Latest Hindi Sex Stories added for who looking to read Garam Bhabi Ki Chudai – भाभी के साथ सुहागरात का मजा to make every night hot about Garam Bhabi Ki Chudai – भाभी के साथ सुहागरात का मजा story.
Story Start Here :
गरम भाबी की चुदाई का मजा मैंने तब लिया जब भाई लॉकडाउन में दूसरे शहर में फंस गए और मैं भाभी के साथ अकेला था. हमारे पास पूरा मौक़ा था सेक्स का.
दोस्तो, मैं आपको अपनी भाभी की चुदाई की कहानी सुना रहा था.
कहानी के पहले भाग
भाभी ने पहली बार मेरा लंड चूसा
में अब तक आपने पढ़ा था कि भाभी की चुत में मैंने अपना गधा छाप मूसल पेल दिया था और धकापेल चुदाई जारी थी.
अब आगे गरम भाबी की चुदाई का मजा:
लगातार 15 मिनट पेलने के बाद हम दोनों ने पोजीशन बदली.
मैं बिस्तर पर लेट गया.
भाभी मेरे ऊपर चढ़ गईं और गांड उछाल उछाल कर चुदाने लगीं.
मैं उनके चूचों से खेलने लगा.
लगभग दस मिनट तक लौड़े पर उछालने के बाद मैंने देखा कि भाभी थक गई हैं और वे मेरे ऊपर लेट गईं.
मैंने उन्हें अपने ऊपर से हटाया और बिस्तर पर घोड़ी बना कर पेलने लगा, गांड की तरफ से लंड चुत में डालकर चुदाई करने लगा और भाभी की चूचियां दबाने लगा.
इस दौरान वे दो बार झड़ चुकी थीं.
उन्होंने दर्द भरी आवाज़ में कहा- अभी और कितनी देर तक चोदोगे?
मैंने कहा- बस 25-30 झटके और सह लो मेरी जान.
वे चुप हो गई और काफी देर बाद मैं भी झड़ने वाला हो गया था.
तब मैंने उनसे कहा कि मुँह में लेगी क्या?
उन्होंने ना कहा.
मेरा वीर्य कंडोम में ही निकल गया.
मैंने देखा कि भाभी की चूत से खून निकल रहा था. मैंने अपना लंड बाहर निकाला और नंगा बिस्तर पर लेट गया.
सुरभि भाभी धीरे से कराहती हुई उठीं और बाथरूम चली गईं.
मैं थक कर सो गया.
एक घंटे बाद सुरभि भाभी कमरे में आईं और मेरे गालों को चूमती हुई बोलीं- जाओ नहा लो.
वे एक पतली लाल रंग की नाइटी में थीं.
मैं उठ कर गया और नहा कर नंगा ही कमरे में आ गया.
मेरा लंड अब भी खड़ा था और सलामी दे रहा था.
खड़े लौड़े को देख कर सुरभि भाभी बोलीं- अब इसे क्या चाहिए, साले ने मेरी चूत तो फाड़ ही दी.
मैंने कहा- अब गांड!
भाभी ने गुस्से से चिल्लाते हुए कहा- साले गंदे आदमी … कुछ भी बोलते हो, ये सब गन्दा काम मेरे से नहीं होगा.
मैंने कहा- सेक्स में कुछ गंदा नहीं होता है जानेमन!
सुरभि भाभी ने कहा- आज कुछ नहीं, मेरी कमर में बहुत तेज दर्द हो रहा है!
मैंने कहा- ठीक है, लेकिन इसका क्या करूं … ये तो अभी भी सलामी दे रहा है?
सुरभि भाभी ने कहा- मैं इसका कोई उपाय लगाती हूं.
वे मेरे पास आईं और नीचे बैठ कर लंड को अपने मुँह में भर कर चूसने लगीं.
मैं हैरान था कि भाभी लंड चूस रही थीं.
वे मेरे लौड़े को ऐसे चूस रही थीं जैसे कोई छोटा बच्चा लॉलीपॉप चूसता है.
कुछ मिनट बाद मैं उनके मुँह में ही झड़ गया और भाभी ने मेरा पूरा पानी पी लिया.
