Father Daughter Sex Kahani – बहू की चूत के चक्कर में बेटी की चूत चुद गयी


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Story Start Here :

फादर डॉटर सेक्स कहानी में ससुर अपनी बहू के कमरे में बहू की चूत छोड़ने गया. पर वहां उसकी बेटी सोयी हुई थी. उसे लगा बहू गहरी नींद में है तो वो उसके पास जा पहुंचा, लेकिन कुछ और ही हो गया … कहानी में मजा लें।

दोस्तो, मैं आपका दोस्त विशू एक बार फिर से गुंजा की चुदाई की कहानी लेकर आया हूं।
यह कहानी का तीसरा भाग है।

कहानी के दूसरे भाग
सलहज की चूत में ननदोई के लंड की पिचकारी
में आपने पढ़ा कि कैसे गुंजा पहले अपने ससुर, फिर अपने पति और फिर अपने ननदोई से चुदी।

गुंजा की चूत तीसरी बार चुदकर पावरोटी के जैसे फूल गई थी।
होली के दिन उसकी चूत ने अन्य दिनों के मुकाबले ज्यादा खुराक ले ली थी।

तो अब आगे की फादर डॉटर सेक्स कहानी पर चलते हैं:

होली खेलकर सब लोग थक-हारकर सोने चले गए।

अब उसकी ननद रानी गुंजा के कमरे में आई और बोली- भाभी मैं थक गई हूं और सोना चाहती हूं। लेकिन मेरे पति खर्राटें मार रहे हैं।

अब गुंजा दिल ही दिल में सोचने लगी कि ननदोई जी के तो मन की मुराद पूरी हो गई, घंटे भर पेलाई की मेरी, और अब आराम से सो रहे हैं।

तभी रानी बोली- किस सोच में खो गई भाभी? मुझे एक साड़ी दे दो, मैं भी आपके रूम में साऊंगी।
गुंजा ने अपनी एक साड़ी निकाल कर रानी को दे दी।
रानी साड़ी बदल कर आ गई।

वो खटिया पर पैर फैलाकर सोने लगी।
लेकिन उसकी टांगें जमीन तक पहुंच रही थी।
वो मुंह के बल पड़ी हुई थी।

इतने में ही बगल वाली रेखा गुंजा को बुलाने आ गई कि चलो हमारे साथ होली खेलने चलेंगे!

पड़ोसन रेखा का चक्कर गांव के सरपंच के बेटे के साथ चल रहा था।
इसलिए जब भी मिलना होता तो रेखा अपनी सहेली गुंजा को ही साथ में लेकर जाती थी।

इसमें गुंजा का भी फायदा था। उसे कुछ रुपये मिल जाते थे जिससे वो लिपस्टिक, लाली-पावडर ले आती थी या कुछ काम की चीज मिल जाती थी।

गुंजा तैयार होकर घर से निकल गई।
इधर रानी गुंजा के कमरे में अधलेटी, चारपाई पर पड़ी हुई थी।

पंखा काफी तेज चल रहा था।
पंखे की हवा में रानी की साड़ी और घाघरा दोनों बार-बार उड़ कर उसकी कमर तक आ पहुंचे थे।
लेकिन रानी को जैसे थकान के मारे होश ही नहीं था।

इधर मुनिलाल (गुंजा के ससुर, और रानी के पिता) पानी पीने के लिए किचन की ओर जाने लगे।

बीच रास्ते उसकी नजर गुंजा के कमरे की ओर गई।
देखा तो लगा कि गुंजा बहू खटिया पर बेसुध पड़ी है और सो रही है।

उसके नंगे चूतड़ देखकर मुनिलाल का लंड एकदम से फनफना गया।

लेकिन उसको यह नहीं पता था कि जो औरत चारपाई पर लेटी है वह उसकी बहू नहीं बल्कि उसकी बेटी रानी है।

