Bhabhi Devar Sex Hindi Kahani


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Story Start Here :

भाभी देवर सेक्स हिंदी कहानी में मैंने मम्मी को चाचा के लंड का मजा लेती देखा. तो मैंने मम्मी को खुल कर सेक्स का मजा दिलवाया. मैंने उन दोनों की नमस्त सुहागरात जैसी चुदाई करवाई.

दोस्तो, मैं अनुष्का आपको अपनी मम्मी की एक गैर मर्द के साथ चुदाई की कहानी सुना रही थी.
कहानी के पहले भाग
हॉट मॅाम को चाचा से चुदने में मदद की
में अब तक आपने पढ़ लिया था कि मम्मी की चुत को चाचा जी चाट रहे थे और जैसे ही मेरी मम्मी की चुत झड़ी चाचा जी ने चुत का सारा रस चाट लिया.

अब आगे भाभी देवर सेक्स हिंदी कहानी:

अब चाचा जी उठे और अपना लंड मम्मी के मुँह के पास ले आए.

मम्मी पड़ी-पड़ी हांफ रही थीं.
लेकिन उसने लपक कर लंड मुँह में भर लिया और लपर-लपर चूसने लगीं.

लेकिन चाचा जी के लंड को इससे कहां सब्र था?
उसे तो पूरा हलक तक जाना था, तभी मजा आता!

मम्मी ने बेड पर लेटे-लेटे लंड को निकाला और उसके गुलाबी टमाटर जैसे टोपे को जीभ घुमाकर चूसने लगी, साथ ही लंड को हिलाने लगीं.

चाचा जी आंखें बंद करके बोले- आह … उफ्फ भाभी जी और तेज चूसो अह्ह … कितने सालों से आपकी जवानी के लिए मर रहा था!
आज असली मजा आएगा आह … चूसो रानी!

अब चाचा जी ने मम्मी को बेड पर लेटाया और अपना मूसल जैसा लंड उसके मुँह में पेल दिया और मुख चोदन शुरू कर दिया.

उनका लंड बड़ी मुश्किल से अन्दर जा रहा था. मम्मी के लिए इसे संभालना मुश्किल हो रहा था.

उसकी आंखें बाहर आने को थीं.
लेकिन चाचा जी ने एक खिलाड़ी की तरह एक पैर बेड पर रखकर एक झटके में लंड हलक तक उतार दिया और मम्मी के मुँह में झटके लगाने लगे.

मम्मी ने जल्दी अपनी लार से लंड गीला कर दिया.

अब उनके मुँह से ‘आउक आउच आव्क आव्क आव्क आह …’ की आवाजें आने लगीं.

मम्मी के बूब्स हवा में गोते लगा रहे थे. आखिरकार, चाचा जी ने मम्मी को छोड़ दिया.

तब उनकी सांस में सांस आई और वे खांसती हुई बोलीं- क्या देवर जी, आपने तो मेरी जान ही निकाल दी … एकदम जालिम हो क्या?

तब चाचा जी ने मम्मी को नीचे बैठाते हुए कहा- अब क्या करूँ भाभी जी! आप सामने हो तो कंट्रोल नहीं कर सकता!
यह कह कर उन्होंने मम्मी के मुँह में फिर से लंड पेल दिया.

इस बार उन्होंने मम्मी के बालों का जूड़ा पकड़ कर झटके मारने शुरू कर दिए.
मम्मी ने खुद लंड पकड़ कर उसे पूरा अन्दर लेकर चूसना शुरू कर दिया.

आव्क् … आव्क् … आव्क् … की आवाज़ें गूँजने लगीं.

मैं देख देख कर हैरान होने लगी कि जो लंड पहले मुँह में नहीं जा रहा था, उसे मेरी मम्मी पूरा हलक में लेकर इतनी देर से चूस रही थीं.

अगले ही पल चाचा जी ने मम्मी को खड़ी कर दिया और उनके बूब्स चूसने लगे.

फिर उन्होंने मम्मी को बेड पर आने का इशारा किया. मम्मी बड़ी अदा से घोड़ी बन गईं.

उन्होंने अपनी कमर को ऐसे मोड़ा कि उनकी चूत पीछे बाहर निकल आई और उनके बड़े-बड़े दूध हवा में झूलने लगे.

मम्मी की बड़ी सी गांड हवा में ऊपर उठी थी मानो चाचा जी को चोदने का न्योता दे रही हो.

अब चाचा जी ने अपने लंड को हिलाया और बेड पर चढ़ गए.
उन्होंने मम्मी की कमर पकड़कर लंड को चूत पर घिसना शुरू किया.

