से धक्का दिया, जिससे लंड का थोड़ा सा हिस्सा उसकी चूत में चला गया.
मैंने अपना लंड बाहर निकाला और फिर से धक्का दिया. इस बार आधा लंड उसकी चूत में घुस गया.

जैसे ही मेरा आधा लंड उसकी चूत को फाड़ते हुए अन्दर गया … वह दर्द से कराहने लगी.
उसकी आंखों में आंसू आ गए और वह तड़पने लगी.

मैंने उसके दर्द को समझते हुए उसके होंठों पर चूमा और उसे शांत किया.

जब वह सामान्य हो गई, तब मैंने फिर से हल्का सा धक्का दिया.
इससे मेरा लंड फिर से आधा चूत में घुस गया.
इस बार वाणी को उतना दर्द नहीं हुआ.

मैंने अपनी मशीन गन को टॉप गियर में लिया और एक जोरदार धक्का मारा.
इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया.

मेरा मूसल जैसा बड़ा लंड चूत में घुसते ही वाणी एकदम से तड़प उठी और उसने मुझ पर गालियों की बौछार कर दी- हरामी … निकाल साले … इतनी जोर से कौन डालता है … मादरचोद … आह मैं तुझे रंडी लग रही हूँ क्या? निकाल इसे पहले … आह मर गई रे …

यह कहते हुए उसने मुझे जोर से धक्का दे दिया.
वैसे मेरा ये पहला अनुभव था, तो मुझे भी लंड की जड़ में दर्द हो रहा था.

मैंने वाणी के माथे पर चूमा, उसकी आंखों पर चूमा और उसके बूब्स को आराम से सहलाने लगा.

इस बार मैंने वाणी को सही से बिस्तर पर लिटाया, उसके नीचे एक तकिया रखा और उसके दोनों पैर मेरे कंधों पर रख दिए. ताकि मुझे धक्के मारने में आसानी हो.

उसके पैर मेरे कंधों पर होने से उसकी चूत पूरी तरह खुल गई.
मैंने आसानी से उसकी चूत में अपना लंड घुसेड़ दिया और वह बड़े आराम से अन्दर चला गया.

उसकी चूत की गर्मी इतनी ज्यादा थी कि मुझे लगा जैसे मेरा लंड किसी तपती भट्टी में घुस गया हो.

मैंने धक्के लगाने शुरू कर दिए. जैसे ही मैं धक्का लगाता, उसके बड़े 38 के बूब्स आगे-पीछे हिलते थे.
वाणी भी बहुत मजे ले रही थी.

वह जोर-जोर से चिल्ला रही थी- आह … उउहह आआह … उम्म्म.’
उसकी कामुक आवाजें पूरे कमरे में गूंज रही थीं.

मैं धीरे-धीरे धक्के लगा रहा था और वह मजे से इसका आनन्द ले रही थी.
मैं तो मानो सातवें आसमान पर था.

रात के 12 बजे थे और कमरे में पूरा अंधेरा था. बस ‘आआहह … उउहहआआ … उम्म्म …’ की आवाजें गूंज रही थीं.
मैं उसके नाजुक कली जैसे कोमल होंठों का रस पी रहा था और जोर-जोर से उसके बूब्स दबा रहा था.

इससे वाणी और जोर से कसमसा जाती और मुझे उसकी चुत मेन धक्के देने में और ज्यादा उत्साह मिलता.

हम दोनों पसीने से पूरी तरह भीग गए थे. उस घने अंधेरे में भी हमारे शरीर पसीने से ऐसे चमक रहे थे मानो पूर्णिमा का चाँद निकल आया हो.
फिर मैंने वाणी को घोड़ी बनाया और उसकी चूत में पीछे से लंड घुसाने के लिए तैयार हो गया.

उसकी बड़ी गांड को मैं महसूस कर सकता था.
मैंने धीरे से टटोल कर उसकी चूत पर अपना मूसल लंड लगाया और एक धक्का मारा.

इस बार एक ही धक्के में पूरा लंड चुत को चीरता हुआ अन्दर घुस गया और फिर से भट्टी में तपने के लिए तैयार हो गया था.

मैं बड़े मजे से उसकी गांड पर हाथों से चटाख-चटाख चांटे मार रहा था.
इससे उसे भी बहुत मजा आ रहा था. वह अपनी गांड उछाल-उछाल कर मेरा साथ दे रही थी.

मैंने धक्के और तेज कर दिए और वह और जोर से चिल्लाने लगी- आआहह. उउहहआआ आआहह उउहहआआ!

उसकी टांगें अकड़ गईं.
मैं समझ गया कि वाणी झड़ चुकी थी. मुझे भी उसके वीर्य का दबदबा मेरे लंड पर महसूस हो रहा था.

मैंने झट से अपना लंड बाहर निकाला और उसकी चूत का रस पीने के लिए अपना मुँह नीचे किया.
आआह्ह्ह … यार क्या स्वाद था. वह स्वाद मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता. मानो किसी प्यासे को अमृत मिलने की जो खुशी होती है, वही खुशी मुझे उस दिन मिली थी.

मेरा अभी हुआ नहीं था, तो मैंने उसे मेरे ऊपर लिया और नीचे से धक्के लगाने शुरू किए.
वाणी बहुत थकी-थकी लग रही थी.

मैं अब जल्दी निपटने के लिए जोर-जोर से धक्के लगाने लगा.
वाणी अभी भी कामुक सिसकारियां ले रही थी.

मैं उसके बूब्स दबा देता या उसे चूमकर उसकी जीभ का रस पी ले रहा था.
मेरा लंड से रस छूटने वाला था, तो मैंने धक्कों की गति बढ़ा दी.

कोई 6-7 धक्कों में मैंने उसकी चूत में ही अपना पूरा वीर्य छोड़ दिया.
मैंने आज अपने जीवन का परम आनन्द प्राप्त किया था.

छूटने के बाद मैंने उसे जोर से चूमा, उसके बूब्स को एक बार अच्छे से दबाया और हम दोनों एक-दूसरे से लिपट कर सो गए.
जब सुबह नींद खुली, तो मेरा एक हाथ उसके बूब्स पर था और उसका हाथ मेरे लंड पर था.

तो दोस्तो, ये मेरे जीवन की सच्ची सेक्स कहानी थी.
आपको कैसी लगी … प्लीज जरूर बताएं.

हिंदी सेक्स कॉम स्टोरी पर मुझे आपके मेल्स का इंतजार रहेगा.
आप मुझे नीचे लिखी मेल आईडी पर मेल भेज सकते हैं.
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