Latest Hindi Sex Stories added for who looking to read Boss Xxx Story – प्रोमोशन पार्टी की रात में थ्रीसम चुदाई to make every night hot about Boss Xxx Story – प्रोमोशन पार्टी की रात में थ्रीसम चुदाई story.
Story Start Here :
बॉस Xxx स्टोरी में मेरे दो सीनियर मेरी प्रोमोशन पार्टी में थे. वे मुझे होटल रूम में ले गए और वहां शराब का दौर चला. सरूर में सेक्स की बाते होने लगी जिनका अंत मेरी चूत चुदाई से हुआ.
यह कहानी सुनें.
boss-xxx-story
फ्रेंड्स, मैं अमिता आपको अपनी ऑफिस पार्टी में हुई दो मर्दों से हुई चुदाई की कहानी लिख कर बता रही थी.
कहानी के पहले भाग
कॉर्पोरेट वर्ड में सेक्स पार्टी कल्चर
में अब तक आपने पढ़ लिया था कि अरमान सर और राजीव सर दोनों ने मुझे कामुक बना दिया था और उनकी गर्म सांसें मेरे जिस्म को आग का शोला बना रही थीं.
अब आगे बॉस Xxx स्टोरी:
मैंने उस दिन एक खूबसूरत डिजाइनर साड़ी और बैकलेस ब्लाउज पहना था, जिसकी लेस पीछे बंधी थी.
अरमान सर ने धीरे से मेरा पल्लू सरका दिया और एक हाथ से मेरे ब्लाउज के ऊपर से मेरे बूब्स को दबाने लगे.
उस वक्त तक मेरा होश गायब हो चुका था.
राजीव सर ने मुझे अपनी ओर खींचा, मेरा चेहरा अपने हाथों में थामा और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
मैं भी उनके जोश में बह गई और उन्हें उतने ही शौक से चूमने लगी.
अब मेरी पीठ अरमान सर की ओर थी.
उन्होंने मेरे ब्लाउज की लेस खोल दी और मेरी नंगी पीठ पर अपने हाथ फेरने लगे, फिर उसे चूमने लगे.
एक साथ चार हाथों का स्पर्श मेरे जिस्म पर किसी कामुक सपने की तरह लग रहा था.
राजीव सर के साथ मेरा किस खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था.
शराब का न/शा और वह जोश हमें किसी और ही दुनिया में ले गया था.
तभी अरमान सर ने मुझे पीछे से कसकर जकड़ लिया और अपनी उंगली मेरे गाल पर रखकर मुझे अपनी ओर घुमाने लगे.
जैसे ही मैं उनकी ओर मुड़ी, राजीव सर ने मुझे रोका और बोले- बस 2 सेकंड मेरी जान, पहले तुम्हारा ब्लाउज उतार दें.
उन्होंने मेरे कंधों और हाथों से ब्लाउज खींचकर निकाला और अरमान सर ने पीछे से मेरी ब्रा की स्ट्रैप ढीली कर दी, जिसे राजीव सर ने सामने से उतार फेंका.
अब मैं पलटकर अरमान सर की ओर बैठ गई.
पीछे से मेरे खुले बूब्स को राजीव सर अपने मजबूत हाथों से खूब मसल रहे थे और सामने अरमान सर मेरे होंठों को चूमने में डूबे हुए थे.
थोड़ी देर तक ये सब चलता रहा.
फिर अरमान सर ने राजीव सर से पूछा- इसे अन्दर ले चलें? 3 बजने वाले हैं.
राजीव सर ने हामी भरी और मुझसे कहा- अमिता जान, चलो बेड पर चलते हैं.
मेरा हाथ पकड़कर वे मुझे अन्दर ले गए.
कमरे में घुसते ही अरमान सर ने लाइट्स जला दीं और बोले- मुझे इसकी जवानी पूरे उजाले में देखनी है.
मैं थोड़ा शर्मा गई.
लेकिन जल्द ही वे दोनों मेरे इतने करीब आ गए कि मैंने आंखें बंद कर लीं और उनके स्पर्श को महसूस करने में खो गई.