मम्मी भी मीठी सिसकारियां छोड़ने लगीं- आह्ह् … आह … आआह्ह् … उफ्फ!

तभी चाचा जी ने एक तेज झटका मारा और उनका लंड रॉकेट की तरह चूत को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया.

मम्मी की तेज चीख निकल पड़ी- आह्हा! आई ई ई माँ … मर गई आह्ह् … ओह … मर गई फाड़ दी आह … निकालो आह … मर गई!

मम्मी आगे होकर बेड पर औंधे मुँह गिर पड़ीं.
उनके बालों का जूड़ा खुल गया और उनकी आंखों से पानी बहने लगा.

उन्हें देखकर लग रहा था कि अब हर रोज चाचा जी मम्मी का बेरहमी से बुरा हाल करेंगे जब तक कि मम्मी की चूत उनके लंड के शॉट्स की आदी न हो जाएं.

कमरे में मम्मी की वासना भरी चीखें गूँज रही थीं.
अब मम्मी को असली मर्द का सुख मिलने लगा था.
अपनी जवानी का सुख भोगने के लिए कुछ दिन यह दर्द सहन करना तो बनता था.

चाचा जी अब भी मम्मी को काबू में रखे हुए थे, पूरी ताकत से लंड को जड़ तक डालते हुए उनके बूब्स मसल रहे थे.

थोड़ी देर बाद मम्मी का दर्द कम हुआ और वे ‘आह … आह्ह् …’ करने लगीं.

चाचा जी ने लंड को चूत में पेले रखा और मम्मी को उसी पोजीशन में खड़ा कर उनके बूब्स मसलने लगे.

मम्मी का जूड़ा खुलने से उनके बाल बार-बार आगे आ रहे थे.
मम्मी ने फिर से अपने लंबे बालों का जूड़ा बनाना शुरू किया.

सच कहूँ तो जूड़ा बनाते समय मम्मी किसी फिल्म की एक्टर से कम नहीं लग रही थीं.
अब मम्मी सामान्य हो गई थीं.

चाचा जी ने लंड बाहर निकाला और मम्मी को फिर से घोड़ी बनाकर सवारी करने के लिए तैयार हो गए.
उन्होंने लंड को मम्मी की चूत में सैट किया.

तभी मम्मी ने पीछे मुड़कर कहा- देवर जी, अब आराम से … कहीं भागी नहीं जा रही … अब से ये आपकी ही है और खुलकर हमेशा के लिए!

एक कंटीली स्माइल के साथ मम्मी ने खुद अपने हाथ से चाचा के लंड को पकड़ कर छेद पर सैट कर दिया.
चाचा जी बोले- बस भाभी जी, रोकिए मत … अब आपकी चूत का रास्ता आज से पूरा खुल जाएगा. जो कमी उस दिन बाथरूम में रह गई थी, उसे आज पूरा कर दूँगा … फिर आप रोज खुलकर मज़े लेना!

शायद मेरी मम्मी को भी समझ आ गया था कि उनकी पूरी रात तसल्ली से बैंड बजने वाली थी.

तभी चाचा जी ने लंड को चूत की गहराई में उतार दिया और मम्मी चिहुंक उठीं- आह्ह्म आआह्ह् … आई ई ई मर गई!
कराह कर मम्मी ने अपनी कमर ऊपर को उठा दी.

चाचा जी ने फिर से मम्मी को घोड़ी बनाया और लंड पेल कर उन्हें बेड पर आगे गिरा दिया.
जैसे ही मम्मी गिरीं, चाचा ने अपने झटकों की स्पीड बढ़ा दी.

अब लंड अन्दर-बाहर हो रहा था, जो हर झटके के साथ चूत का भुर्ता बनाते हुए बच्चादानी को छू रहा था.

चूत के होंठ लंड के साथ अन्दर-बाहर खिंच रहे थे.
मम्मी बेडशीट को पकड़कर मुट्ठी भींचने लगीं और उनकी आवाज़ आंगन तक गूँज रही थी- आह … आआह्ह् … ओह्ह् … आह … आई ई ई!

उनके बूब्स एक ताल में हवा में झूल रहे थे और चाचा जी के हर झटके के साथ उनकी बॉडी मम्मी की बड़ी गांड से टकरा रही थी जिससे मस्त टपा-टप की आवाज़ से गूँज रही थी.

चाचा जी पूरे जोश में घोड़ी बनी मम्मी को ज़ोर-ज़ोर से पेल रहे थे.
उनकी चुदाई से मम्मी ज़्यादा देर टिक नहीं पाईं और एकदम से गांड उठा-उठाकर सामने से धक्के लगाने लगीं.

