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Story Start Here :
ड्रीम सेक्स कहानी विद मॅाम में मेरे दोस्त ने मुझे माँ बेटा सेक्स का बारे में बताया. मेरी अम्मी बहुत सैक्सी गदराई माल है तो मैं उनके बारे में सोच के मुठ मारने लगा.
ये कहानी जो आप पढ़ रहे हैं वो सगे माँ और बेटे की कहानी है जिसमें वो बेटा कोई और नहीं बल्कि मैं हूँ और जो अम्मी है वो मेरी ही सगी माँ है।
तो चलिए ज़्यादा आपके लंड को न तड़पते हुए ड्रीम सेक्स कहानी विद मॅाम शुरू करता हूँ।
सबसे पहले मैं अपनी इस कहानी को एक मादक माहौल में ढाल दूँ और अपना और अपनी अम्मी का एक छोटा सा परिचय दे दूँ.
मेरा नाम आसिफ है, उम्र 20 साल, हाइट 5 फुट 9 इंच और मेरा लंड औसत साइज़ का है … मतलब 5.8 इंच का, जो अपनी गर्मी से किसी को भी बेकरार कर दे.
अब बात मेरी कहानी की सेक्सी रानी, मेरी अम्मी की.
उनका नाम शगुफ्ता है, उम्र 42 साल, पर्दानशीं गोरी और ऐसी मादक माल कि देखते ही लंड सलामी देने लगे.
अम्मी का फिगर 38-32-40 का है.
उनके भरे हुए उभार, पतली कमर और वह भारी-भरकम गांड, जो हम पर्दानशीं समाज की खासियत को बयां करती है.
अम्मी की गांड इतनी बड़ी और रसीली है कि बस देखते ही उसे सहलाने का मन करे.
मेरे घर में दो छोटी बहनें भी हैं, पर वे अभी छोटी हैं, तो मुझे उनकी ओर ज्यादा रुझान नहीं. हां, उनकी गंजी और कच्छी को अपने लंड पर रगड़ने में जो न/शा मिलता है, वह अलग ही है.
मेरे अब्बू 49 साल के हैं, सरकारी नौकरी करते हैं.
शुरूआत में कोई भी बेटा मादरचोद नहीं होता, सब सीधे-सादे ही रहते हैं.
लेकिन कहते हैं न कि जिंदगी में जो होना होता है, वह होकर रहता है.
फिर अचानक से एक ऐसी घटना घटती है, जो रिश्तों की सारी हदें नंगी कर देती हैं.
उसी घटना को मैं सेक्स कहानी के रूप में लिख रहा हूँ. ये मेरी अम्मी पर पहली कहानी है
बात सर्दियों की है, जब मैं 18 साल का था.
मुझे सेक्स का पता था, पर ये नहीं मालूम था कि अम्मी के साथ भी ये आग भड़क सकती है.
एक ठंडी रात को आधी रात में मेरी नींद खुली.
हम मिडल क्लास परिवार से हैं, तो सब एक ही कमरे में सोते हैं.
अंधेरा था, कुछ दिखा नहीं, पर सुनाई दिया.
मेरी अम्मी धीमी, मादक आवाज में सिसकार रही थी ‘म्मा … आह्ह … धीरे … आह्ह …’
वे सिसकारियां मेरे कानों में पिघले शीशे की तरह उतरती चली गईं.
अब्बू अम्मी को पेल रहे थे.
मेरा लंड एकदम टाइट हो गया, शरीर में गर्मी की लहर दौड़ पड़ी.
उस रात के बाद मैं अम्मी को गंदी, भूखी नजरों से देखने लगा.
जब भी मौका मिलता, उनकी ब्रा को उनके रसीले, भरे हुए उभार समझकर दबाता.
उनकी पैंटी पहनता तो ऐसा लगता मानो मेरा लंड उनकी गर्म, नम चूत से सट रहा हो.
उफ्फ! वह अहसास मेरे लंड का पानी निकालने के लिए मजबूर कर देता था.
फिर एक रात मैं अपने इंस्टाग्राम पेज पर किसी इंसेस्ट फैन से बात कर रहा था.
उसने पूछा- क्या तुमने कभी अपनी अम्मी को चोदा?
मैंने तो चोदा नहीं था, सो कहा- नहीं.
उसने शरारत से पूछा- क्या अपनी अम्मी को चोदने का अहसास लेना चाहोगे?
मैंने कहा- अगर अम्मी के साथ ऐसा करूँगा तो वह गुस्सा हो जाएंगी, मार भी पड़ेगी!
