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Story Start Here :
Xxx ससुर सेक्स कहानी में एक छोटे परिवार में बहू को उसका ससुर चोदता था। लेकिन अब उसकी नजर अपने पोते की नयी आई दुल्हन पर थी। एक दिन दुल्हन ने अपनी सास को ददिया ससुर से चुदती देखा.
अन्तर्वासना के सभी पाठको को नमस्कार!
यह Xxx ससुर सेक्स कहानी पूनम की है जिसकी शादी एक छोटे परिवार में हुई थी।
शादी की उम्र ऐसी थी कि उसकी चूचियां कागजी नींबू के साइज की थीं।
ससुराल में आकर वह समीज-सलवार पहनने लगी क्योंकि ददिया ससुर की इच्छा थी कि बहू साड़ी पहनने से दुबली-पतली लगती है।
पूनम भी यही चाहती थी कि साड़ी न पहने।
विधवा सास साड़ी पहनकर गांड मटकाकर चलती थी जिससे उसकी नारियल साईज की चूचियां दाएं बाएं डोलती रहती थीं।
ददिया ससुर रामेश्वर सिंह मुस्कराकर अपनी विधवा बहू सीमा को देखता था और अपनी मूँछ पर ताव देता था।
विधवा बहू भी मुस्कराकर अपने ससुर को देखती थी और अपनी चूची जोर-जोर से हिलाने लगती थी।
रामेश्वर सिंह भी अपना हाथ बढ़ाकर सीमा की चूची दबा देता था और कहता- क्या माल हो बहू, तुम्हारी इसी अदा पर कुर्बान हूँ। अब आ भी जाओ मेरे रूम में … मन नहीं लग रहा है।
सीमा बोली- आप भी सबके सामने कुछ भी बोल देते हैं। देखते नहीं हैं आपके पोते की बहू पूनम देख रही है!
रामेश्वर- तुम जानती हो कि मेरे घर में पर्दा नहीं है, और उसको भी घर के तौर-तरीकों के बारे में पता होना जरूरी है।
विधवा बहू बोली- ससुर जी! कुछ तो शर्म कीजिए। पूनम आपके पोते रमेश की बहू है।
रामेश्वर सिंह मूँछ पर ताव देकर बोला- बुर चुदाई में शर्म कैसी बहू! उसका भी मन चुदाई करने के लिए नहीं करता होगा?
विधवा बहू सीमा आँखे तरेर कर बोली- आप क्या कहना चाहते हैं? पूनम को चोदिएगा? अभी वह कमसिन है। देखते नहीं हैं उसकी चूची कागजी नींबू के साईज की हैं। आपका बड़ा लंड खा लेगी क्या?
रामेश्वर सिंह मुस्कराकर बोले- जरूर मेरा लंड खाएगी जानेमन! हमने उसकी चूची देखकर ही अपने पोते रमेश की शादी की थी।
सीमा विरोध करती हुई बोली- नहीं बाबूजी! जब मैं आपसे चुदाई करवाने के लिए तैयार रहती हूँ तो पूनम को तो छोड़ दीजिए!
रामेश्वर सिंह मुस्कराकर बोला- जब तुम्हारी शादी हुई थी तो चूची कागजी नींबू साईज की थी न? मेरा लंड खाने से कैसे भागती थी … और जब एक बार चुदवा ली तो आगे-पीछे घूमती थी। हमेशा ताक में रहती थी कि कब मेरा बेटा सोहन जाए और तुम हमसे धकाधक पेलाई करवाओ।
सीमा निरूतर होकर रामेश्वर सिंह के कमरे में चली गई।
पूनम सब सुन रही थी और एक अलग रोमांच से भर गई थी क्योंकि रात में अपने पति के 5 इंच के लंड से चुदाई करते समय वह महसूस कर रही थी कि और लंबा लंड बुर में घुसे तो मजा आ जाए।
अतः वह भी रामेश्वर सिंह के रूम के खिड़की के पास खड़ी होकर देखने लगी कि ददिया ससुर का लंड कैसा है?