चाचा जी ने स्पीड और बढ़ा दी.
मम्मी और तेज सिसकारियां निकालने लगीं.
उनके पैर कांपने लगे और वे चिल्लाने लगीं- आह … आआह्ह् … ओह्ह् … आई ई ई आह … आउच मर गई आह … देवर जी गई … बस्स्स करो आह!

मम्मी की चूत में पड़ने वाले शॉट्स की स्पीड दोगुनी थी लेकिन उन्हें इसकी परवाह नहीं थी.

वे अपनी चूत से पानी गिराने लगी.

मम्मी दूसरी बार झड़ गईं पर चाचा जी की तो अभी शुरुआत थी.

मम्मी झड़ने के बाद निढाल होकर गिर पड़ीं लेकिन चाचा जी उसी स्पीड से लगे रहे.

चूत के झड़ने से गीली हो जाने के कारण हर झटके से फच्-फच् की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी.

चाचा जी ने मम्मी के बूब्स को अपने हाथों में थाम लिया और दबाने लगे.
उनकी पकड़ इतनी तेज थी कि लगता था मम्मी के बूब्स अब ज़्यादा दिन टाइट नहीं रहेंगे.

फिर चाचा जी ने मम्मी को सीधा लिटाया, उनके पैरों को अपनी मज़बूत कंधों पर रखा और लंड को फिर से गहराई में उतार दिया.

मम्मी की चूत सूजने लगी थी.
वे बेड पर चित पड़ीं अपने मम्मों को पकड़े हुई चिल्ला रही थीं- आह … आउ … आह्ह् … आई ई ई … ओह्ह् … उफ्फ्फ! आह!

उन्हें यह भी अहसास नहीं था कि घर में बेटी भी सो रही है.
वे आज जीवन का पहला सुख लेने में मगन थीं.

चाचा जी राजधानी एक्सप्रेस की स्पीड से मम्मी की चूत की मस्त चुदाई कर रहे थे.

फिर चाचा जी कुछ पल के लिए धीमे हुए और मम्मी के पैरों को मोड़ते हुए उनके ऊपर लेट गए.
धीरे-धीरे चुदाई करते हुए उन्होंने मम्मी के बूब्स को बुरी तरह चूसना शुरू कर दिया.
‘उम्ह उम्हाहा उम्हा!’ की आवाजें निकलने लगीं.

थोड़ी देर ऐसा करने पर मम्मी फिर से गर्म होने लगीं और चाचा जी को दबाते हुए नीचे से गांड उठा-उठाकर लंड को और गहराई में लेने लगीं.

अब चाचा जी ने मम्मी के हाथ उनके गले में डलवाए और उन्हें गोद में उठाकर बेड के साइड में ले आए.
लंड को सैट करके वह चुदाई मशीन की तरह शुरू हो गए, जैसे कोई पॉर्न स्टार करता है.

इस जोरदार चुदाई से मम्मी की हालत और उनकी चूत की हालत बहुत खराब होने वाली थी.
वे चीखने लगीं- आह … आह … मर गई, देवर जी आह … जान लेकर रहोगे आज आह … आह … धीरे प्लीज धीरे! आई ई ई!

चाचा इतनी स्पीड से चोद रहे थे कि मम्मी की आंखें फूलने लगीं, उनके बाल खुलकर लहराने लगे, उनकी चूत पूरी तरह खिंचने लगी और लंड सीधा बच्चेदानी में ठोकर मार रहा था.

इसका असर ऐसा हुआ कि मम्मी की चूत फिर से पानी का झरना बनने वाली थी.
वे ‘आह … आह … आआह्ह् …’ करती हुई और तेज चीखने लगीं.

अब चाचा जी ने उन्हें नीचे उतारा और बेड पर घोड़ी बना दिया.

मम्मी की चूत का छेद इतनी देर में इतना बड़ा हो गया था कि लंड बाहर निकलने के बाद भी वह खुला रह गया.

चाचा जी ने फिर से लंड डाला और मम्मी के बालों को पीछे से पकड़ कर तेज-तेज शॉट लगाने लगे.
चाचा बोले- भाभी जी, बस अब संभल जाना!

उनकी फुर्ती और स्पीड को सहन करना मम्मी के लिए मुश्किल हो रहा था.
वे बेड की किनारी को मजबूती से पकड़े हुई थीं और ‘आह … आह … आऊ! आह्ह् … आई ई ई ईई … ओह्ह् … उफ्फ्फ!’ करती हुई झटके सहन करने में लगी थीं.