ऐसे खुले-नंगे चूतड़ देखकर मुनिलाल के मुंह में पानी आ गया।
वो वहां पर खड़े-खड़े ही अपना लंड सहलाने लगा।

घर में शांति पसरी थी और कोई भी नहीं देख रहा था।
अब मुनिलाल से कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था।

खुले चूतड़ खुली तिजौरी के जैसे होते हैं, और मुनिलाल तो था ही एक नम्बर का लुटेरा!
ऐसे खुले चूतड़ों पर वो कभी न टूटे, ऐसा तो कभी नहीं हो सकता था।

उसने तो कई बार रात में या सुबह में शौच के लिए गई औरतों को पेला था।
वो सोचने लगा कि सुबह ही बहू को पेलकर खुश किया था, तो अब एक बार और पेलने में क्या जाता है!

यही सोचते हुए वो लंड को सहलाते हुए कमरे में दाखिल हुआ।
उसने रूम का दरवाजा बंद कर दिया।

रानी के पास जाकर उसने धोती उतार फेंकी।
फिर वो नीचे चूतड़ों के पास बैठ गया।

दोनों हाथों से उसने चूतड़ों की फाड़ों को अलग-अलग किया और फिर अपनी जुबान उस दरार में घुसा दी।

वो गांड के छेद को अपनी जुबान से टटोलने लगा।

मुनिलाल सेक्स का पक्का खिलाड़ी था।
किस जगह पर जुबान लगाने से औरत समर्पण करती है उसे अच्छी तरह से पता था।

उसने गांड के छेद से लेकर चूत के छेद तक अच्छी तरह से सब जगह अपनी जीभ घुमाई।
जीभ के इस खेल से रानी की आह्ह निकलने लगी।
वो नींद में ही उम्म … आह्ह … उम्म … करने लगी।

रानी शायद नींद में अपनी पति छगन को याद कर रही थी।
कुछ देर तक वो ऐसे ही चूत और गांड चुसवाती रही; फिर पड़े-पड़े उसी स्थिति में झड़ने लगी।

उसका पूरा रस चाटने के बाद मुनिलाल खड़ा हो गया।

उसने अपने खड़े लंड पर थूक लगाया और दोनों चूतड़ों के पहाड़ों को अलग कर दिया।
फिर चूत की फांकों को खोलकर लंड का टोपा उस पर टिकाया और कमर पकड़ कर आहिस्ता से लंड को अंदर धकेलने लगा।

वो बहुत ध्यान रख रहा था कि कहीं उसकी बहू की नींद खराब न हो जाए।

जैसे-जैसे लंड चूत में प्रवेश कर रहा था वैसे-वैसे रानी कसमसाने लगी।
उसके मुंह से नींद में ही आहें निकलने लगीं।

ज्यों-ज्यों लंड अंदर जाता, रानी को अहसास होता कि इस लंड की मोटाई तो रोज लेने वाले लंड से ज्यादा है।
लेकिन नींद के नशे में वो अपनी आंखें खोलने की जहमत नहीं उठाना चाह रही थी।

मुनिलाल ने चुदाई की रेलमपेल शुरू कर दी।
पहले रेल धीरे चल रही थी और फिर उसने पूरी स्पीड पकड़ ली।

चूतड़ों पर जांघों की पिटाई की पट-पट आवाज साफ सुनाई देने लगी।

न चाहते हुए भी बाप-बेटी अंजान चुदाई में फंसकर मजे ले रहे थे।
बाप-बेटी का रिश्ता हवस की भेंट चढ़ गया था।

बेटी की चूत में आज बाप का लंड घुसकर तबाही मचा रहा था।

दूसरे की बेटियों को चोदने वाला आज अनजाने में अपनी बेटी की चुदाई पर तुला था।

लंड का घर्षण रानी की चूत ज्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं कर पाई, सिसकारते हुए रानी झड़ने लगी।

साथ ही मुनिलाल ने उसका एक पैर अब ऊंचा उठा लिया और धक्के लगाने लगा।
कुछ ही धक्कों में मुनिलाल का लंड रानी की बच्चेदानी तक टकरा कर लौटने लगा।

जब रानी को ज्यादा तकलीफ होने लगी तो वो दर्द के मारे चीख पड़ी।
रानी की आंखें खुलीं और एकदम से दोनों की नजरें एक हुईं।
दोनों अचंभित हो गए थे।

वो सोच रही थी कि पापा यहां कैसे, और मुनिलाल सोच रहा था रानी यहां कैसे!

