Teenage Virgin Girl Fuck Story- उन्नीस साल की लड़की की चुत की चुलबुलाहट


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Story Start Here :

टीनऐज वर्जिन गर्ल फक स्टोरी में मेरे फोन पर एक नम्बर से बहुत मिस काल आती थी. एक बार मैंने उसे कॉल किया. वह एक लड़की थी, उससे मेरी दोस्ती हो गयी.

दोस्तो, मेरा नाम दिलीप है और मेरी उम्र अभी इस समय 35 साल है.
मैं जयपुर, राजस्थान का रहने वाला हूँ.

मैं अपनी इस दिलकश सेक्स कहानी को आज आपके साथ साझा कर रहा हूँ.

इस रसीली टीनऐज वर्जिन गर्ल फक स्टोरी में आप जानेंगे कि एक 19 साल की नाज़ुक, भोली-सी लड़की ने किस तरह से एक मिस कॉल से मेरे दिल की धड़कनें बढ़ाईं और अपनी मासूमियत मेरे हवाले कर दी.

बात अक्टूबर 2012 की है.
उस वक्त मेरा काम कैंटीन एक्सिबिशन का था.
राजस्थान से बाहर जाकर राजस्थानी खाने की स्टॉल लगाता था, जहां दाल-बाटी-चूरमा की खुशबू हर किसी को ललचा देती थी.

मेरे पास दिन भर एक्सिबिशन के लिए कॉल आते रहते थे.
मैं सिर्फ़ सेव किए नंबर या राजस्थान के लोकल नंबर ही उठाता था.

उस समय एंड्रॉयड फोन कम चलते थे और मेरे पास एक साधारण सा फोन था.

उस वक्त मैं अपना काम पूरा करके घर पर आराम फरमा रहा था.

अगले 15 दिन तक कोई नया काम नहीं था तो मैंने फोन को थोड़ा इग्नोर कर रखा था.

मेरा फोन हर दो मिनट में बजता, पर मैं उठाता नहीं था.
कई बार अलग-अलग नंबरों से कॉल आते.

लेकिन एक खास नंबर से बार-बार कॉल आ रही थी.
तीन-चार दिन तक लगातार वह नंबर मेरे फोन की स्क्रीन पर चमकता रहा.
पर मैंने उसे अनदेखा किया.

एक दिन मैं कंप्यूटर पर बैठा था, इंटरनेट की रंगीन सेक्स वाली दुनिया में खोया हुआ था.
सामने काले लंड और गोरी चुत की चुदाई धकापेल चल रही थी और मैं अपना लंड सहला रहा था.

उसी वक्त फिर से उसी नंबर से कॉल आई.
मैंने फिर से अनदेखा किया, लेकिन इस बार जिज्ञासा जागी.

मैंने नंबर को गूगल पर सर्च किया कि ये किस स्टेट का है. गूगल ने बताया कि ये राजस्थान का नंबर है.

बस, फिर क्या था! मेरे दिल में एक हल्की-सी हलचल हुई और मैंने तुरंत उस नंबर पर कॉल बैक कर दिया.

वह एक लोकल नंबर था और मेरे दिल को कुछ बेचैनी-सी होने लगी थी.

कॉल करते ही एक लड़की ने फोन उठाया.
उसकी आवाज़ में एक अजीब-सी मिठास थी.

उसने कहा- पायल से बात करनी है.

मैंने हल्के से हंसते हुए कहा- अरे, आपने गलत नंबर मिलाया है. यहां कोई पायल नहीं है. मेरा नाम दिलीप है.
उसने तुरंत सॉरी कहा और फोन काट दिया.

उसकी आवाज़ मेरे कानों में गूँज रही थी.
मैंने भी फोन ऑफ किया और सो गया.

शाम को करीब 4 बजे उठा, नहाया, कपड़े पहने और पास के मैदान में क्रिकेट खेलने चला गया.

रात 8 बजे तक घर लौटा और फोन ऑन किया.