आंखें बंद थीं, लेकिन मुझे अहसास हुआ कि मेरी साड़ी धीरे-धीरे मेरे जिस्म से सरक रही है.
शर्म से मेरा शरीर कांप रहा था और आंखें खोलकर वह नजारा देखने की हिम्मत नहीं हो रही थी.
फिर अगले ही पल मेरी पैंटी भी मेरे पैरों से खिसककर जमीन पर जा गिरी.
शर्म के मारे मैंने आंखें और कसकर बंद कर लीं.
उन्होंने मुझे आंखें खोलने को कहा लेकिन अपने आपको उनके सामने पूरी तरह नंगी देखने की सोच से मैं घबरा गई.
अचानक मुझे सब बहुत अजीब लगने लगा.
मैंने कांपती आवाज में कहा- सॉरी सर, मुझसे ये नहीं होगा.
उन्होंने जल्दी से मुझे तसल्ली देने की कोशिश की.
‘अमिता, तुम फिक्र मत करो. हम तुम्हारे साथ कोई जोर-जबरदस्ती नहीं कर रहे. हम सब बस मिलकर मजे ले रहे हैं. अगर तुम्हें अजीब लग रहा है, तो हम आगे नहीं बढ़ेंगे. बस 2 मिनट हमारी बात सुन लो.’
अरमान सर ने फौरन अपने बैग से एक टाई निकाली और मेरी आंखों पर बांध दी.
फिर मुझसे पूछा- अब तुम्हें कुछ दिख रहा है? नहीं ना? अब शर्माओ मत, बस हमारी आवाज सुनो और मजे से सब महसूस करो.
इतना कहते ही उनमें से एक ने मुझे बिस्तर पर बिठा दिया.
अब मैं सिर्फ उनकी आवाजें सुन पा रही थी.
कपड़े उतरने की हल्की सरसराहट, बेल्ट के फर्श पर गिरने की खनक … ये सब मेरे कानों में गूंज रहा था.
फिर उन्होंने मेरा हाथ थामा और बड़े संभालकर मुझे बिस्तर के बीच में लिटा दिया.
वे दोनों मेरे आगे-पीछे आ गए और मुझसे लिपट गए.
इस बार उनका स्पर्श कुछ अलग था, जिस्म से जिस्म टकरा रहा था.
वे दोनों भी मेरी तरह पूरी तरह नंगे होकर मुझसे चिपक गए थे.
मैं किसी एक को चूम रही थी, उसके हाथ मेरा चेहरा थामे मेरे होंठों को चूस रहे थे.
दूसरा मेरी कमर पर हाथ फेर रहा था, उसका तना हुआ कड़क लंड मेरे चूतड़ों को छू रहा था, तो सामने वाले का मेरी चूत के पास रगड़ खा रहा था.
वे मुझसे पूछते रहे- मजा आ रहा है अमिता तुझे?
मैं बस सिसकारियों के बीच ‘हां’ कह पा रही थी.
फिर उन्होंने पूछा- चल, अब ये टाई हटा दें तेरी आंखों से?
मैंने कहा- नहीं सर, थोड़ी देर रहने दो.
उन्होंने आपस में बात की.
अरमान सर ने राजीव सर से पूछा- तू डालेगा या मैं डालूं?
राजीव सर बोले- नहीं, मैं अभी इसके होंठों के मजे ले रहा हूं. तू शुरू कर.
उनकी बातों से मैं सब समझ गई.
मेरे अन्दर ही अन्दर एक बेसब्री जागने लगी, मैं उत्तेजना अपने चरम पर पहुंच रही थी.
तभी अरमान सर ने कहा- जान, ये टांग थोड़ी उठा!
राजीव सर ने मुझे चूमना रोका, मेरी एक टांग उठाई और मुझे अपनी ओर खींच लिया.
पीछे से अरमान सर ने मेरी कमर पकड़ी और मेरी चूत पर अपना मोटा लौड़ा टिका कर अन्दर डालने लगे.