वे रस पीती हुई बोलीं- ठंडा हो गया न … अब सो जाओ.
उस वक्त सुबह के तीन बजे का समय हो रहा था.
मैं बेड पर लेट गया और भाभी को अपने सीने से लिपटा कर सो गया.
अगले दिन मेरी नींद 11 बजे खुली.
मैंने बाजू में देखा तो सुरभि भाभी नहीं थीं.
मैंने कमरे में नजर दौड़ाई तो वे कमरे में भी नहीं थीं.
मैं कमरे से बाहर निकलने को हुआ तभी देखा कि भाभी बाथरूम का दरवाजा खोल बाहर आ रही हैं. वे केवल काले रंग की ब्रा और पैंटी में थीं.
मेरे मुँह से निकल गया- हाय … कितना सुनहरा मौका हाथ से छूट गया!
भाभी शर्माती हुई बोलीं- रात से तुम्हारा मन नहीं भरा जो तुम फिर से शुरू हो गए!
मैंने कहा- यह तो जितना भी कर लूँ मेरी जान, मन ही नहीं भरता.
“हां तुम तो कहोगी ही, तुम्हें दर्द थोड़े न हो रहा है. अभी तक मेरी कमर टूट रही है, दर्द के मारे जान निकली जा रही है.” यह कहती हुई वह कमरे से बाहर चली गईं.
मैं बाथरूम में गया और नित्य क्रिया से निवृत्त होकर जब बाहर आया तो भाभी किचन में थीं.
वे सफेद कलर की पंजाबी सूट सलवार में पूरी माल लग रही थीं.
मैंने कहा- सुरभि मेरी जान, कत्ल करने का इरादा है क्या, क्यों ऐसे बिजली गिरा रही हो?
भाभी ठहाका मार कर हंसने लगीं और मैं भी.
फिर मैं उनके पीछे गया और उन्हें पीछे से उनकी गांड की दरार में अपना लंड बाहर से रगड़ने लगा, साथ ही उनके बूब्स को दबाने लगा.
भाभी कामुक सिसकारियां भरने लगीं और कसमसाती हुई बोलीं- क्या कर रहे हो यार … अभी जाओ यहां से, मुझे काम करने दो.
मैंने कहा- ठीक है, तुम अपना काम करो … मैं अपना करता हूं.
मगर भाभी ने मुझे वहां से भगा दिया.
भाभी ने कहा- मुझे पता है तुम्हारा काम! जाओ यहां से!
मैं निराश होकर बाहर जाकर सोफे पर बैठ गया और टीवी देखने लगा.
भाभी लगभग एक घंटा बाद आईं और बोलीं- खाना तैयार है, आओ खाते हैं.
मैं उठा और टेबल के आगे बैठ गया.
सुरभि भाभी एक थाली में खाना लगा लाईं और मेरी गोद में बैठ कर बोलीं- खाना खाते हैं.
मेरी गोद में बैठने से लंड खड़ा होने लगा.
मैंने सुरभि भाभी से कहा- अब ये भी भूखा है, इसे भी इसका भोजन दे दो ना प्लीज़!
सुरभि भाभी ने कहा- रात भर जम कर खाया है इसने … तब भी इसका पेट नहीं भरा!
मैंने कपड़ों के ऊपर से भाभी के बूब्स को दबाया और कहा- अभी कहां!
भाभी ने कहा- ठीक है, लेकिन पहले खाना खत्म करो.
खाना खत्म करने के बाद वे बोलीं- अब हटो, पहले मुझे घर की सफाई करनी है.
मैंने कहा- चलो मैं मदद कर देता हूं!
इस पर उन्होंने कहा- नहीं, बस पांच मिनट में सब साफ हो जाएगा … और अगर तुम आ गए तो 5 मिनट का काम भी 50 मिनट का हो जाएगा.
यह कह कर भाभी मेरी गोदी से उठने लगीं.
मैंने उनकी एक चूची को जोर से दबा दिया.
वे कराह कर बोलीं- हट बदमाश!
भाभी किचन में जाकर साफ सफाई करने लगीं.
मैं फिर से जाकर सोफे पर बैठ गया और मोबाइल चलाने लगा.
तभी सुरभि का फोन बजा.