फोन ऑन करते ही देखा कि उसी लड़की के 16 मिस्ड कॉल थे, वह भी तब जब फोन ऑफ था.

मेरा दिल जोर से धड़का, मैंने तुरंत कॉल बैक किया.

उसने फोन उठाया और मैंने पूछा- आपने इतने कॉल किए थे?
उसकी आवाज़ में एक शरारत-सी थी, बोली- मैं तो बस ये बताने के लिए कॉल कर रही थी कि इस नंबर पर फोन मत करना. ये मेरे पति का नंबर है.

मैंने नॉर्मली ‘ओके’ कहा और फोन काट दिया.

लेकिन उसकी बातों में कुछ तो था जो मेरे दिमाग में घूम रहा था.

करीब एक घंटे बाद फिर उसका कॉल आया.
मैंने उठाया.

वह बोली- मेरी बुआ सास का देहांत हो गया है, अभी-अभी. मैं जा रही हूँ. प्लीज़, आप फोन मत करना.
मैंने पूछा- ठीक है, पर उन्हें हुआ क्या था?

वह बोली- बूढ़ी थीं, हो गया. मेरे हसबैंड आने वाले हैं, आप फोन मत करना.
मैंने हामी भरी और फोन काट दिया.

मेरे मन में सवालों का मेला लग गया.
शादीशुदा होने के बावजूद वह बार-बार क्यों कॉल कर रही थी?

मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया, खाना खाया और सोने की तैयारी करने लगा.

रात करीब 11:30 बजे फिर उसका कॉल आया … लेकिन इस बार सिर्फ़ मिस कॉल.
उस मिस कॉल को देखते ही मेरे दिल में एक अजीब-सी हलचल हुई.

उसकी आवाज़, उसका अंदाज़, सब कुछ मेरे ज़हन में नाचने लगा.

अब मेरे मन में एक शरारती ख्याल जागा और उसकी मासूम-सी बातों में छुपी शरारत मेरे दिल को छू गई.

मैं समझ गया कि ये लड़की कुछ और ही आग लिए बैठी है, जिसे शायद कोई ठंडा नहीं कर पा रहा.

मैंने तुरंत कॉल बैक किया.
उसने फोन उठाया और उसकी मखमली आवाज़ ने मेरे दिल को फिर से गुदगुदाया.

वह बोली- कैसे हो?
मैंने हल्की-सी शरारत के साथ कहा- ठीक हूँ, पर तुम तो अपने पति के साथ किसी डेथ में गई थीं ना?

वह हंसी और बोली- अरे, वह तो चले गए, मैं नहीं गई. अब अकेली हूँ घर पर!

बस, उसने जैसे ही ये कहा … मेरे बदन में एक सिहरन-सी दौड़ गई.

पता नहीं क्यों, उसकी बातों में कुछ ऐसा था जो मेरे दिल को बेकरार कर रहा था. हमने ढेर सारी बातें कीं.

उसने मुझसे पूछा कि मैं क्या करता हूँ, कहां रहता हूँ, मम्मी-पापा, परिवार के बारे में.
मैंने भी उससे वही सवाल किए.

उसने बताया कि वह भीलवाड़ा में रहती है.
हमारी बातें इतनी गहरी और रसीली हो गईं कि करीब एक घंटे तक चलती रहीं.

फिर तो हम रोज़ घंटों बात करने लगे.
वह मेरे साथ ऐसी बातें करती जैसे मेरी सबसे करीबी दोस्त हो.

धीरे-धीरे हमारी बातें और गहरी होने लगीं.
हमने अपनी ज़िंदगी के कुछ राज़ खोले, अपनी सेक्स लाइफ की बातें की.

मैंने उसे अपनी पुरानी गर्लफ्रेंड्स की कहानियां सुनाईं.
कॉलेज, स्कूल, टीनएज की वह शरारती यादें.

वह बड़े चाव से सुनती और फिर अपनी बातें बताती.
उसकी हर बात में एक अजीब-सी कशिश थी जो मेरे दिल को बेचैन कर देती थी.