थोड़ा दबाव पड़ते ही उनका बड़ा सा मशरूम जैसा टोपा मेरे अन्दर घुस गया.
मैं मजे से कराह उठी- आह्ह … उफ्फ … सर … उम्म्म!
अरमान सर ने राजीव सर से कहा- बहुत टाइट है साली की!
राजीव सर बोले- क्या बात कर रहे हो?
‘हां, डालकर देखो, सही में मस्त टाइट चूत है.’
एक पल बाद वे फिर से हंसते हुए बोले- भाई, 29 साल की चिकनी लौंडिया है, टाइट चूत तो होगी ही!
उनकी कामुक बातें सुनकर मेरी सिसकारियां और बढ़ गईं.
मेरी चूत से तो जैसे पानी का झरना बह रहा था.
तभी राजीव सर ने कहा- हट, मैं देखता हूं.
उन्होंने मुझे अपनी ओर खींचा और मेरे ऊपर चढ़ गए. मेरी टांगों के बीच अपना लंड मेरी चूत पर टिकाया और अन्दर घुसाने लगे.
कोई 2-3 धक्कों में उनका लंड फच-फच करता हुआ अन्दर सरक गया.
‘आह ये तो सही में टाइट निकली यार!’
यही सब कहते हुए वे और जोर से धक्के मारने लगे.
उनका लंड मेरे अन्दर लेना मुझे बेहद मजेदार लग रहा था.
मेरी हल्की-हल्की चीखें निकल रही थीं लेकिन हर धक्के के साथ मेरी चूत खुलती जा रही थी.
फिर सर ने मेरी आंखों की पट्टी हटा दी और बोले- हो गया बहुत नाटक, अब खुली आंखों से चुद.
मेरे ऊपर राजीव सर चढ़े हुए थे, धक्कों पर धक्के लगा रहे थे.
मजे में मेरी टांगें अपने आप खुल गईं और उनके लंड का स्वागत करने लगीं.
अरमान सर ने पूछा- कैसी लग रही है इसकी चूत, राजीव?
वे बोले- बहुत सही है भाई, बहन की लौड़ी बहुत मस्त टाइट है.
दोनों ठहाके लगाने लगे.
‘क्यों अमिता, कैसी लगी प्राइवेट पार्टी?’
मैंने सिसकारी भरते हुए कहा- हम्म … अच्छी है सर.
वे बोले- अब तू सीनियर हो गई है मेरी जान … और कॉरपोरेट में सीनियर्स की पार्टी ऐसी ही होती है.
मैं मस्ती में डूबकर मजे ले रही थी- आह सर … बहुत सही … उफ्फ … हां सर, ऐसे ही चोदो … आह आह!
वे और जोश में आ गए और मेरी चूत को तेजी से ठोकने लगे.
मैं झड़ने के करीब थी और वे भी तेज-तेज धक्के मार रहे थे ‘आह आह आह … अमिता … ता आह … अमिता मेरी जान … मेरी सेक्सी रंडी … मेरी माल …’
और फिर उन्होंने अपने गर्म-गर्म माल की पिचकारी मेरे पेट पर, मेरे बूब्स पर छोड़ दी.
आखिरी बूंद गिरते ही वे थककर मेरे ऊपर ढेर हो गए.
मैं प्यार से उनके बालों को सहलाने लगी, उनके गाल और गर्दन को धीरे-धीरे चूमने लगी.
‘शhh … आराम कीजिए सर, आपने बहुत अच्छा चोदा मुझे!’
‘तुझे मजा आया ना मेरी जान?’ राजीव सर ने पूछा.
‘हां सर, बहुत!’
मैंने सिसकते हुए जवाब दिया.
फिर उन्होंने बड़े प्यार से माफी मांगी- अगर जोश में आकर कुछ उल्टा-सीधा कह दिया या गाली दे दी, तो बुरा मत मानना.
मैंने मुस्कुराते हुए कहा- मैं समझती हूं सर.
तभी अरमान सर हमारे लिए तीन पैग बनाकर ले आए.
हमने बिस्तर पर बैठकर एक बार फिर मेरे प्रोमोशन की खुशी में चीयर्स किया.