वह हंसा और बोला- अरे पागल, मैं सच में चोदने की नहीं, उस फील की बात कर रहा हूँ.
मैंने उत्सुकता से पूछा- वह कैसे?
उसने कहा- अपनी अम्मी की पैंटी लो, अपने लंड पर लपेटो, रगड़ो और उनकी सेक्सी आवाज में उनका नाम लो.
मैंने कहा- ठीक है, ट्राई करता हूँ.
मैंने अम्मी की पैंटी उठाई, उसकी खुशबू से भरी, मुलायम पैंटी.
उसे अपने लंड पर लपेटा और रगड़ने लगा.
जैसा उसने बताया, मैं अम्मी की मादक छवि को याद करते हुए बुदबुदाया- ओह … शगुफ्ता … मेरी जान, कम ऑन बेबी … ओह यस! चूसो इसे, मेरे इस लंड को चूसो … ओह मेरी जान शगुफ्ता … आह्ह …
अम्मी की रसीली चूत और भारी गांड की कल्पना करते हुए मैं लंड को रगड़ता रहा.
पांच मिनट बाद मेरे लंड ने वह आग उगली कि सारा माल उसी पैंटी में झड़ गया.
वह गीली पैंटी मेरे हाथ में थी और मैं अम्मी के जिस्म के नशे में डूब गया.
फिर मैंने उस पैंटी को वहीं छोड़ दिया.
अगली सुबह शायद मेरी अम्मी के पीरियड्स शुरू हो गए थे क्योंकि वह सिर्फ बाहर जाते वक्त ब्रा-पैंटी पहनती थी और घर में पीरियड्स के दौरान ही पैंटी का इस्तेमाल करती थी.
उन्होंने सुबह वह पैंटी देखी होगी, जिसमें मेरे वीर्य के धब्बे साफ नजर आ रहे थे.
शायद इसलिए उन्होंने उसे धोकर सुखाया और दूसरी पैंटी पहन ली.
उस दिन के बाद से अम्मी की ब्रा-पैंटी मुझे आसानी से मिलनी बंद हो गईं.
मुझे लगा कि अम्मी समझ गई थीं कि उनका बेटा अब जवान हो चुका है और उसकी शरारतें बढ़ रही हैं.
इसलिए उन्होंने अपनी चीजों को छुपाकर रखना शुरू कर दिया था.
लेकिन मेरे मन की आग धीरे-धीरे और भड़कती जा रही थी.
अब मैं अम्मी से सटने की कोशिश करता. उनकी भारी, मटकती गांड, उनकी नाजुक कमर, उनकी मुलायम पीठ को छूने की हर मुमकिन तरकीब आजमाता.
अम्मी शायद मेरे इरादे भाँप रही थीं क्योंकि वे मुझसे दूरी बनाए रखने की कोशिश करती थीं.
जब मैं पास बैठता, वे हट जातीं, जैसे मेरी भूखी नजरों से बचना चाहती हों.
लेकिन आखिरकार वह रात आ ही गई, जिसका मुझे बेसब्री से इंतजार था.
गर्मियों का मौसम था और ऊपर वाले की मेहरबानी से मेरी अम्मी मेरे बगल में सोई हुई थीं.
उनकी नींद बहुत हल्की थी.
जरा-सा अहसास होता और वह जाग जातीं.
अगर ऐसा न होता, तो मैं कब का उनके रसीले दूध फिर से चख चुका होता.
खैर, उस रात न जाने कहां से मेरे अन्दर हिम्मत जागी.
अम्मी सूट पहनती थीं और उस गर्मी की रात में उन्होंने अपना जम्पर ऊपर उठा रखा था.
उनकी कमर से लेकर चूचियों के ठीक नीचे तक का हिस्सा खुला था.
मैंने गौर किया कि उन्होंने पैंटी नहीं पहनी थी.
मैंने नींद का बहाना बनाया और धीरे से उनकी गहरी नाभि पर हाथ रख दिया. जैसे ही मेरा हाथ उनके गर्म जिस्म से टकराया, मेरा लंड तन गया.
कमरे में अंधेरा था, सब साफ नहीं दिख रहा था, पर उनकी गर्मी मुझे पागल कर रही थी.
मैंने धीरे-धीरे अपने हाथ उनकी चूत की ओर बढ़ाना शुरू किया.
अम्मी की सलवार में नाड़ा नहीं, इलास्टिक था, जिसने मेरे काम को और आसान कर दिया. मेरा हाथ अन्दर जाने को तैयार था, पर दिल में डर था कि कहीं अम्मी जाग न जाएं.
