Desi Garam Ladki Ki Kahani


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Story Start Here :

देसी गरम लड़की की कहानी में मैं अपने दोस्त के बेटे की शादी में गया तो दोस्त की साली ने मेरे ऊपर डोरे डालने शुरू कर दिए. तो मैंने क्या पीछे रहना था.

दोस्तो, मैं राजू बादशाह
मेरी पिछली कहानी थी: अनजान मेसेज से हुई दोस्ती और चुदाई

अब एक बार फिर से मैं आपके सामने लेकर आया हूं अपनी सच्ची और तड़कती-भड़कती देसी गरम लड़की की कहानी।

वैसे अपने बारे में ज्यादा नहीं बताकर संक्षिप्त में बताता हूँ.
मैं राजू बादशाह सूरत गुजरात से, 6 फीट हाइट, स्मार्ट और बड़ा हथियार!

जिसने भी मेरी पिछली कहानियों को पढ़कर जो सम्मान दिया, दिल से धन्यवाद।

मेरी मेल में बहुत लोगों के कमेंट आये हैं।
क्योंकि अन्तर्वासना के नियमित पाठक-पाठिकाओं को तो मेरी कहानियों के बारे में पता ही है।
मेरी कोई सोची हुई, काल्पनिक या मनगढंत नहीं बल्कि सच्ची कहानियां ही मैं इस साइट पर लिखता हूँ।

तो आज की कहानी पर आते हैं.

मेरे एक जिगरी दोस्त हैं वो राजस्थान से हैं.
अभी यही दिसम्बर 2023 शुरुआत में उनके बड़े लड़के की शादी थी।
जिसमें मैं उनके गाँव राजस्थान में ही 5 दिन तक शादी समारोह में शामिल हुआ।

मेरे दोस्त मुझे बहुत समझते हैं और उनकी पत्नी भी यानी मेरी भाभीजी मुझे अपने लड़के की सगाई के समय से ही बोलने लगे थे कि शादी में आपको 5-7 दिन पहले ही आना होगा।

मेरा दोस्त और भाभीजी मुझपर बहुत जिम्मेवारी थोप देते हैं चाहे कोई भी काम हो।

जो भी मेरे पाठक राजस्थान से होंगे या वहाँ कोई शादी में शामिल हुये होंगे तो उनको पता ही होगा कि वहाँ की शादी में 5-10 दिन तक घर में पूरा शादी का मस्त माहौल बनता है जिसमें सभी भाग लेते हैं।

मेरे दोस्त के बहुत से रिश्तेदार और पहचान वाले आये हुये थे.

उनका गाँव छोटा था तो किसी भी चीज की जरूरत के लिए उनके नजदीकी शहर 12 किलोमीटर जाना पड़ता था।
और वहाँ पर कोई भी काम होता था मुझे बेझिझक दोस्त या भाभीजी बोल देते थे.

मैं भी उनके कामों में बहुत हाथ बंटाने लगा था।
मैं खुद अपने दोस्त की फैमिली में बिल्कुल घुलमिल कर एक परिवार की तरह ही वहाँ पर शादी में शामिल हुआ था.
और उनके रिश्तेदारों और परिवार वालों से भी मेरी पहचान होने लगी थी।

मुझे वहाँ उनके घर की छत पर बने एक कमरे में मुझे बोला गया कि ये कमरा आपका ही रहेगा जब तक रुकोगे.

क्योंकि मुझे थोड़ा बहुत टाइम अपना एकांत का चाहिए होता है मेरा ऑनलाइन का काम करने के लिये!
जिससे मैं अपना लैपटोप पर फ़्री होकर काम कर सकूं.
क्योंकि मेरा अपना ऑनलाइन का खुद का बिजनेस है.
उनको भी पता है कि मुझे दिन में जब भी टाइम मिले 2-3 घंटे काम करना ही पड़ता है।

अगले दिन मेरी भाभीजी ने मुझे बोला- राजू, आपको एक काम के लिए शहर जाना पड़ेगा. लेडीज़ वहाँ कुछ काम के लिये जाएंगी, आप उनको लेकर जाओ।

तो मैंने तुरंत हाँ कर दी.