उधर रामेश्वर सिंह अपनी टाँगें खोलकर पलंग पर लेट गया।
सीमा अपनी साड़ी और ब्लाउज उतारकर पलंग पर बैठ गई, फिर हाथ में तेल लेकर उसके पैरों में लगाने लगी।
रामेश्वर सिंह अपने हाथ से सीमा की ब्रा के हुक खोलने लगा, फिर उसकी चूचियों को मुंह में लेकर चूसने लगा।
सीमा का हाथ अब रामेश्वर के लंड पर तेल चुपड़ रहा था।
उसने नीचे से कुछ भी नहीं पहना था इसलिए लुंगी हटाते ही लंड फनफनाता दिख पड़ा।
लंड को तना हुआ देखकर सीमा भी उत्तेजना से भर गई और अपनी चूत में उंगली डालने लगी।
रामेश्वर सिंह ने देखा कि पूनम खिड़की के पास खड़ी होकर चूत में उंगली कर रही है।
पूनम को ऐसे उत्तेजित अवस्था में देख रामेश्वर का बड़ा मोटा लंड भी और ज्यादा अकड़ गया।
उसके लंड को सीमा के नर्म कोमल हाथ सहला रहे थे।
सीमा को भी महसूस हुआ कि लंड आज कुछ ज्यादा ही कड़ा लग रहा है।
वह भी और ज्यादा कसकर उसके लंड को सहलाने लगी।
रामेश्वर से रुका न गया और उसने नंगी सीमा को बेड पर चित्त लेटा लिया।
उसने एकदम से सीमा की चूत में दो उंगलियां फंसा दीं और तेजी से चूत को फेंटने लगा।
सीमा को इस जोशीले हमले की उम्मीद नहीं थी।
उसकी चूत में एकदम से आग जल उठी।
वह रामेश्वर के हाथ को पकड़ कर चूत में तेजी से चलवाने लगी।
उसकी चूत से जैसे ज्वालामुखी फूटने वाला था।
वह बार-बार चूत को उकसा कर रामेश्वर को जबरदस्त चुदाई के लिए आमंत्रित कर रही थी।
रामेश्वर से भी रुका न गया और उसने अपना गहरे गुलाबी रंग के मोटे सुपाड़े वाला लौड़ा अपनी विधवा बहू सीमा की चूत पर सटा दिया।
उसने चूत के दोनों होंठों को लंड के मोटे सुपारे से फैलाते हुए चूत के दरवाजे खोल दिया।
लंड चूत में घुसने के लिए तैयार था।
सीमा टकटकी लगाकर रामेश्वर का चेहरा देख रही थी कि कब लंड चूत में घुसे और वो आनंद की सैर पर निकल जाए।
और ज्यादा प्यास के साथ सीमा ने रामेश्वर की नजरों में देखा जैसे उससे लंड चूत में डालने की मिन्नत कर रही हो।
रामेश्वर भरा-पूरा मर्द था और पूनम को देख उसका लंड आज कुछ अलग ही उफान पर था।
उसने एक जोर का धक्का मारा और एक ही झटके में अपना लंड सीमा की तपती चूत में उतार दिया।
सीमा बिलखी- ऊई ईईईई म्मा … आईई ईई रे! मर गई ससुरजी … धीरे से करिए न … आज बहुत मूड में लग रहे हैं … फाड़ देंगे क्या बहू की चूत को!
लंड को चूत मुंह लग चुकी थी तो रामेश्वर ने ताबड़तोड़ पेलाई शुरू कर दी।
रामेश्वर सिंह दनादन चुदाई करते हुए बोले- हाँ बहू! आज तुम्हारी जवानी का दिन याद आ गया जब तुम मुझसे पहली बार चुदी थी।
सीमा भी कमर उचकाकर चुदवाती हुई बोली- हाँ ससुरजी! हमें सब याद आ गया जब आपसे पहली बार चुदावाई थी।
रामेश्वर सिंह मुस्कराकर बोले- तुम्हारी कागजी नींबू साईज की चूची कैसे नारियल बन गईं पता ही नहीं चला, और बुर तो फैलकर भोसड़ा बन गई है!
सीमा मुस्कराकर बोली- सब आपके लंबे और मोटे लंड का कमाल है!
रामेश्वर सिंह दनादन चोदते हुए बोले- हाँ बहू! अब मेरा लंड वही कमाल पूनम के साथ करने के लिए बेकरार है।
सीमा बहू मुस्कराकर बोली- ससुरजी! पूनम अभी कमसिन कली है। आपसे कौन कहे, आप बिना पूनम को चोदे मानेंगे नहीं, परन्तु वह तैयार होगी तब न?