मैंने देखा तो भैया का फोन था.
मैंने कहा- सुरभि देखो भैया का फोन है.
भाभी ने फोन उठाया और कमरे में चली गईं.
लगभग 15 मिनट बात करने के बाद वे वापस आकर अपना काम करने लगीं.
मैंने पूछा- भैया ने क्या कहा?
उन्होंने कहा कि वे वहां कुशल से हैं और प्रयास कर रहे हैं कि जल्द से जल्द घर आने की व्यवस्था हो जाए.
मैंने कहा- ठीक है, जब तक नहीं आते हैं, तब तक मेरी तो चांदी ही चांदी है.
सुरभि ने कहा- हां तुम तो चाहोगे ही कि मेरा पति और ज्यादा समय बाद आए, ताकि तुम अपनी प्यास बुझा सको.
इसके बाद वे अपने काम में लग गईं.
मैं भी अपने मोबाइल में व्यस्त हो गया.
लगभग एक घंटे बाद भाभी ने अपना काम पूरा कर लिया और वे मेरे बगल में आकर बैठ गईं.
मैंने कहा- चलो, कोई फिल्म देखते हैं.
भाभी ने कुछ नहीं कहा.
फिर मैंने टीवी पर चैनल बदला तो उस पर ‘क्या कूल हैं हम’ फिल्म आ रही थी.
मैंने कहा- यह फिल्म देखते हैं अच्छी है.
हम दोनों बैठकर फिल्म देख रहे थे कि मेरे दिमाग में शैतानी सूझी.
मैं उठ कर भाभी की पीठ पर चुंबन करने लगा.
सुरभि भाभी ने कुछ नहीं कहा.
तब मैंने पीछे से उनकी कुर्ती की चैन खोल दी और उसे उतारने लगा.
इस पर भी सुरभि भाभी ने कुछ नहीं कहा.
मैंने उनकी कुर्ती उतार कर नीचे फेंक दी.
भाभी मेरे सामने ब्रा में बैठी थीं.
मैं उनकी पीठ और पेट पर चुंबन करता रहा.
वे आंखें बंद करके चुंबन का मजा लेने लगीं और मुँह से गर्म सिसकारियां निकालने लगीं.
थोड़ी देर चुंबन करने के बाद मैंने भाभी की ब्रा भी उतार दी.
मैं उनके दोनों बूब्स के साथ ऐसे खेलने लगा, जैसे कोई छोटा बालक हो.
दोनों हाथों से दूध दबा दबा कर मैंने उनके दोनों मम्मे पूरे लाल कर दिए थे.
इसके बाद मैंने भाभी की सलवार भी उतार दी और पैंटी भी निकाल फेंकी.
अब मैं सोफे से उतर कर नीचे बैठ गया और उनकी दोनों टांगों को फैला कर चूत को सहलाने लगा, अपनी जीभ से चुत चाटने लगा.
भाभी मेरे सर के बालों को पकड़ कर अपनी फैली हुई टांगों के बीच चुहचुहाती चुत पर मेरा सर रगड़वाने लगीं.
इससे हुआ यह कि थोड़ी ही देर बाद भाभी के मुँह से आवाज निकलने लगी- आह … मजा आ रहा है. आह साले … और अच्छे से चाट मादरचोद … बहुत मजा आ रहा है.
मैं भी लगा रहा और लगातार दस मिनट तक चुत चाटने से उनकी चूत से पानी की धार निकल पड़ी.
उनकी चूत पानी पानी हो गई.
मैंने सारा पानी चाट कर चुत को साफ कर दिया.
वे निढाल होकर सोफ़े की पुश्त से सर टिका कर हांफी भरने लगीं.
मैं वहां से उठ खड़ा हुआ और जाकर कंडोम चढ़ा कर आ गया.
मैंने सुरभि भाभी से कहा- थोड़ा मेरा भी चूस लो, चाकलेट जैसा लगेगा.
सुरभि ने कहा- तुम मानोगे नहीं बिना चुसाए, तुम्हारा सेक्स पूरा ही नहीं होता.
मैं हंसता हुआ उनके सामने खड़ा हो गया.