भाभीजी ने उन चारों लेडीज़ को बोला- आप राजू की गाड़ी में बैठ जाओ, वो आपको लेकर जाएंगे और वापस लेकर भी आयेंगे।

मैं उनको गाड़ी में बैठा कर शहर पहुंच गया.
उन्होंने जिस जगह पर रोकने को बोला, मैंने गाड़ी रोक दी।

वो ब्यूटीपार्लर था। सभी 4 लेडीज़ ब्यूटीपार्लर में चली गयी.

उनमें जो आगे की सीट पर बैठी थी, वो बहुत सेक्सी नजरों से मुझे देख रही थी।
वह साड़ी में एकदम सेक्सी बॉम्ब लग रही थी।

ब्यूटीपार्लर में जाते हुये पीछे से कूल्हे ऐसे मटक रहे थे साली कोई नागिन लहराकर चल रही हो।
उन्होंने मेरा मोबाइल नंबर लिया और बोली- हमारा काम होते ही हम आपको कॉल कर देंगी. तब तक आप फ्री हो, चाहे कोई काम हो तो निपटा कर आ जाओ. हमें लगभग दो घंटे लगेंगे।

मैंने एक बार तो वहीं गाड़ी खड़ी कर दी और उनको बोला- जल्दी करना, वरना देर करोगी तो मेरी भाभीजी मुझे डाँटेगी।

वो सभी ब्यूटीपार्लर में घुस गई।
मैं भी मार्केट में थोड़ा घूमने निकल गया था।

मैंने कुछ जरूरी अपना सामान खरीदा और शेविंग करवाने एक सैलून में गया।
बीच में ही मेरे मोबाइल की रिंग बजी.
मैंने उठाया- हैल्लो!
सामने से आवाज आयी- कहाँ हो आप? आप आ जाओ! मेरा काम हो गया। जल्दी से आना।
और कॉल काट दी।

मैं फटाफट शेविंग करवा कर वापस वहीं ब्यूटी पार्लर के सामने जा पहुंचा.

तो उनमें से वही सेक्सी औरत वहीं बाहर मेरा इंतजार कर रही थी और बाकी सब अभी तक अंदर ही थी।

उसने मुझसे कहा- चलो, थोड़ा आगे बाजार से मुझे कुछ खरीदना है. तब तक ये सभी भी तैयार हो जायेंगी।

उसके हाथों में मेहंदी लगी थी।
मैंने दूसरी साइड का दरवाजा खोला और उसको बैठा कर बंद किया.
मेरा हाथ थोड़ा उसके बाजुओं को भी छू गया था या उसने जानबूझ कर टच करवाया होगा.

एकदम मुलायम त्वचा थी उसकी और इत्र से महक रही थी।

मैंने बोला- आपको मैंने पहचाना तो नहीं, थोड़ा अपने बारे में भी बता दो?
उसने बोला- आपकी साली! आपकी भाभी की छोटी बहन हूँ मैं, सुशीला।

क्या बताऊँ दोस्तो! जैसा नाम वैसा ही फीगर 34-32-36, एकदम सुंदर और सुशील, गुलाबी साड़ी में एकदम संगमरमर की मूर्ति लग रही थी.
उम्र यही 32-33 साल की और ऊपर से गोरे-गोरे हाथों में मेहंदी लगी हुई, वो आज वैक्सिंग वगैरह भी करवा कर आई थी.
गुलाबी इत्र की महक मुझे तो मदहोश कर गई।

मैंने गाड़ी आगे बाजार में बढ़ा दी फिर उसके कहे अनुसार एक होजियरी की दुकान के सामने गाड़ी रोक दी।

उसने दुकान के अंदर जाकर खरीदारी की और एक थैली में अपना सामान पैक करवा लिया.
वो थैली दुकानदार ने मुझे दी और मैंने गाड़ी में रख दी.

शायद उसने चड्डी-ब्रा खरीदी थी यहाँ से!