जब हम ऐसी बातें करते, तो मेरे बदन में गर्मी-सी दौड़ने लगती.
मैं उससे हंसते हुए कहता- अरे तुम्हारी बातों ने तो मुझे बेकाबू कर दिया!

वह शर्माती हुई कहती- हाय, मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है.
मैं कई बार मज़ाक में कहता- सोनिया, मैं आ जाऊं क्या?

वह हंसकर मना कर देती, पर उसकी हंसी में एक न्योता-सा छुपा होता.
समय बीतता गया और हम दिनभर बस एक-दूसरे की बातों में खोए रहते.

फिर एक दिन मुझे दो महीने के लिए एक्ज़िबीशन पर जाना पड़ा.
यह छत्तीसगढ़ में भिलाई, रायपुर, राजनांदगांव में था और पूरे दो महीने का टूर था.

रोमिंग की वजह से हमारी बातें कम हो गईं.
उस समय दूसरे स्टेट में लोकल सिम लेना भी आसान नहीं था.

एक रात, जब हम बात कर रहे थे.
तब हमारी बातों को शायद तीन महीने से ज़्यादा हो चुके थे.

उसने मुझसे कुछ ऐसा कहा, जिसने मेरे होश उड़ा दिए.
उस वक्त मैं हरिद्वार में था, एक्ज़िबीशन के लिए.

फरवरी की सर्दी थी और ठंड मेरे बदन को चुभ रही थी.

उसने फोन पर धीमे से कहा- एक बात बताऊं?
मैंने कहा- बोलो.

वह बोली- मैंने तुमसे एक झूठ बोला था. मैंने चौंकते हुए पूछा- क्या?
वह बोली- मेरी कोई शादी नहीं हुई है. मैं तो बस 19 साल की हूँ.

उसने उसी दिन अपना असली नाम भी बताया.

पहले उसने नकली नाम संगीता साहू बताया था और अब असली नाम था सोनिया पुरी.

मैं तो पूरी तरह कन्फ्यूज़ हो गया.
मेरा दिमाग मानने को तैयार ही नहीं था.

मैंने कहा- सच बोल रही हो?
वह बोली- मिल लो, फिर यकीन हो जाएगा.

मैंने कहा- ठीक है, एक्ज़िबीशन खत्म करके मिलते हैं.

मैं कन्फ्यूज़ था, पर मन ही मन खुशी भी थी कि वह शादीशुदा नहीं है.
अगले दिन से हमारी बातें और गहरी हो गईं.

एक रात, सोने से पहले मैंने उसे मैसेज किया- आई लव यू.
उसका जवाब सुबह आया- सोचकर बताऊंगी.

अगले दिन से हमारी बातों में प्यार का रंग घुल गया.

अब आते हैं उस पल पर, जिसका इंतज़ार हमें दोनों को था.
जून में मेरा काम कुछ हल्का हुआ, क्योंकि जून 2013 में केदारनाथ में कुछ हादसा हो गया था. इस वजह से मुझे टाइम मिल गया.

फिर 22 जून को मैं भीलवाड़ा पहुंच गया.
कई होटलों में बात करने के बाद एक होटल वाला माना.

मैंने कहा- मेरी मंगेतर कल मिलने आएगी, तभी रूम लूँगा.

वह राज़ी हो गया, बस आईडी माँग रहा था.

लड़की ने मेरे ‘ओके’ कहते ही हल्की-सी मुस्कान के साथ सहमति दी.
उसने कहा- मैं अपनी आईडी ले आऊंगी.

शाम को हमने पहली बार एक-दूसरे को देखने का प्लान बनाया.
आखिर, पहले कभी मिले जो नहीं थे!

उसने एक सब्जी मंडी का नाम बताया, बोली- मैं वहां आऊंगी, मम्मी के साथ. सफेद सूट में … हाथ में थैला लिए और ठीक 7 बजे!
मैंने भी अपनी नीली शर्ट का जिक्र कर दिया, ताकि पहचान आसान हो.