सुरभि भाभी ने मेरा लंड पकड़ा और मुँह में डाल कर चूसने लगीं.
मैं जैसे जन्नत की सैर कर रहा था.
दस मिनट तक चूसने के बाद मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया.
भाभी मजे से लौड़े को चूस रही थीं.
मैंने उन्हें रोका और उनकी टांगों को फैला कर अपना औजार भाभी की गुफा के द्वार पर सैट कर दिया.
फिर एक ही झटके में पूरा अन्दर घुसेड़ दिया.
भाभी की चीख निकल गई. वे गाली देती हुई बोलीं- मां के लौड़े, आराम से चोद साले … दर्द होता है जब तुम्हारा हथौड़ा मेरी चुत के अन्दर जाता है!
मैंने भाभी की बात को अनसुना कर दिया और लगातार पेलता रहा.
वे लगातार आहें भर रही थीं और कह रही थीं- आह और तेज से करो साले आह और तेजी से चोदो!
वे अकड़ने लगी थीं और जल्द ही झड़ गईं. वे दो बार झड़ चुकी थीं.
फिर मैंने उन्हें पीठ के बल घोड़ी बना दिया.
मैंने भाभी के चूतड़ सहलाते हुए कहा- मेरी जान, अब मैं तुम्हारी गांड में लंड डाल रहा हूँ.
सुरभि भाभी ने मना कर दिया- नहीं!
मैंने भी ज्यादा जोर नहीं दिया.
अब मैंने भाभी को घोड़ी बनाकर अपने लौड़े को वापस चुत में डाला और चोदता रहा.
इस बार काफी देर की चुदाई करते हुए मैं थक गया था.
मैं सोफे पर बैठ गया.
सुरभि भाभी ने अपने दोनों पैरों को फैलाया और मेरे खड़े लंड को अपनी चुत में अन्दर करके घुसेड़ लिया.
वे लौड़े पर ऊपर नीचे कूद कूद कर चुदवाने लगीं.
गरम भाबी की चुदाई करके मैं कंडोम के अन्दर ही झड़ गया.
मेरे लंड में ढीलापन आ गया था मगर मैंने अपने लंड को भाभी की चूत से बाहर नहीं निकाला.
मैं उनके बूब्स दबाने लगा और वे उछलती रहीं.
कुछ देर बाद भाभी भी झड़ गईं और हम दोनों नंगे ही बाथरूम में चले गए.
वहां मैंने कंडोम बदला और शॉवर ऑन करके उनके नीचे आ गया.
मैंने फिर से सुरभि भाभी की चुदाई का एक और राउंड खेला.
उसके बाद नहा कर हम दोनों कमरे में आकर लेट गए और वहां पर थकावट के कारण नींद आ गई.
मगर रात में जब हमारी नींद खुली, हम दोनों ने चुदाई का कार्यक्रम पुनः दोहराना शुरू कर दिया.
अगले दो-तीन दिनों में हम दोनों ने इतनी अधिक चुदाई कर ली थी कि हमारे प्राइवेट पार्ट छिल कर लाल हो गए थे.
उसी कारण से अब हम दोनों को ही बहुत दर्द होने लगा था.
इसलिए हमने फैसला किया कि दो-तीन दिनों तक कुछ नहीं करेंगे.
मगर जब भी मौका मिलता, एक दूसरों को किस तो कर ही लेते.
काफी देर देर तक हम दोनों एक दूसरे के बदन को चाटते रहते, सेक्स टाइम का मजा उठाते.
लगभग 5 दिनों तक हमने अपने प्राइवेट पार्ट के साथ सेक्स नहीं किया, भले ही रात को हम दोनों एक दूसरे को पकड़ कर नंगे ही सोते.
अब भाभी मेरे रंग में और मैं उनके रंग में रंग चुका हूं. हम दोनों दिन में भी नंगे ही घर में घूमते रहते हैं. एक दूसरे को चूमते और चाटते रहते हैं.
सातवें दिन जब सुबह हम नाश्ता कर रहे थे, तब मैंने सुरभि से कहा- आज तैयार रहना. आज हमारी हनीमून की रात होगी.
सुरभि भाभी ने कहा- आज तक क्या हम दोनों भजन कर रहे थे?