रामेश्वर सिंह फचाक-फचाक लंड पेलते हुए बोले- तुमको इसमें शक है क्या? देखो पूनम खिड़की से Xxx ससुर सेक्स कैसे आंखें लगाकर देख रही है!
यह सुनते ही बहू सीमा ने खिड़की के तरफ देखा तो वहाँ पर पूनम नहीं थी, शायद जल्दी से हट गई थी।
सीमा मुस्कराकर बोली- आप भी ससुर जी! मजाक बहुत कर लेते हैं!
पच-पच … फच-फच की आवाज से पूरा रूम गूंज रहा था।
खूब चोदने के बाद रामेश्वर सिंह बोले- मेरा लंड पानी निकालने वाला है। बताओ कहां गिराऊं?
सीमा झट से बोली- अरे ससुर जी! मेरी बुर में मत डालना नहीं तो गर्भवती हो जाऊँगी।
रामेश्वर सिंह मुस्कराकर बोले- हो जाओ फिर गर्भवती, वैसे भी रमेश पोता तो मेरा ही बच्चा है।
सीमा घबराकर बोली- अरे ससुरजी! उस समय तो आपका बेटा सोहन जिन्दा था इसलिए अपना बच्चा समझकर पाला। अब किसके माथे पर बच्चा थोपेंगे! जल्दी से बाहर पानी गिराइये।
रामेश्वर सिंह मुस्कराकर बोले- जैसी तुम्हारी मर्जी, लेकिन इस पानी से किसी को गर्भवती भी कर सकता हूँ।
उसने मन मारकर लंड को बुर से बाहर निकाल लिया और वीर्य की धार सीमा के पेट पर गिराना शुरू कर दिया।
सीमा की चूचियां उसके वीर्य से सन गईँ।
वीर्य उसकी चूचियों, नाभि और चूत के आसपास फैल गया।
सीमा वीर्य में नहाकर बहुत ज्यादा खुश हो गई।
फिर उसने कपड़े से वो वीर्य अपने बदन से पौंछ डाला।
पौंछते हुए वो सोच रही थी कि कहीं ससुरजी का वीर्य पूनम को भी गर्भवती न कर दे!
उधर पूनम आज ससुरजी का विशाल लंड देखकर बेचैन घूम रही थी।
उसने शाम को अपने पति रमेश का उदासी के साथ स्वागत किया।
उसका मन रामेश्वर के लंड पर अटक गया था।
वह अपने ददिया सुसर से चुदवाने के लिए बेताब होकर घूम रही थी।
उसकी चूत उसे एक जगह टिकने नहीं दे रही थी।
वह आज जानबूझकर रामेश्वर के आसपास मंडरा रही थी।
जब रुका न जाता तो एक कोने में जाकर चूत को सहलाकर आ जाती थी।
लेकिन चुदास का कोई इलाज न हो पा रहा था।
इतना लम्बा मोटा लंड चूत में लेकर कैसा लगता है … वह बस इन्हीं ख्यालों में अपना समय काट रही थी।
रामेश्वर सिंह भी पुराने खिलाड़ी थे, जानते थे कि बहू की चूत लंबा तगड़ा लंड मांग रही है.
इसलिए वे तवा गर्म होने के लिए इंतजार करने लगे।
रात में खाना खाकर सब लोग सोने लगे।
रमेश और पूनम के बीच चुदाई का प्रोग्राम शुरू हो गया।
उसने बहुत प्यार से अपनी पत्नी पूनम को धीरे-धीरे नंगी किया।
फिर पूनम से बोलकर खुद को भी नंगा करवा लिया।
दोनों एक दूसरे के बदन से लिपटने लगे।
पूनम की चूत लंड के लिए जा बहुत ही ज्यादा तड़प रही थी।
वह बार-बार रमेश के लंड को हाथ में ले लेती थी लेकिन अगले ही पल रामेश्वर का लंड ख्याल में आते ही निराश हो जाती थी।
सोचती थी कि काश ये लंड रामेश्वर का होता।
वह इस वक्त चाह रही थी उसका ददिया ससुर रामेश्वर उसे नंगी करके बुरी तरह से चोद रहा हो!