मैं समय से पहुंच गया.
मेरे दिल में एक अजीब-सी बेकरारी थी.

दस मिनट बाद वह आई.
दूर से ही नजरें मिलीं और हम दोनों के चेहरों पर शरारती मुस्कान तैर गई.

वह थी तो बस उन्नीस साल की … लेकिन उसकी जवानी का आलम देखिए … खूबसूरत, मस्त और एकदम दिलकश. उसका चेहरा, वह बिखरे बाल, वह कामुक अंदाज … सब कुछ ऐसा कि नजर हटाए न हटे.

वह चली गई और मैं होटल लौट आया.

उसका ख्याल मन में ऐसा समाया कि बस दिल बेकाबू हो गया.

उसकी वह हसीन सूरत, वह नाजुक अदाएं … सब कुछ जैसे आग सी लग रही थी.

सुबह हुई.
मैं नहा-धोकर तैयार हुआ. दस बजे का वक्त था.

एक ऑटो लिया और उस जगह पहुंचा, जहां उसने बुलाया था.

वह वहां बैठी थी, एकदम ताजगी भरी, जैसे कोई फूल खिला हो.
ऑटो होटल की ओर चल पड़ा.

रास्ते में हम दोनों थोड़ा शर्माए, लेकिन धीरे-धीरे बातें शुरू हुईं.

उसकी आवाज में वह मिठास और नजाकत … हर शब्द जैसे दिल को छू रहा था.

होटल पहुंचे, आईडी दी और फिर रूम में कदम रखा.

वहां क्या-क्या बातें हुईं, वह तो बस वही दो दिल जानते हैं.

पहली मुलाकात में लड़का-लड़की के बीच जो गुदगुदी होती है, वह शब्दों में कहां बयां होती है.

खैर … वह सब छोड़ो.

अब बात उस पल की, जब हवा में रोमांच तैरने लगा.

हम दोनों बेड पर थे.
दोनों ने फोन ऑफ कर दिए जैसे दुनिया से बस हम दो ही बचे हों.
मैंने उसे धीरे से बांहों में खींच लिया.

वह मेरे सीने से लिपट गई, उसकी सांसें मेरे दिल की धड़कनों से टकरा रही थीं.
उसकी एक चोटी थी, मैंने उसे खोल दिया.

उसके रेशमी बालों में उंगलियां फेरीं और उसकी खुशबू ने मुझे मदहोश कर दिया.

मैंने उसके नाजुक होंठों पर अपने होंठ रखे.
वह मुलायम होंठ, जैसे गुलाब की पंखुड़ियां.

मैं उन्हें चूमने लगा और वह भी उतने ही जोश से मेरे होंठों को चूस रही थी.

हम दोनों जैसे एक-दूसरे में खो गए.

मैंने उसे बेड पर लिटाया और चुम्बनों की बारिश शुरू हो गई.

मेरा एक हाथ उसके उभरे हुए सीने को सहला रहा था.
मैंने शर्ट के अन्दर ही ब्रा खोल दी और उसके गुदाज़ बूब्स को दबाने लगा.

उसकी छोटी-छोटी, नुकीली घुंडियों को छूते ही एक करंट-सा दौड़ा.
हमारे होंठ और जीभ एक-दूसरे से ऐसे उलझे, जैसे कोई जुदा ही न करना चाहता हो.

फिर मैंने उसका कमीज उतारा. ब्रा पहले ही खुल चुकी थी, वह भी हट गई.

उसके गोरे, गोल-मटोल बूब्स मेरे सामने थे, जैसे चाँदनी रात में दो चाँद चमक रहे हों.

मैंने उन्हें चूमना शुरू किया, एक को चूसा, दूसरे को सहलाया.

इस बीच मेरा दूसरा हाथ उसकी सलवार का नाड़ा खोल चुका था.

उसकी चड्डी के अन्दर उंगलियां फेरीं और उसकी चूत को छुआ.