अब चाचा का शरीर अकड़ने लगा, उनका होने वाला था.
उस वक्त तो चाचा जी ने इतने जोर-जोर से शॉट लगाए कि क्या ही काहूँ.

चाचा- आह … भाभी जी आह … बस! आह … उफ्फ!

उनके शॉट ऐसे लग रहे थे जैसे लंड मम्मी को फाड़कर दूसरी तरफ से निकल जाएगा.

मम्मी भी अपनी जवानी लुटाने पर तुली थीं.
वे सब सहन कर गईं.

फिर दोनों एक साथ ढेर हो गए.
चाचा जी ने अपना लंड चूत की जड़ में जमा दिया और उनका लावा उगलने लगा.
उनका लंड किसी पंप की तरह मम्मी की चूत में मलाई भरने लगा, जिसका अहसास मम्मी उनकी फूलती नसों से भी कर सकती थीं.

दोनों हांफते हुए उसी अवस्था में गिर गए.
उनकी इस भयंकर चुदाई को देखकर मैं भी एक बार झड़ गई.

कुछ देर बाद जब चाचा जी उठे, उनका लंड ‘फच्’ की आवाज के साथ बाहर आया और मम्मी की चूत से एकदम गाढ़ा माल बहने लगा.

चाचा जी का लंड आधी बैठी अवस्था में भी बहुत बड़ा लग रहा था.

वे साइड में लेट गए और मम्मी सीधी लेट गईं.
मम्मी पैर चौड़े करके पड़ी रहीं.

जिस अंदाज में आज उनकी चुदाई हुई थी, उससे लग रहा था कि वे कुछ दिन पैर चौड़े करके ही चलेंगी.

मम्मी के बूब्स एकदम लाल थे, उन पर चाचा जी की उंगलियों और काटने के निशान बन गए थे.
उनकी चूत भी काफी ज्यादा बड़ी लग रही थी.

पर अभी तो रात बाकी थी.
अभी तो एक पारी ही खेली थी दोनों ने.

भले ही मम्मी की चूत का हाल बुरा हो, पर चाचा जी अभी उन्हें छोड़ने वाले नहीं थे.
मैं भी अपने रूम में आ गई और सोने लगी.

रात में रुक-रुककर चुदाई की आवाजें आ रही थीं.

फिर सुबह पांच बजे मेरी आंखें खुलीं तो मम्मी की चुदाई शुरू हो चुकी थी और शायद काफी देर से चल रही थी.
अब उनकी सिसकारियां नहीं, चीखें पूरे घर में सुनाई दे रही थीं.

मैं वापस खिड़की के पास गई तो देखा, मम्मी उल्टे मुँह घोड़ी बनी पड़ी थी.
चाचा जी ने उनके दोनों हाथ पीछे पकड़ रखे थे और बहुत तेज-तेज शॉट मार रहे थे.

रूम में बेड और मम्मी की हालत देखकर लग रहा था कि पूरी रात उन्हें घोड़ी बनाकर पेला गया है.

टेबल का सामान भी बिखरा पड़ा था.

मम्मी के बूब्स, पेट और कमर पर लाल निशान बन गए थे.
उनके बाल बुरी तरह बिखरे हुए थे और वे पसीने से लथपथ थीं.

मम्मी हर शॉट पर चिल्ला रही थीं- आह … हाय मर गई … अब जलन हो रही है! प्लीज छोड़ दो अब आह … मर गई … आह … आह!

सबसे बड़ी बात, उनकी चूत से एकदम गाढ़ा माल पैरों से टपक रहा था.
बेड शीट पर भी दोनों के चूत का मिक्स माल काफी लग चुका था.

चाचा जी झटके पर झटका लगाते हुए बोल रहे थे- आह … उफ्फ भाभी जी, जब पूरी रात मेरे लंड को सहन कर लिया, तो अब 10 मिनट और! फिर तो आज बाद आप खुद ऊपर उछल उछल कर लिया करोगी! अब तो आप चाहोगी, तो हर रोज आपके बेडरूम में आपकी खुल के सेवा करूँगा आह … भाभी जी! बस थोड़ी देर और डटी रहो!

मम्मी कहराती हुई बोलीं- आह … आह … आह … आऊ उफ्फ … पूरी रात से थोड़ी देर थोड़ी देर बोले जा रहे हो! अब क्या सुरंग खोद डालोगे? आह्ह्म आआह्ह् … मैं गई … आह … मैं आ गई … ई!

तभी चाचा जी ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और चूत अब रात से ज्यादा फच्-फच् बजने लगी.
तभी दोनों ने एक साथ लावा उगलना शुरू कर दिया.

मम्मी बेजान होकर आगे गिर गईं और चाचा जी ने आखिरी बूंद अन्दर निकाल कर अपने लंड को फच् की आवाज के साथ बाहर निकाला और मम्मी की कुर्ती से पौंछ डाला.

उन्होंने अपने कपड़े पहने, मम्मी को उठाया और बोले- भाभी जी, अब बताओ … कैसा लग रहा है? अब अपने देवर को याद करोगी?
मम्मी ने उनको गले से लगाते हुए कहा- याद क्या लाला … जो हाल रात भर में आपने किया, इसको मैं इस जीवन में तो नहीं भूलने वाली!

फिर वे चाचा जी को किस करने लगीं.

जब चाचा जी जाने लगे तो मैं एक बार रूम में आ गई.

उनके जाने के बाद देखा, मम्मी वापस चादर ओढ़कर सो गईं.

उसके बाद मैं उठी और चाय बनाकर मम्मी के लिए ले गई.

उनकी चादर ऊपर से उठाते हुए मजे लेती हुई बोली- हाय मेरी स्वीट मम्मा … मन भर गया हो चाचा जी से … तो उठ जाओ और चाय पी लो! वे तो पूरा दूध पीकर चले गए!
मम्मी अब भी आंखें बंद किए सो रही थीं.

मैं उनके बूब्स देखने लगी.
उनके बूब्स पर अब भी लाल निशान और अंगुलियों के निशान बने हुए थे.
निपल्स को बुरी तरह चूसकर छोड़ दिया गया था.
उनके बूब्स से थूक की मस्त स्मेल आ रही थी.

मुझसे रहा नहीं गया और मैं उनके बूब्स को पकड़ कर तेजी से चूसने लगी.
सचमुच, एक नमकीन सा अलग ही टेस्ट था!

तभी मम्मी ने ‘आह्ह्म आह … उफ्फ्फ!’ करते हुए कहा- हट बेशर्म … क्या कर रही है … छोड़ न!

फिर उन्होंने बड़े प्यार से मुझे गले से लगाया और बोलीं- बेटू … अब नहीं, एक बार ठीक होने दे! मैं बिल्कुल थक चुकी हूँ! बाद में पी लेना!

फिर मम्मी वापस सो गईं.

उनकी चूत का अब भुर्ता बन गया था.
वह एकदम बुरी तरह फटकर खुल चुकी थी.

अब सामान्य में भी उनकी चूत खुली रहती थी और चुत के बड़े-बड़े होंठ एकदम से खुल गए थे.
चुत पहले से लंबी हो गई थी.

दोस्तो, इस चुदाई के बाद मम्मी दो-तीन दिन ऐसे ही पड़ी रही थीं.
वे कम कपड़ों में और पैर फैलाकर लेटी रहती थीं.

मम्मी और चाचा जी का घर पर रात में रोज का काम हो गया था.
मम्मी अब उनके बिना नहीं रह पाती थीं और मैं उनकी खूब मदद करती थी.

मेरी मम्मी पहले जितनी टाइट नहीं रहीं.
उनकी गांड और बड़ी होने लगी और बूब्स को बहुत ज्यादा कसकर रखना पड़ता था क्योंकि वे पहले से लटक गए थे.

मम्मी अब खुद को तैयार करने और ज्यादा सेक्सी बनकर रहने लगीं.

मैं भी उन्हें नए आइडिया देती और उनके मजे लेती.

अब पापा के लंड से उन्हें कुछ फर्क नहीं पड़ता था.
कभी-कभी मैं मम्मी से पूछती हूँ कि पापा के साथ सेक्स कैसा रहा, तो उन्हें बहुत हंसी आती है.
वे बोलती हैं- उनका कभी मेरी गहराई में गुम ना हो जाए!

फिर मम्मी बताती हैं- शादी के बाद से मैं कभी तेरे पापा से ठंडी नहीं हुई. पहले बहुत मन करता था, फिर परिवार की सोचकर चुप रही और अपनी आग को अन्दर ही रहने दिया. लेकिन तेरे चाचा जी ने पहल करके मुझे वह सुख दिया, जिसकी कभी उम्मीद नहीं थी!

अब आगे की सेक्स कहानी में बताऊंगी कि कैसे चाचा जी की दुल्हन बनकर मम्मी ने उन्हें मजा दिया और उनकी गांड का मुहूर्त हुआ.
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