फिर भी, हिम्मत जुटाकर मैंने अपनी दो उंगलियां उनकी सलवार के अन्दर डाल दीं.
मेरा जिस्म आग की तरह तप रहा था और लंड मानो अभी फट पड़े.
जैसे ही मेरी उंगलियां उनकी चूत के पास पहुंचीं, मुझे हल्के-हल्के बालों का अहसास हुआ.
मतलब, वे अपनी चूत के बाल साफ करती थीं.
शायद चुत की मखमली चिकनाई को बरकरार रखने के लिए.
अब मेरे सब्र का बांध टूट रहा था. मेरी उंगलियां उस रहस्यमयी, गर्म जगह पर पहुंच गई थीं, जहां से मैं इस दुनिया में आया था.
उस रात के बाद पहली बार मुझे वह जगह छूने का मौका मिला.
अहसास इतना मादक था कि बयां नहीं कर सकता.
फिर जब मेरी उंगलियां छेद के अन्दर गईं, तो रस का अहसास हुआ.
अम्मी की चूत हल्की गीली थी या शायद मेरी उंगलियों की गर्मी पाकर गीली हो गई थी.
ये राज आज तक अनसुलझा है.
मेरे अन्दर अब जोश बढ़ रहा था, पर डर भी था कि क्या अम्मी जाग रही हैं या सो रही हैं?
उनकी हल्की नींद मुझे डरा रही थी.
फिर भी, मैंने हिम्मत नहीं हारी और उनकी चूत में अपनी दोनों उंगलियों को हल्के-हल्के आगे-पीछे करना शुरू कर दिया.
उफ्फ … वह अहसास इतना सेक्सी था कि मैं सोचने लगा कि काश, इन उंगलियों की जगह मेरा लंड उनकी चूत में अन्दर-बाहर कर रहा होता.
उनकी गर्म, नम चूत की गहराई में डूबने का ख्याल ही मुझे दीवाना बना रहा था.
थोड़ी देर तक उंगलियां अन्दर-बाहर करने के बाद मैंने उन्हें बाहर निकाला और अपने मुँह में डाल लिया.
हाय … वह नमकीन, मादक स्वाद जो मेरी उंगलियों पर लगा था, वह कुछ अलग ही था.
अम्मी की चूत का रस मेरे होंठों पर लगते ही मेरे जिस्म में बिजली-सी दौड़ गई.
उस स्वाद में एक न/शा था, जो मुझे और भूखा बना रहा था.
अब मुझसे सब्र का बांध टूट गया तो मैं बेचैन होकर उठा और बाथरूम की ओर बढ़ गया.
वहां मैंने अपनी अंडरवियर को धीरे-धीरे सरकाया और उसे अपनी प्यारी अम्मी की नाजुक पैंटी समझकर अपने लंड पर लपेट लिया.
फिर हौले-हौले रगड़ते हुए उसकी गर्माहट को महसूस करने लगा.
मेरे जेहन में वही लम्हा तैरने लगा, जब मेरी उंगलियां उसकी रसीली चूत की गहराइयों में डूबी थीं.
ख्यालों में मैं अपनी शगुफ्ता रानी की चूत को चोदने के नशे में खोया हुआ था, उनकी गर्म सिसकारियों को सुनता हुआ.
मैं- ओह … अम्मी, तुम कितनी मदहोश करने वाली हो! तुम्हारा ये जलता हुआ जिस्म देखकर तो बूढ़ा भी अपनी जवानी याद करके तुम्हें चोदने के सपने संजोने लगे.
अम्मी- नहीं मेरे राजा बेटा, अब मुझे अम्मी मत कहो. आज से मैं तुम्हारी बीवी हूँ, तुम्हारी रानी.
मैं- क्या! बीवी?
अम्मी- हां जी, बिल्कुल!
मैं- वह कैसे, मेरी जान?
अम्मी- अब तुम्हारा ये तना हुआ लंड मेरी चूत की गहराइयों में समा चुका है. और इससे जो बच्चा होगा, वह तुम्हारा होगा तो फिर मैं तुम्हारी बीवी नहीं हुई क्या?
मैं- अरे वाह, ये तो तुमने दिल को छू लेने वाली बात कह दी. मैं तो तुम्हें अपनी बीवी बनाने के सपने पहले से ही देख रहा था, मेरी रानी.
अम्मी- तो फिर देर किस बात की, जानू? मुझे अपनी बीवी बना लो. मैं तो तुम्हारी ही हूँ, तुम्हारी हर सांस में बसी हूँ.