वह पूरी तरह गीली थी, इतनी नर्म और गर्म कि उंगलियों को मखमल-सा अहसास हुआ.

उसे छूने का मजा ही कुछ और था.

मैंने उसकी सलवार उतारी, फिर वह भूरी चड्डी … और फिर नजर पड़ी उसकी छोटी-सी नाजुक चूत पर.
इतनी खूबसूरत, इतनी कोमल कि बस देखते ही मन पागल हो गया.

मेरी जीभ ने उसकी चूत को चाटना शुरू किया.
उसकी मखमली नरमी, उसकी वह हल्की-सी कंपकंपी … मुझे तो जैसे जन्नत मिल गई.

मेरा लंड उसकी खूबसूरती देखकर और जोश में आ गया.

जब वक्त आया, तो उसकी आंखों में एक नशीली चमक थी.

वह ऐसे देख रही थी मानो वह बस मुझे अपने अन्दर महसूस करना चाहती हो.

मैंने अपने लंड का सिरा उसकी चूत पर रगड़ा.
वह बेकरारी से बोली- डाल दो न!

उसकी आवाज में एक बेचैनी थी.
उसकी चूत गर्म थी, गीली थी.

जैसे ही मैंने लंड का ऊपरी हिस्सा अन्दर डाला, वह दर्द से चीख पड़ी- हटो, हटो!

लेकिन मैं तो उसकी खूबसूरती में खो चुका था.
मैंने उसे प्यार से दबाया और धीरे-धीरे लंड को चुत के अन्दर सरकाया.

वह तड़प रही थी, उसकी टांगें सिकुड़ रही थीं.
मुझे भी थोड़ी ताकत लगानी पड़ी.

उसकी आंखें जैसे बेहोशी में डूब गई थीं.
मेरा लंड अभी आधा ही गया था कि वह छटपटाने लगी.

फिर मैंने एक सही पोजीशन बनाई और एक जोरदार झटके के साथ पूरा अन्दर डाल दिया.
इस बार वह बुरी तरह तड़प उठी.
मेरे लंड में भी हल्का-सा दर्द हुआ.

बीस-पच्चीस सेकंड तक मैं वैसे ही रुका.
वह जैसे अधमरी-सी हो गई थी.

फिर वह धीरे-धीरे रिलैक्स हुई.
मैंने चोदना शुरू किया.

उसकी चूत पूरी तरह गीली थी और वह अब निढाल-सी मेरे नीचे पड़ी थी.
मैं तो बस उसकी गहराई में खोया था. फिर मेरा पानी अन्दर ही छूट गया.

वह पल इतना सुकून भरा था कि बयां नहीं कर सकता.

जब मैं हटा, तो मेरे और उसकी चुत पर, मेरे लंड पर … सब जगह खू/न ही खू/न था.

मैंने उसे उठाया, हम दोनों बाथरूम गए, एक-दूसरे को साफ किया.
फिर वह नॉर्मल हुई.

मैंने उसे गर्भ निरोधक दवा दी ताकि कोई टेंशन न रहे.

आधे घंटे बाद वह टीनऐज वर्जिन गर्ल फक के बाद पूरी तरह ठीक थी.

मैंने होटल के बेड पर अखबार बिछा रखा था ताकि खू/न न फैले.
दोपहर तीन बजे के आसपास हम फिर एक-दूसरे में खो गए.

इस बार न खू/न आया, न ज्यादा चूत में दर्द हुआ.
मेरा लंड आराम से अन्दर-बाहर हुआ.

उसकी चूत अब भी टाइट थी लेकिन उसे भी सेक्स में मजा आने लगा था.

इस तरह से 2013 से 2017 तक मैंने उसे पच्चीस से ज्यादा बार चोदा.
कई बार वक्त निकालकर, कभी चोरी-छिपे.

फिर 30 जनवरी 2018 को उसकी शादी हो गई.
अब उसके दो बच्चे हैं. शादी के बाद भी दो बार हम मिले.
लेकिन अब उससे कोई संपर्क नहीं है.

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