मैंने उससे बोला- सुशीला जी, थोड़ा ठंड हो चुकी है. आप बोलो तो बगल में ये होटल से एक-एक कॉफी ले लें? अगर आप कहो तो?
उसने बोला- नहीं, मेरे हाथों में मेहंदी लगी है. यहां पर नहीं … चलो मैं आपको घर पर चलकर एक मस्त कॉफी पिलाऊंगी।

फिर हम गाड़ी में वापस उन तीन लेडीज़ को लेने के लिए ब्यूटीपार्लर की तरफ निकल पड़े।

उसकी निगाह गाड़ी में रखे मेरे नये जैकेट पर पड़ी तो बोली- अरे राजू जीजू, क्या बात है नया जैकेट ले लिया. क्या इससे सर्दी कम हो जायेगी? ये दिसम्बर की राजस्थान की सर्दी है! ऐसे थोड़ी ही उतरने वाली है, ये तो अपने हिसाब से ही उतरती है या कोई उतार दे तो भी।
इस तरह की डबल मिंनिंग वाली बात बोली।

मैं बोला- आप अपना ख्याल रखना. आपने मेहंदी भी लगाई हुई है, आपको ज्यादा लग सकती है।
फिर वो बोली- कोई बात नहीं, नहीं लगेगी सर्दी मुझे, कोई तो विकल्प ढूंढना ही पड़ेगा।

मैं समझ चुका था कि उसकी चूत में आज बड़ी खुजली हो रही है, साली क्या प्रोग्राम बना रही है।

उसने मुझसे बोला- वादा है, घर पहुंचते ही गरमा-गरम एकदम मस्त कॉफी पिलाऊंगी आपको! वैसे आपके बारे में मैंने दीदी से सुना हुआ है कि आप मेरे जीजाजी के बहुत करीबी दोस्त हो.

फिर वो बोली- आप हमारे मेहमान और जीजाजी भी हुये तो सेवा-पानी करना हमारा फ़र्ज़ तो बनता ही है. और पहली बार आप मुझे मिले हो, जैसा दीदी ने बताया वैसा ही आपका व्यवहार मुझे अच्छा लगा आपसे मिलकर। मेरी दीदी बताती हैं कि आप एकदम शरीफ हो, लेकिन मेरी निगाहों में नहीं लगते हो।

और तिरछी नजरें करके साइड के दरवाजे के काँच से बाहर की तरफ झाँकने लगी।

मैं बोला- भाभीजी (दोस्त की बीवी) उम्र में कितनी बड़ी हैं हमसे? मैं माँ के समान इज्जत करता हूँ उनकी और वो भी मुझे अपने बच्चों जैसे रखती हैं।

लेकिन वो बोली- मैं तो आपकी भाभीजी के समान नहीं, साली हूँ न, आपकी हमउम्र भी हूँ। मेरी कैसी इज्जत करते हो?
मैंने कहा- अरे, वो तो माहौल और आदमी के स्वभाव पर निर्भर करता है।
वो बोली- चलो, देखते हैं आपके दिल में मेरे प्रति कितनी इज्जत है। मौका मिला तो आजमाएँगे।

क्या बताऊँ दोस्तो, मैं एकदम से कितना उत्साहित हो गया कि आज ये सेवा-पानी कैसे मिलेगी?
होता है जब कहीं ऐसी ही अंजान बातों से कुछ अपनापन झलकने लगे।

फिर हम उन तीनों को ब्यूटी पार्लर से गाड़ी में बैठाकर जल्दी-जल्दी घर पहुँच गए।

घर पहुँचते ही मैं छत पर अपने कमरे में जाकर लैपटॉप खोला और अपना काम करने लगा।

दस मिनट बाद सुशीला कॉफी लेकर आ गई।
उसने मेहँदी वाले हाथ धोए नहीं थे लेकिन वो सूख चुकी थी।

उसने बड़े प्यार से बोला- लो जीजू, कॉफी पीओ। मैंने वादा किया था, वैसी ही बनाकर लाई हूँ। और थोड़ा रजाई को ओढ़कर रखना, सर्दी बहुत ज्यादा है, कहीं लग गई तो?
मैं बोला- क्या करें? कोई इलाज भी तो नहीं है।
वो बोली- इलाज क्यों नहीं है बुद्धू!”
और एक ताना सा मारकर जाने लगी।

फिर बोली- कोई काम हो तो कॉल कर देना, मेरा मोबाइल नंबर है आपके पास।

फिर वो छत से नीचे चली गई, साड़ी में कूल्हे मटकाती हुई।

उसकी भरी हुई गांड देखकर मेरा हथियार तनकर पैंट में तंबू बनकर उसे सलामी दे रहा हो जैसे!