रानी- पापा! ये क्या कर रहे हैं, मैं आपकी बेटी हूं!
मुनिलाल- मुझे नहीं मालूम था कि रानी तू यहां पर लेटी हुई है!
रानी- तो मतलब आप भाभी को …
कहते हुए रानी सहम सी गई।

अब बात को संभालते हुए और लंड को बेटी की चूत में एडजस्ट करते हुए मुनिलाल ने कहा- नहीं बेटी, मैं जा रहा था तो देखा कि तेरी साड़ी ऊपर हो रखी है। मुझे लगा कि बहू इस हाल में सोई हुई है। तो मैं साड़ी नीचे करने आया था। लेकिन ये गोरे चूतड़ देखकर मेरा ईमान बिगड़ गया और मैंने चूत की चुसाई शुरू कर दी। इस पर बहू भी कुछ नहीं बोली, तो मैंने अपना लंड अंदर पेल दिया। तुमने भी तो मजा लिया कि नहीं? अब तू ही बता चुदाई को पूरी करूं या यहीं पर छोड़ दूं? तू जैसा बोलेगी मैं वैसा ही करूंगा।

रानी शर्माई और साड़ी का पल्लू मुंह पर रख लिया।
रानी को इतना मोटा मूसल लंड चूत में लेकर बड़ा ही आनंद आ रहा था।
लेकिन उसे अबतक पता नहीं था कि यह मजेदार लंड उसके बाप का है।
वो चुदाई को आगे बढ़वाना चाहती थी लेकिन बाप की शर्म बीच में आ रही थी।

मुनिलाल समझ गया कि बेटी की चूत बाप का लंड भा गया है लेकिन वो खुद से कभी नहीं कहेगी।
उसने अब रानी के मुंह से दूसरी तरकीब लगाई।

उसने आहिस्ता से लंड को बहुत धीरे-धीरे अंदर-बाहर सरकाना शुरू किया।
जैसे लंड चूत की दीवारों के हरेक इंच को चूमकर भीतर-बाहर हो रहा हो।
इस मस्ती में रानी के मुंह से आह्ह … करके आहें फूटने लगीं।

इसी पर मुनिलाल बोल पड़ा- देखो रानी बेटी, तुम खुद कुछ कहो न कहो, लेकिन तुम्हारी चूत को मिल रहा आनंद और उसके बाद तुम्हारे मुंह से निकलती ये सिसकारियां बता रही हैं कि तुम भी इस लंड को चूत से बाहर नहीं निकलवाना चाहती हो।

रानी की जैसे नस को मुनिलाल ने पकड़ लिया था।
वो कुछ नहीं बोल पाई।
फिर साड़ी के पल्लू को मुंह पर रख कर बोली- पापा, मुझे भी मजा आया … आज के दिन आप अपनी प्यास बुझा लो।

ये बात सुनते ही मुनिलाल ने नीचे झुक कर अपनी बेटी के होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसना शुरू कर दिया।
अपना मूसल वो बेटी की चूत में चलाने लगा।

लंड इतना लंबा तगड़ा था कि बच्चेदानी के मुंह पर टकरा रहा था।
कुछ देर बाद मुनिलाल रानी से कहने लगा कि उसका होने वाला है।

इससे पहले रानी कुछ कह पाती उसके लंड से वीर्य की जोरदार पिचकारी रानी के गर्भद्वार पर जाकर लगने लगी।