और ये कहते हुए अम्मी ने मेरे लंड को अपनी नम चूत की गर्मी में समा लिया.
उनकी आंखों में शरारत और होंठों पर एक चुलबुली मुस्कान थी. जो मुझे उनकी मस्त जवानी का दीवाना बना रही थी.
अम्मी- उफ्फ … कितना मोटा है ये तेरा, हाय … मेरी जान ले लेगा क्या?
मैं- अब मैं तेरा शौहर हूँ, शगुफ्ता डार्लिंग, तो ये सब तो तुझे सहना ही पड़ेगा. मेरे प्यार का ये तोहफा है.
अम्मी- हां जानू, तुम्हारे लिए तो ये दर्द भी हंसते-हंसते सह लूँ. तुम्हारा ये प्यार मेरे लिए जन्नत है.
मैं- दर्द? या फिर ये तेरे लिए मज़े की लहरें हैं, साली छिनाल?
अम्मी- हां मेरे सैंया, अब तुमसे क्या छुपाना? मैं तो इस लंड के बचपन से ही इसके जवान होने का इंतज़ार कर रही थी. इसका हर इंच मेरे सपनों में बसा था.
मैं- तो ले फिर, मेरी रानी!
यह कहकर मैंने अपने लंड को और गहराई तक धकेल दिया, उनकी सिसकारियों को सुनने के लिए बेताब था.
अम्मी- उफ्फ … अम्मी मर गई, साले हरामी! थोड़ा आराम से डाल, मेरी जान पर रहम कर!
मैं- छिनाल रंडी, अपने शौहर को गाली देती है? अब देख, मादरचोद, तेरा क्या हाल करता हूँ!
फिर मैंने जोर-जोर से अम्मी की चूत में लंड के धक्के देना शुरू कर दिया, उनकी चीखें और सिसकारियां कमरे में गूँजने लगीं.
अम्मी- उफ्फ … आह … बस इतना ही दम है क्या तुझमें? ऐसे तो ब/च्चे खेलते हैं, मेरे शेर!
फिर मैंने उन्हें पलट दिया और उनकी नाजुक गांड में अपना लंड धीरे से सरकाना शुरू किया.
मैं- अब देख, शगुफ्ता रंडी, कैसे तुझे तड़पाता हूँ और तेरे जिस्म को अपने प्यार से सराबोर करता हूँ.
मैंने पहले धीरे-धीरे अपने लंड का टोपा उनकी तंग गांड में धकेला, उनकी सांसों को तेज होता हुआ महसूस करते हुए मैं लंड को दबाता चला जा रहा था.
अम्मी- हाय … हाय … हाय … पहले मेरा दूध पी ले, मेरे राजा. तब तुझे मुझ पर चढ़ने की पूरी ताकत मिलेगी.
मैंने गुस्से और जोश में आकर एक ही झटके में अपना पूरा लंड अम्मी की गांड में उतार दिया.
अम्मी- ऊई … अम्मी मर गई! उफ्फ … हाय … अब हुई न बात! अब लग रहे हो मेरे असली शौहर, मेरे सैंया!
फिर मैं जोर-जोर से अम्मी की गांड चोदने लगा, उनकी चीखें और सिसकारियां मेरे कानों में मिश्री सी घुलने लगीं.
अम्मी- हां … बहुत सही … आह ऐसे ही करते रहिए जी, मज़ा आ रहा है … हाय … उफ्फ … यस … यस … करते रहो … फक मी … यस … फक मी हाय!
अम्मी के इन हसीन ख्यालों में आधे घंटे की चुदाई के बाद इधर मेरे लंड का फव्वारा छूट पड़ा, जो मेरी अंडरवियर को पूरी तरह तर-बतर कर गया.
मेरी नींद टूट गई थी और वह रंगीन सपना मेरे लौड़े से पानी टपका रहा था.
आज भी अम्मी को चोदने की कोशिश जारी है और एक न एक दिन ये हसीन ख्वाहिश ड्रीम सेक्स विद मॅाम जरूर पूरी होगी.
मेरी शगुफ्ता रानी मेरी बांहों में होगी और वह पल मेरे लिए जन्नत से कम नहीं होगा.
कुछ देर बाद मैंने उठ कर खुद को साफ किया और अम्मी के सपनों में सो गया.
आपको मेरी यह सपनीली ड्रीम सेक्स कहानी विद मॅाम कैसी लगी, प्लीज जरूर बताएं.
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