यह कह कर भाभी हंसने लगीं.
मैंने कहा- आज मैं तुम्हारी एक ना सुनूंगा, जो चाहूंगा वह करूंगा, जैसे चाहूंगा वैसे करूंगा … और तुम कुछ नहीं बोलोगी!
सुरभि भाभी ने कहा- जैसे आज तक मेरी ही चली है, तुम तो कुछ करते ही नहीं!
मैंने कहा- आज मैं बिना कंडोम के करूंगा.
उस पर सुरभि भाभी ने कहा- ठीक है कर लेना, मैं भी चाहती हूं कि मैं तुम्हारे बच्चे की मां बन जाऊं. यह हमारे इस प्रेम की निशानी होगी. तुम्हारे भैया को क्या पता चलेगा. उन्हें बोल दूंगी कि तुमने जिस दिन चेन्नई जाने वाले दिन बिना कंडोम के सेक्स किया था, यह उसी का परिणाम है.
शाम को हमने जल्द ही अपना खाना खाकर खत्म किया और बेडरूम में चले गए.
भाभी ने कहा कि मैं बस एक मिनट में आती हूं.
उन्होंने कमरे की अलमारी में से कुछ कपड़े निकाले और बाथरूम में चली गईं.
जब वे बाहर निकलीं, तो मैं उन्हें देखता रह गया.
भाभी ने एक लाल रंग की ट्रांसपेरेंट नाइटी पहनी हुई थी जिसमें वे पूरी तरह से कुंवारी लड़की लग रही थीं.
कुछ ही दिनों में भाभी के बूब्स 34 इंच के हो गए थे जो इस नाइटी में साफ नजर आ रहे थे.
उनकी कमर 28 और नीचे का हिस्सा 36 इंच का हो चुका था.
भाभी पूरी तरह से गजब की अप्सरा लग रही थीं.
मैं उन्हें देखता ही रह गया.
वे मेरे पास आकर बोलीं- क्या हुआ? ऐसे क्या देख रहे हो … रोज तो इसी जवानी का मजा उठा रहे हो!
मैंने कहा- आज तक तुम्हें इतना हॉट कभी नहीं देखा जान. तुम रोज ही मेरे सामने नए अवतार में आ रही हो.
यह सुनकर भाभी शर्मा गईं और बिस्तर में आकर मेरे बगल में बैठ गईं.
मैंने जल्दी से अपने पूरे कपड़े उतार कर जमीन पर फेंक दिए और केवल अंडरवियर में बैठ गया.
मैंने भाभी को अपनी तरफ खींचा और उनके मुलायम सिल्की रेशमी बालों को उनके कान के पीछे लगा दिया, फिर उनके होंठों पर अपने होंठों को सटा दिया और चुम्बन करने लगा.
इस बीच हमारे होंठ उत्सुकता में कब दांत के बीच आकर कट गए, हमें पता ही नहीं चला.
भाभी ने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरी गर्दन के रास्ते नीचे आती गईं … वे मेरी चौड़ी छाती को चूमने लगीं.
कुछ मिनट तक बेसब्री से चूमने के बाद उन्होंने अपने हाथों से मेरा अंडरवियर नीचे सरका दिया और मेरे लंड को पकड़ कर मुठ मारने लगीं.
मेरे आनन्द का कोई ठिकाना नहीं रहा.
वे झुकीं और अपने मुँह में मेरे लंड को भर लिया. आह वे लौड़े को चूसने लगी थीं.
मैं भी भाभी का सर पकड़ उनके मुँह को चोदने लगा.
करीब 50-60 झटके देने के बाद मैं उनके मुँह में ही झड़ गया और भाभी ने पूरा माल निगल लिया.
दोस्तो, यह मेरे लिए एक अनोखा अनुभव था. उनकी इस बात से मुझे समझ आ गया कि भाभी धीरे धीरे मेरे अनुसार चलती हुई सेक्स का मजा लेने लगेंगी.
आगे मैं आपको बताऊंगा कि किस तरह से मैंने भाभी की गांड मारी.
यह गरम भाबी की चुदाई पढ़ कर आपको मजा आया.
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गरम भाबी की चुदाई कहानी का अगला भाग: