Hindi Gay Sex Story – अपनी गांड मरवाने के लिए नौकर रखा


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Story Start Here :

हिंदी गे सेक्स स्टोरी में पढ़ाई करते वक्त मुझे अपने दोस्त से गांड मरवाने का शौक लग गया. बिजनेस में लगने के बाद मेरे गान्डूपन को ब्रेक लग गया. तो मैंने इस काम के लिए नौकर रख लिए.

राहुल को कॉलेज हॉस्टल में अपने रूम पार्टनर से गांड मरवाने में मजा आता था.
एक दिन वह कॉलेज से पास होने के बाद घर आया.
उसे कोई टॉप (जिसे गांड मारने में आनन्द आता हो.) नहीं मिला था, जो उसे गांडानन्द दे और बात को गुप्त भी रखे.

उसने इस काम के लिए नौकर रख लिया.

हैलो दोस्तो, यह सेक्स कहानी मुझे मेरे एक पाठक ने भेजी है. उसने अपना नाम राहुल बताया.

राहुल के द्वारा यह गे सेक्स कहानी भेजने का उद्देश्य है कि यदि किसी ने गांड मरवाने का मजा लिया और यदि उसका टॉप बिछड़ गया हो, तो टॉप का इंतजाम ऐसे भी कर सकते हैं.

अब आप राहुल की हिंदी गे सेक्स स्टोरी उसी की जुबानी सुनें.

मेरे पिताजी का होल-सेल का बड़ा व्यापार है.
मैंने ग्रेजुएशन के बाद मैनेजमेंट कोटे में एमबीए में एडमिशन लिया.

हमारे साथ मैनेजमेंट कोटे के कुछ और छात्र थे, सभी व्यापारी घराने से थे.

हमारी अलग क्लास लगती थी, जिसमें उतना ही पढ़ाया जाता, जो हमें अपने बिसनेस में काम आए.
इस वजह से हमें काफी खाली समय मिलता था.

मैं गेहुंए रंगत का भरे शरीर का था.
मेरा हॉस्टल रूम पार्टनर विनय भी अमीर घराने से था.
वह गोरा और गठे हुए बदन का था.

हमें मस्ती करने के लिए काफी समय मिलता था.
हम दोनों ने कुछ लड़कियों से दोस्ती की, पर उससे आगे नहीं बढ़े.

मैं विनय के साथ बैठकर सेक्स वीडियो देखता, हम दोनों उत्तेजना में आकर साथ में मुठ मारकर सो जाते.

विनय का लंड मेरे लंड के जितना ही लम्बा मोटा था, पर उसका लंड आम भारतीयों के जैसे काला लंड नहीं था, बहुत गोरा लौड़ा था.
शायद लड़कियों को गोरे लौड़े बहुत पसंद आते होंगे … इसीलिए वह अपने लौड़े की तस्वीर को नेट पर जहां तहां अपलोड कर देता था.

एक शाम हमें इंटरनेट पर गे सेक्स वीडियो मिला, हम दोनों देखने लगे.

हमने चर्चा की कि हम दोनों ही गे सेक्स करके देखते हैं.
उससे ऐसी बात करते ही मेरी गांड कुलबुलाने लगी.
हमने गांड मारने/मरवाने के बारे में पढ़ा, कुंवारी गांड मारने से गांड चिर सकती है. गांड को मारने से पहले तैयार करना पड़ता है.

विनय- यार, वीडियो देखने के बाद मेरी गांड मारने की इच्छा हो रही है!

वीडियो देखते समय मेरी गांड भी किसी का लंड लेने के लिए कुलबुला रही थी.

तय हुआ मैं अपनी गांड को तैयार करना शुरू करूँगा.
मैं बाथरूम में तेल लगाकर गांड में एक उंगली डालता, फिर दो और उन्हें अन्दर बाहर करके मजा लेने लगा था.

फिर मैं लंड से थोड़ा कम मोटी मोमबत्ती ले आया.

मैंने मोमबती में खांचा काटकर रस्सी लगा दी, मोमबत्ती गांड में डालकर रस्सी लंगोट की तरह पहनता कमरे में चलता मजा आता.
रस्सी से मोमबत्ती बाहर नहीं निकलती और पूरी इतनी अन्दर भी नहीं जा पाती कि उसका निकलना मुश्किल हो जाए.

मैं मोमबत्ती डालकर विनय के साथ चूमा-चाटी करता.
हम दोनों 69 में एक दूसरे का लंड भी चूसते.
विनय वीर्य थूक देता, जबकि मैं पी जाता.

चार दिनों बाद मैं बिना ज्यादा दर्द के मोमबती डालने लगा.

शनिवार शाम मेरी गांड का उद्घाटन तय हुआ.
विनय कंडोम आदि ले आया.

शनिवार को समय से हमने चूमा-चाटी आरंभ की.

विनय ने मेरे पुरुष चूचे चूसे, उससे मुझे मजा और जोश आया.

मैंने के-वाई जैल को अपनी गांड के अन्दर तक लगा लिया, विनय ने अपने लौड़े पर कंडोम पहन लिया.

मैंने पेट के बल लेटकर अपने कूल्हे हाथ से फैलाकर छेद से दूर कर दिए, गांड ढीली छोड़ दी.
विनय धीरे धीरे लंड गांड में डालने लगा मुझे दर्द हुआ तो मैं ‘आ आ …’ कर रहा था.

मर्द का लंड तो आखिर लंड ही होता है, तब भी मैं दर्द सह गया.
मुझे उस वक्त लगा कि मैं लड़की हूँ.

पूरा लंड अन्दर जाने के बाद मैंने विनय से कहा- अभी लौड़े को अन्दर पेले रख और मेरे ऊपर चुपचाप लेट जा, जब मेरा दर्द कम होगा तो मैं बताऊंगा!

थोड़ी देर में दर्द कम हुआ, मैंने विनय को बताया.

विनय धीरे धीरे मेरी गांड मारने लगा.
अब मुझे मजा ज्यादा, दर्द कम हो रहा था.

मैं बोला कि और जोर से पेलो.
विनय ने गति बढ़ा दी.

कुछ देर बाद विनय कंडोम में झड़ गया.
हम दोनों को मजा आया.

मैं बाथरूम की ओर जाने लगा, तो मुझे चलने में थोड़ी मुश्किल हुई और गांड में हल्की जलन भी हो रही थी.

सुबह फ्रेश होने के बाद मैं कमर के नीचे तकिया लगाकर चित लेट गया और मैंने अपने पांव छाती की तरफ कर लिए.

इस आसन में विनय ने कंडोम पहनकर मेरी गांड मारी.
इसे मिसनरी पोजीशन कहते हैं.

ऐसे में हम दोनों चुदाई के साथ साथ एक दूसरे से बात भी कर रहे थे.

उस रात विनय ने मुझे घोड़ी बनाकर पलंग के किनारे खड़ा किया, खुद फर्श पर खड़े होकर मेरी कमर पकड़ कर घमासान गांड मारी.

तब से करीब हर रात मैं गांड मरवाता, हम दोनों को मजा आता.

मैं गांड मरवाते समय इतना उत्तेजित हो जाता कि अपना लंड बिना छुए ही झड़ जाता.
हर बार मैं के-वाई जैल लुब्रिकेशन अपनी गांड में डालता क्योंकि तेल लगाने से कंडोम फट सकता है.

एक रात हमारे पास कंडोम ख़त्म हो गया. हमने फिर नेट को सर्च किया.

बिना कंडोम के तेल लगाकर गांड मार सकते हैं क्या?

उत्तर मिला कि यदि दोनों को यौन बीमारी न हो, तो बिना कंडोम के गांड मारी जा सकती है.
मगर सेक्स के बाद लंड साबुन से धोना चाहिए. नहीं धोया … तो गांड के कीटाणुओं से लंड में इन्फेक्शन हो सकता है.

उस रात हम दोनों ने पहली बार बिना कंडोम के सेक्स किया.
उस में दोनों को ज्यादा मजा आया.

जब विनय ने मेरी गांड वीर्य से भर दी, मुझे बड़ा सकून आया. ऐसा लगा, जैसे गर्मी के बाद बरसात हुई हो.
तब से हम बिना कंडोम के यौन आनन्द लेने लगे.

विनय ने मेरे पुरुष चूचे दबा दबा कर और चूस चूस कर फुला दिए थे.
अब मैं अपने फूले हुए दूध छिपाने के लिए उन पर एक कपड़े की पट्टी को कस कर बांधने लगा था.

हमारी एमबीए की फाइनल परीक्षा के बाद विनय अपने शहर चला गया.
मैं अपने घर आ गया. पर मेरी हिंदी गे सेक्स स्टोरी रुक गयी.

मैं पिताजी के बिजनेस में काम करने लगा.
विनय अपने बिसनेस में लग गया.

महीने में एक बार हवाई जहाज से विनय मेरे शहर आकर होटल में ठहरता और उधर हम दोनों यौन आनन्द लेते.

समय के साथ उसका आना कम होने लगा.
मैं मोमबत्ती गांड में डालकर संतुष्ट हो जाता, पर उसमें उतना मजा नहीं आता.

मैं अपनी गांड मरवाने के लिए किसी पर भरोसा नहीं कर पा रहा था.
शहर में हमें बहुत लोग जानते थे, बात खुलने पर बदनामी का डर था.

हमारी एक एकड़ जमीन थी, उसमें फार्महाउस था.

मैंने पिताजी की सहमति से हमारा बिज़नेस का सामान रखने के लिए गोदाम और चौकदार के लिए दो कमरे बाथरूम बनवाना शुरू किया.

जवान मजदूर जब खाली बदन काम करते, तो मुझे वे आकर्षित लगते.
मजदूर मुझे साहब कहते, तो मैं सोचने लगता कि इनसे कैसे गांड मरवा सकता हूँ.

मैंने अन्तर्वासना में सेक्स कहानियां पढ़ी थीं, जिसमें पत्नी पति से यौन असंतुष्ट थी.
पत्नी ने अपनी चुदाई के लिए नौकरों को पटा लिया था.

मैंने सोचा कि इन जवान मजदूरों में से दो को स्थायी चौकीदारी के लिए रख लूँ, तो मेरा काम बन सकता है.

मजदूरों को मेरा नाम, मेरे परिवार के बारे में पता नहीं है; उनको चुप रखना आसान होगा.

चौकीदार के दो कमरों में मजदूर खाना खाते आराम करते.
उन्होंने बोरे बिछा रखे थे.

मैंने दोनों कमरों और उनके बाथरूम में गुप्त सीसीटीवी कैमरा लगा दिए, जिसमें आवाज़ भी रिकॉर्ड होती.

मजदूर काम ख़त्म होने पर बाथरूम में नहाते थे.

उनमें से दो जवान तगड़े मजदूर राजू और वीरेन मुझे पसन्द आए.

दोनों नहाते समय कभी कभी मुठ मारते, दोनों के लंड मेरे दोस्त विनय के समान मोटे लम्बे थे.

राजू का लंड विनय के समान गोरा था, जबकि वीरेन का काला.

मैं रात को सीसीटीवी की रिकॉर्डिंग देखता.

एक दिन मैंने देखा काम के बाद भी तीन मजदूर रुक गए, तीनों नहाए.

राजू तीसरे दुबले काले मजदूर को कमरे ले गया, उसके कपड़े उतार कर उसे चूमा, चूचे दबाए.
फिर कंडोम लगाकर उसकी गांड मारी.

राजू के कमरे से निकलते ही वीरेन अन्दर आ गया.
उसने भी तीसरे मजदूर की कंडोम लगाकर गांड मारी.

राजू वीरेन में काफी दम था.
उन्होंने काफी देर गांड मारी.
गांड मरवाने वाला सिसकारी लेकर मजा ले रहा था.

मैंने राजू, वीरेन को पटाने की सोची.

राजू, वीरेन से बात करने पर पता चला दोनों शादी-शुदा हैं. उनके परिवार गांव में रहते हैं.
वे इधर झोपड़ी में रहते थे.

मैंने दोनों से कहा कि गोदाम का काम ख़त्म होने तक दोनों यहीं रहें और रखवाली करें. दीवार के ताजे हुए प्लास्टर पर पानी मारे.
दोनों राजी हो गए.

मैंने कहा- हम कर्मचारी रखने के पहले उसकी डॉक्टरी जांच करते हैं.

यह कहकर मैं उन दोनों को डॉक्टर के पास ले गया.
मैंने डॉक्टर को अंग्रेजी में बताया कि आप यह जांच करें कि इन दोनों को यौन जनित या किसी अन्य तरह की बीमारी तो नहीं है?

डॉक्टर ने सैम्पल ले लिए.
तीन दिन में रिपोर्ट आ गयी कि कोई बीमारी नहीं है.

वे दोनों रहने आ गए.

मैंने राजू, वीरेन से दोस्ती बढ़ानी शुरू की.
उनसे पता किया कि वे कितना कमाते हैं. वे कभी कभी शराब पीते थे और पुलिस से डरते थे.

बिजनेस के सिलसिले में हमें पुलिस से संबंध रखने पड़ते हैं.

मैं पुलिस इंस्पेक्टर को फार्महाउस ले आया, राजू वीरेन को बुलाकर कहा- अपने पहचान पत्र साहब को दिखाओ.

दोनों ने आधार कार्ड दिखाया, इंस्पेक्टर ने दोनों की फोटो खींची.

एक शाम मैं शराब की बोतल और खाना लेकर आया.

हम सब फार्महाउस में थे.
वे दोनों मेरे साथ पीने में सकुचा रहे थे.

मैंने कहा कि काम के बाद मैं तुम्हारा दोस्त हूँ, मुझे झिझको नहीं.
हम तीनों पीने बैठे.

मैं- तुम दोनों घर से दूर रहते हो, तुम्हें और पत्नी को यौन आनन्द नहीं मिलता है, तो तकलीफ होती होगी!

दोनों ने बताया कि गांव में खेती देखने के लिए उनका छोटा भाई है, वह उनकी पत्नियों की जरूरत पूरी करता है. तकलीफ तो हमको है.

मैं- मुझे पता है कि तुम दोनों एक लड़के के साथ कमरे में मजा करते हो?
वे दोनों मेरी इस बात से सकपका गए.

मैं ‘बाथरूम जा रहा हूँ’ कहकर उठा.

मैंने सिर्फ पजामा पहना था.
अन्दर चड्डी नहीं पहनी थी.
पजामे का नाड़ा भी ढीला बांधा था.

जैसे ही मैं खड़ा हुआ, मेरा पजामा खिसक कर नीचे गिर गया.
मेरी पीठ दोनों की तरफ थी. मैं आराम से नीचे झुका, तो मैंने देखा दोनों मेरी भरे गोल गेहुंए कूल्हों को देख कर लंड सहला रहे थे.

मैं उनको अपनी गांड का लालच देकर सहजता से पजामा पहन कर बाथरूम में चला गया.

जब मैं वापस आ रहा था तो मैंने छुपकर सुना.
वे दोनों बोल रहे थे कि साहब के कूल्हे कितने मस्त हैं. हमारी जोरूओं (पत्नियों) से भी ज्यादा मस्त. यदि साहब की गांड मारने मिले, तो सच में मजा आ जाएगा.

मैं कमरे में आया.

मैं- मैंने तुम दोनों की बातें सुन ली हैं. मैं अपनी देने के लिए राजी हूँ. शर्त यही है कि तुम दोनों किसी को नहीं बताओगे. यदि बताया तो पुलिस केस में फंसा दूंगा … और किसी अन्य लड़के से यौन संबंध नहीं रखोगे. तुम दोनों यहां रहोगे और गोदाम का सामान ट्रक से उतारोगे, चढ़ाओगे. तुम जितना कमाते हो, तुम्हें उससे दुगनी तनखाह मिलेगी. खाली ज़मीन पर सब्जी उगा कर भी बेच सकते हो!

मैं एक सांस में सब कह गया.
वे दोनों अचम्भे में थे.

सोमेश बोला- साहब, आपने सोच कर बोला है या न/शे में कह रहे हैं?
मैं- मैंने थोड़ी सी ही पी है, सोचकर ही बोला हूँ.

दोनों ने आपस में सलाह की और एक साथ बोले कि हम दोनों तैयार हैं.

दोस्तो, यहां तक आपने यह समझ लिया है कि अब मेरी गांड मारने के लिए मैंने दो मस्त घोड़े तैयार कर लिए हैं.
अगले भाग में आपको मेरी गांड चुदाई की कहानी दो लंड से होती हुई … पढ़ने को मिलेगी.

आपको यह हिंदी गे सेक्स स्टोरी कैसी लगी, मेरी मेल आइडी पर जरूर बताएं.
अपनी मेल में कहानी का नाम अवश्य लिखें, मैंने बहुत सी सेक्स कहानियां लिखी हैं, इसलिए जबाव देने में आसानी होगी.

आपका रतन दत्त
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