पैग खत्म होते ही अरमान सर मेरे पास सरक आए और मेरे जिस्म से खेलने लगे.
मैंने हंसते हुए कहा- थोड़ा सब्र करो ना सर, अभी तो सब हुआ है.
वे बोले- इतनी जवान, कमसिन लड़की होकर एक राउंड में थक गई? तुझे तो एक रात में 4-4 लौड़े खुश करने चाहिए.
मैंने शर्माते हुए कहा- उम्म … सर, कुछ भी कहते हो आप. चढ़ गई है आपको, सच में!
इतना कहते ही उन्होंने मुझे अपनी गोद में खींच लिया और मेरी पहले से गीली, राजीव सर के माल से भरी चूत में अपना लौड़ा घुसा दिया.
अब वे मुझे चोदने लगे और मैं उनकी गोद में बैठकर उछल-उछलकर अपनी चूत मरवाने लगी.
एक-दूसरे की आंखों में आंखें डालकर हम चुदाई का न/शा पी रहे थे.
मैं उन्हें चूम रही थी और उनकी गंदी-गंदी बातें मेरी चूत में और आग लगा रही थीं.
वे कह रहे थे- पति के लौड़े पर ऐसे ही उछलती है?
मैंने कहा- हां.
‘रोज चोदता होगा तुझे?’
‘नहीं सर, रोज नहीं.’
‘अच्छा, तभी इतनी टाइट है तू. हमारे लिए तो अच्छा हुआ ना?’
‘हां सर, आप दोनों के लिए.’
‘हां मेरी लौड़े की रानी, अब पलट जा, तेरी गांड उछलती हुई देखनी है.’
मैं पलट गई और फिर उनके लंड पर बैठ गई.
अब मेरी नजर राजीव सर पर थी.
वे मुस्कुराते हुए अपना पैग पीते हुए मुझे निहार रहे थे और मैं अरमान सर के लंड पर उछल-उछलकर उन्हें मजा दे रही थी.
शर्माती हुई मैं राजीव सर को देखकर मुस्कुरा रही थी.
वे मेरे पास आए और बोले- यार अरमान, लग रहा है अपनी जवान रंडी को बहुत मजा आ रहा है.
अरमान सर हंसते हुए बोले- मजा आ रहा है, तभी तो उछल रही है ना ये!
मैंने शर्म से कहा- सर प्लीज…
राजीव सर मेरे पास आए, मेरे गाल को अपनी जीभ से चाटते हुए बोले- क्या प्लीज अमिता?
‘कुछ नहीं सर’
‘क्या कुछ नहीं? तुझे रंडी न कहूं?’
‘नहीं, मत कहो सर.’
‘क्यों, तू रंडी नहीं है?’
‘नहीं सर.’
‘अच्छा? तू 2 गैर मर्दों के साथ नंगी चुद रही है और रंडी नहीं है?’
‘नहीं सर, प्लीज.’
‘अभी तू रंडी है, समझी बहन की लौड़ी. इस कमरे से बाहर निकलने तक तू रंडी है, समझी?’
‘हम्म … सर …’
‘इतने शराफत के नखरे मत दिखा साली, वरना मुँह में दे दूंगा तेरे.’
इतना कहकर वे उठे और मेरे मुँह में अपना लंड ठूंस दिया.
‘उफ्फ … उफ्फ …’ मेरे दोस्तो, नीचे अरमान सर का लौड़ा मेरी चूत की गहराइयों को नाप रहा था और ऊपर राजीव सर का सोया हुआ लंड मेरे मुँह में फिर से तनने लगा था.
कुछ देर तक ये सिलसिला चलता रहा.
राजीव सर का लंड फिर से खड़ा हो गया.
तभी अरमान सर बोले- अमिता, मेरा भी चूस दे यार, ढीला पड़ रहा है!
मैंने राजीव सर का लंड बाहर निकाला और अरमान सर की ओर पलट गई.
राजीव सर ने कहा- अब तू कुतिया बन, मेरी कुतिया.