हाय, ये गांड आज अगर इस हथियार की भेंट चढ़ जाए तो लंड साले की किस्मत ही चमक जाए!

मैंने कॉफी की चुस्की ली और लैपटॉप की स्क्रीन पर निगाहें बदलीं।

फिर एक घंटा भर अपना काम निपटाकर मैं भी नीचे आ गया।

घर पर सभी नाच-गाने का प्रोग्राम चल रहा था, उसमें एन्जॉय करने लगे।

सुशीला भी डांस कर रही थी।
फिर मैं और दो-तीन दोस्त भी नाचे, उसके बाद घर के बाहर चले गए।

बाहर गली में बैठे-बैठे बातें कर रहे थे।

रात 9 बजे थे, मेरे मोबाइल पर रिंग बजी- हैलो, जीजू! खाना खा लो, आओ, कहाँ चले गए? फिर ठंडा हो जाएगा।
और कॉल कट।

मैं अंदर गया और साली साहिबा सुशीला ने खाना परोस दिया।
बीच-बीच में भाभीजी, मेरे दोस्त और सब उनके घरवाले, हम आपस में शादी के प्रोग्राम को लेकर बातें भी करते रहे।

“अरे और खाओ न,” कहकर कुछ न कुछ मेरी प्लेट में सुशीला रख ही देती थी।
और मौका मिलने पर सबसे नजरें छुपाकर नयन मटका और तिरछी स्माइल भी दे देती थी।

“अरे सुशीला! शादी में थोड़ा समय कम मिलता है तो तू भी मेहमानों का थोड़ा खाने-पीने का ध्यान रखना। सबको समय पर खिला-पिला देना!” मेरी भाभीजी ने उसे बोला।

“अरे, कैसी बातें करती हो दीदी, ये सब तो मेरा फर्ज बनता है। आप बिल्कुल भी फिक्र न करें!” सुशीला बोल पड़ी।

“लो, एक चपाती और लो!” जबरदस्ती उसने मेरी प्लेट में रख दी।
“अरे भई, कोई बाहर के थोड़े न, हम खुद एक घर के सदस्य की तरह हैं। हम अपना काम खुद भी करेंगे और शादी के फंक्शन में आपकी सभी सहायता करेंगे.” मैं बोला.

और सब खाना खाकर फ्री हो गए।

“सुशीला! जा ऊपर के राजू जी के रूम में बिस्तर और रजाई व्यवस्थित कर आ, और हाँ, पीने का पानी भी रख देना!” भाभी ने बोला।

रात के 10 बजे मैं अपने कमरे में सोने चला गया और साली साहिबा सब व्यवस्था करके नीचे घर में चली गई थी।
वहीं से उसने मुझे कॉल किया- जीजू, कमरे में सब काम की चीजें तो हैं ना? अगर और कुछ कमी रह गई हो तो बता देना, वरना दीदी मुझे डाँटेगी बहुत। और हाँ, वैसे भी छत के ऊपर ही आपके बगल वाले कमरे में मैं भी सो रही हूँ, साथ में मेरे बच्चे और दो-तीन बच्चे दूसरे रिश्तेदारों के भी सो रहे हैं।

मैं बोला- और तो सब ठीक है, आज थोड़ा थक भी गया हूँ और ठंड भी ज्यादा ही है।

वो बोली- बच्चों को सो जाने दो, अपने कमरे की कुंडी खोलकर रखना। मैं आकर थोड़ा हाथ-पैर दबा दूँगी और सिर में गर्म तेल की मालिश कर दूँगी।

मुझे ये सब एक सपना सा लग रहा था.
लेकिन अपने भाग्य में जो होगा वही तो होना है।

देसी गरम लड़की की कहानी अगले भाग तक चलेगी.
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