इधर रमेश ने पूनम की चूत में उंगली करनी शुरू कर दी जिससे उसकी चुदास और ज्यादा भड़क गई।
वह रमेश के होंठों को चूसने लगी और उसका हाथ अपनी चूत पर रगड़वाने लगी।
रमेश से भी रुका न गया और उसने पूनम को नीचे लिटाकर उसकी टांगें खोल दीं।
फिर अपना लंड उसकी चूत में पेलने लगा।
लंड चूत में गया तो पूनम को मजा आने लगा।
लेकिन रामेश्वर का लंड उसके दिमाग में लगातार घूम रहा था इसलिए आज रमेश का लंड उसे बहुत छोटा महसूस हो रहा था।
वह चुद तो रही थी लेकिन पूरे मन से नहीं।
उसमें आज वो उत्साह नहीं था जो सुहागरात के समय था।
रमेश मुस्कराकर बोला- क्या बात है पूनम डार्लिंग! आज मन खराब है क्या? चेहरे पर उदासी छाई हुई है?
पूनम रमेश के लंड को महसूस करती हुई बोली- नहीं प्राणनाथ! आज मुझे खांसी-सर्दी हो गई थी इसलिए उदास हूँ।
रामेश्वर उनकी बातें सुनकर मुस्करा उठा।
रमेश का रूम रामेश्वर सिंह के बगल में ही था और खिड़की से सबकुछ दिखाई और सुनाई देता था।
रामेश्वर सिंह मुस्कराकर मूँछ पर ताव देते हुए बोला- अब पूनम गर्म हो रही है।
इधर रमेश ने पूनम की चूचियों को भींचते हुए कहा- दादा से कहकर काढ़ा बनाकर पी लेती। उसकी दवा का कोई तोड़ नहीं है।
पुनम चुदवाती हुई मन ही मन बोली- हाँ प्राणनाथ! दादा साहब के काढ़े … आह्ह … मतलब दवाई का कोई तोड़ नहीं। दोपहर में आपकी माँ को भी दिया था, वे बिल्कुल ठीक हो गई!
रमेश फचाक-फचाक करते हुए बोला- तुमने बहुत बड़ी गलती कर दी। तुमको भी दादा जी का काढ़ा पीना चाहिए था।
पूनम चुदाई करवाती हुई बोली- हाँ प्राणनाथ! आप ठीक कह रहे हैं, हमें भी दादी जी का गाढ़ा काढ़ा (वीर्य) पी लेना चाहिए था! आह्ह … जरूर पीऊंगी मैं उनका काढ़ा!
रमेश दनादन चुदाई करते हुए बोले- दादा जी बहुत अच्छे हैं, और वे तुम दोनों को एकसाथ काढ़ा पिला सकते हैं। कल से तुम माँ के साथ ही काढ़ा पी लेना, भूलना नहीं।
पूनम भी दादा साहेब का काढ़ा (वीर्य) पीने की सोचकर उत्साह से भरकर बोली- हाँ प्राणनाथ! कल से मैं दादा जी का काढ़ा जरूर पीऊंगी। अब आपके आदेश का पालन तो करना ही होगा न!
यह सुनकर रामेश्वर सिंह अपने लंड की जोर से मुठ मारते हुए मन ही मन बोले- आ जा मेरी पूनम रानी! मैं आज से रोज तुमको ही अपना काढ़ा पिलाऊंगा।
पूनम उत्साह से बोली- अपना लंड और अंदर घुसाओ न प्राणनाथ! और अंदर घुसाकर चूत फाड़ चुदाई कर दो न डार्लिंग। आह्ह … करते रहो … मजा आ रहा है!
रमेश मुस्कराकर बोला- पूनम डार्लिंग! लगता है तुम ज्यादा बीमार हो गई हो इसलिए अंट-शंट बोल रही हो। मैं अपना लंड पूरा का पूरा घुसाकर चोद रहा हूँ।
पूनम चुदाई कराती हुई बोली- प्राणनाथ! और अंदर लंड घुसाओ न, और अंदर घुसाओ न डार्लिंग!
उधर रामेश्वर सिंह अपनी मूँछों पर ताव पर ताव दिये जा रहे थे।
अब उन्हें पक्का विश्वास हो गया था कि कल पूनम जरूर चुदवाएगी।
Xxx ससुर सेक्स कहानी अगले भाग में जारी रहेगी.
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