रानी की बच्चेदानी में उसके वीर्य की बाढ़ सी आ गई; रानी की चूत वीर्य से भरकर साइड से बहना शुरू हो गई।

धक्के मारते हुए मुनिलाल अपनी बेटी पर ही ढेर हो गया।
दोनों हाथों से उसके स्तनों को सहलाता रहा।
रानी की सांसें भी बहुत तेज चल रही थीं।

तूफान थम गया तो दोनों शांत थे।
मुनिलाल उठा और अपनी धोती बांधकर नजरें नीचे किए कमरे से बाहर चला गया।

रानी ने अपनी चूत पर हाथ फेरकर देखा तो वो पूरी फूली हुई थी।

वो उठ पाती उससे पहले ही गुंजा कमरे में आ धमकी।
उसने आने से पहले दूर से ही मुनिलाल राव को रूम से निकलते देख लिया था।

उसे कुछ शक पहले ही हो गया था, फिर जब रानी की ऐसी हालत देखी तो उसकी आंखें जैसे फटी रह गईँ।

रानी ने गुंजा को देखा तो वो थोड़ी डरकर सहम गई।
गुंजा ने नजदीक जाकर रानी की चूत को हाथ लगाकर देखा।

चिल्लाकर गुंजा बोली- ये सब क्या है रानी? ये क्या कुकर्म किया तूने … अपने बाप से ही चुदवा लिया?

रानी रोने लगी तो गुंजा हंस पड़ी और बोली- अरे पगली … रोना नहीं है! मैं तो ऐसे ही मजाक कर रही थी। मुझे सारी बात बता अच्छे से, नहीं तो फिर मैं सबको बता दूंगी तेरा राज़!

रानी बोली- भाभी, आपको मेरी कसम है, किसी को नहीं बताना। मैं आपको सबकुछ साफ-साफ बताती हूं।
फिर रानी ने जो फादर डॉटर सेक्स हुआ वो सबकुछ बता दिया।

गुंजा समझ गई कि ससुरजी उसे चोदने आये थे लेकिन गलती से बेटी रानी चुद गई।

रानी बोली- भाभी अब मेरी इज्जत आपके हाथों में है।
गुंजा बोली- अरे मेरी प्यारी ननद, तू बेफिक्र रह, मजा तो आया ना पापा का लंड लेकर? कितना लंबा मोटा है उनका हथियार!

तभी तुरंत रानी बोल पड़ी- तो भाभी मतलब आप भी पापा से?
गुंजा ने एकदम से बात को संभालते हुए कहा- अरे एक बार ससुरजी ऐसे ही नहा रहे थे तो उनके औजार पर मेरी नजर जा पड़ी थी। फिर एक बार बाजूवाले की बेटी को सुबह-सुबह अपने बंगले की दीवार पर टिका कर चोद रहे थे।
तब देखी थी मैं तो! उसकी बेटी का मुंह दबाए हुए चोद रहे थे और जब चुदाई खत्म हुई तो बेचारी लंगड़ाकर चल रही थी।

फिर दोनों हंसने लगीं।
फिर रानी बाथरूम जाकर आई और वापस आकर दोनों बातें करने लगीं।

रानी बोली- भाभी, मेरी तो चाल ही बिगाड़ दी पापा ने! कमाल का हथियार था, कोख तक पहुंच रहा था। मैं तो कह रही हूं आप भी एक बार लेकर देखो। दोनों ननद-भौजाई एक ही हथियार पर झूलें!

बोलकर दोनों ठहाका मारकर हंस पड़ीं!

दोस्तो, आपको गुंजा की चुदाई कहानी कैसी लगी जरूर बताना।
गुंजा की चूत होली पर कैसे खुली आपने देखा, तो आपको इस फादर डॉटर सेक्स कहानी में कितना मजा आया कमेंट्स में लिख भेजें।
या फिर आप ईमेल पर भी अपने मैसेज लिख सकते हैं।
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