मैंने शरारत भरी नजरों से उन्हें देखा और झुककर बोली- लो सर, तैयार है आपकी कुतिया आपके लिए!
राजीव सर ने मेरी कमर पकड़ी और एक झटके में मेरी चूत में अपना लंड पेल दिया.
मेरे मुँह से प्यार और दर्द भरी चीख निकल गई.
वे पीछे से मेरी कमर थामे मुझे चोद रहे थे और मैं बड़े प्यार से अरमान सर का लौड़ा अपने मुँह में लेकर चूस रही थी.
अरमान सर का लंड राजीव सर से थोड़ा अलग था, पर उसे चूसने में मुझे गजब का मजा आ रहा था.
कुछ देर तक ये सब चलता रहा.
फिर राजीव सर ने मेरी चूत में दूसरी बार अपना माल छोड़ दिया.
इधर मैं अरमान सर के लंड को जोर-जोर से हिलाने और चूसने लगी.
उन्होंने कहा- जान, गिरने वाला है, जल्दी से बैठ जा इस पर!
जैसे ही मैंने उनका लौड़ा अपनी चूत पर लगाया.
उनका लंड तेज पिचकारी मारते हुए मेरी चूत में टपकने लगा और कुछ बाहर झड़ गया.
हम तीनों थककर एक-दूसरे की बांहों में ढेर हो गए.
कमरे में सिर्फ हमारी तेज सांसों की आवाज गूंज रही थी.
हमारे पसीने से तर-बतर जिस्म एक-दूसरे से लिपटे थे.
एयर-कंडीशन्ड कमरे में भी गर्मी सी महसूस हो रही थी.
पूरे कमरे में एक कामुक महक फैल गई थी, हमारे पसीने की, मेरी चूत के रस और उनके माल की मिली-जुली खुशबू.
सुबह के करीब 6 बज रहे थे. खिड़की से सूरज की किरणें अन्दर झांकने लगी थीं पर हम इतने थक गए थे कि वहां से उठने का मन ही नहीं कर रहा था.
मैंने जैसे-तैसे अपने आप को समेटा और वॉशरूम में जाकर खुद को साफ किया.
बाहर आई तो देखा कि राजीव सर और अरमान सर अपने कपड़े पहन रहे थे.
मैंने भी जल्दी से अपनी साड़ी लपेट ली.
फिर हम तीनों ने आखिरी बार एक-दूसरे को गले लगाया.
दोनों ने मुझे शुक्रिया कहा और मेरे गालों को इतना चूमा कि हंसी छूट गई.
उनके होंठों से मेरे गाल गीले हो गए.
राजीव सर ने कहा- अमिता, अब सब उठने शुरू हो जाएंगे. कोई देख ले, उससे पहले तुम अपने कमरे में चली जाओ. तुम्हारे बाद अरमान निकलेगा.
मैंने उनकी बात मानी और चुपचाप अपने कमरे की ओर बढ़ गई.
वहां पहुंचकर मैंने बाथटब में गर्म पानी भरा, उसमें लेट गई और रात के उन मजेदार, मदहोश कर देने वाले पलों को याद करते-करते कब सो गई, पता ही नहीं चला.
ये थी मेरी जिंदगी की उस वक्त तक की सबसे हसीन और यादगार रात, पाठको.
इस घटना से लेकर आज पूरे डेढ़ साल बीत चुके हैं.
इन डेढ़ सालों में और क्या-क्या हुआ, वह मैं वक्त मिलते ही जरूर लिखकर आपको बताऊंगी.
लेकिन ये घटना आपको कैसी लगी, ये मुझे जरूर बताएं.
मुझसे सवाल पूछने या मेरी इस बॉस Xxx स्टोरी पर टिप्पणी करने के लिए मैं अपना मेल आईडी यहाँ दे रही हूँ.
लेकिन कृपया, ऐसे लोग मुझे मैसेज न करें, जो मुझसे सेक्स के लिए पूछें.
अमिता की ओर से आपको नमस्कार और बॉस Xxx स्टोरी पढ़ने के लिए धन्यवाद.
[email protected]