Latest Hindi Sex Stories added for who looking to read Hot Bhabhi Sex Play – भाभी ने पहली बार मेरा लंड चूसा to make every night hot about Hot Bhabhi Sex Play – भाभी ने पहली बार मेरा लंड चूसा story.
Story Start Here :
हॉट भाभी सेक्स प्ले कहानी में मैं एक बार भाभी को चोद चुका था. दूसरी चुदाई के लिए भाभी मना कर रही थी कि दर्द हो रहा है. फिर मैंने अगले दिन उन्हें सेक्स के लिए मनाया.
हैलो दोस्तो, मैं शिवम कानपुर से हूँ.
मैंने आपको अपनी सेक्स कहानी
सेक्सी भाभी की अन्तर्वासना
में सुनाया था कि लॉकडाउन में किस तरह से सुरभि भाभी के साथ मेरी चुदाई आरंभ हुई थी.
उस चुदाई कहानी को आपने एक अलग शीर्षक से पढ़ा था.
आज मैं अपनी सुरभि भाभी के साथ उसी फ्लैट में किस तरह से लॉक डाउन के दिन बीते, उसकी गर्म दास्तान को सुना रहा हूँ.
उस सेक्स कहानी में आपने पढ़ लिया था कि मैंने दोपहर में भाभी को चोद दिया था और रात में उन्होंने मुझे यह कह कर चुदाई करने से मना कर दिया था कि मैंने उन्हें चुदाई में बहुत दर्द दिया है तो अब चुदाई नहीं करो, बस ऊपर ऊपर से जो मर्जी हो सो कर लो.
अब आगे हॉट भाभी सेक्स प्ले कहानी:
मैंने सुरभि भाभी की टी-शर्ट को उतार दिया. उन्होंने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी.
मैं उनके दोनों बूब्स को दबाने लगा और होंठों पर किस करने लगा.
सुरभि भाभी बोलीं कि रहने भी दो ना, दबा दबा कर लाल कर दिए हैं, अब तो छोड़ दो!
मैंने कहा कि आज तो इन दोनों के सहारे से रात कटनी है क्योंकि तुमने नीचे के तहखाने को बंद किया है.
सुरभि भाभी जोर से हंस पड़ीं और हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे.
कुछ देर बाद हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर सो गए.
सुबह उठते ही मैंने देखा कि भाभी बिस्तर पर नहीं हैं.
तो मैंने सुरभि भाभी को आवाज़ लगाई.
कमरे में ही बने बाथरूम के अन्दर से आवाज आई- मैं बाथरूम में हूँ.
यह सुनते ही मैं उठ खड़ा हुआ और बाथरूम की ओर गया.
मैंने देखा कि बाथरूम का दरवाजा खुला है.
मैंने तुरन्त अपने कपड़े उतारे और अन्दर घुस गया.
सुरभि भाभी ब्रा और पैंटी में नहा रही थीं.
मैंने उन्हें पीछे से अपने आगोश में ले लिया और उनके माथे पर फिर उनके नर्म नर्म गाल पर, फिर होंठों पर चूमने लगा.
वे भी मेरा भरपूर सहयोग कर रही थीं. फव्वारे से ऊपर से गिरता हुआ झरने का पानी भाभी की ब्रा में जाकर ठहर रहा था मानो कह रहा हो कि इन दोनों चूचियों को आजाद कर दो.
मैंने अपने हाथ भाभी के पीछे लिए और ब्रा का हुक खाल दिया, उनके दोनों कबूतरों को आजाद कर दिया.
सुरभि भाभी मुझे लगातार चूमती जा रही थीं.
फिर उन्होंने मेरे कान को अपने दांत से खींच कर कहा- आज हमारी सुहागरात है पति देव!
मैंने उन्हें पलट दिया और उनकी नंगी पीठ को चूमता हुआ वहीं बैठ गया.
बैठने से मैं भाभी की जांघों तक जा पहुंचा और चुंबन करने लगा.
इससे भाभी पूरी तरह से गर्म हो गई थीं और उनके मुँह से कामुक सिसकारियां निकलने लगीं.
भाभी की आवाजों से बाथरूम गूंज उठा.
‘आह … आह ओह … ओह …’ की आवाजें माहौल को मदमस्त करने लगी थीं.
मैंने उनकी पैंटी को उतार दिया और उनकी गीली चूत में अपनी जीभ डाल कर चाटने लगा.
वे पूरी पागल हो गई थीं और अपनी आंखों को बंद करके लगातार सिसकारियां ले रही थीं.
कुछ देर चुत का रसपान करने के बाद उनका शरीर पूरी तरह से अकड़ गया और वे झड़ गईं.
मैंने उनकी चुत से निकला सारा पानी चाट लिया.
फिर मैं खड़ा हुआ तो मेरा लंड खड़ा हो गया था.
वह मेरी अंडरवियर को चीर कर निकलने वाला था कि अचानक से दरवाजे की घंटी बजी.
हम दोनों सहम गए कि कहीं भईया तो नहीं आ गए.
मैंने जल्दी से अपने कपड़े पहने और बाहर जाकर दरवाज़ा खोला तो देखा कि बाहर कोविड के सर्वे वाला था, जो घर घर जाकर लोगों को कोविड के नियम समझा रहा था.
मैंने उसके वचन ध्यान से सुने और फिर से दरवाजा बंद करके अन्दर आ गया.
तब तक सुरभि भाभी भी नहा ली थी और वे किचन में काम करने लगी थीं.
मैं किचन में गया और कहा- चलो अधूरा काम पूरा करते हैं.
तब सुरभि भाभी ने कहा- जो होना था, वह हो गया. अब सब शाम को.
यह कह कर वे हंसने लगीं और बोलीं- इंतजार का फल मीठा होता है!
मैंने कहा- अच्छा जी. शाम को कुछ भी करो … मैं छोड़ने वालों में से नहीं हूँ. मैं जो कहूंगा, वह तुम्हें करना पड़ेगा.
तब सुरभि भाभी ने कहा- हां यार जो करना हो … कर लेना. मैं कुछ नहीं बोलूंगी. आखिर यह तुम्हारी पहली सुहागरात जो होगी!
तब मैंने सुरभि भाभी से पूछा- घर में मौजूद दवाइयां तो हैं ना!
क्योंकि अभी बीमारी का मौसम चल रहा था और महामारी सामने थी.
उन्होंने दवाओं के बारे में अनभिज्ञता जताई तो मैंने जाकर फर्स्ट एंड बॉक्स में देखा कि दवाइयां हैं या नहीं.
उसमें दर्द निवारक दवाएं नहीं थीं.
मैंने भाभी से कहा कि सुबह के समय लॉकडाउन में ढील होती है, मैं अभी जाकर मार्केट से सारी दवाइयां ले आता हूं. कुछ सब्जी वगैरह भी मंगवानी हो तो बता दो.
सुरभि ने कुछ सब्जी भी साथ में लाने को कह दिया.
मैं ‘ठीक है’ कह कर चल दिया.
मैं मार्केट चला गया और रोजमर्रा में मौजूद होने वाली सामान्य दवाइयां ले आया.
उसके साथ ही मैंने एक कंडोम का बड़े साइज़ का पैकेट भी ले लिया तथा प्रेगनेंसी पिल्स भी ले लीं.
दवाइयां और सब्जी आदि लेकर मैं घर पहुंच गया.
उस समय सुरभि भाभी टीवी पर समाचार सुन रही थीं.
उन्होंने कहा- यह तो बड़ी भयानक बीमारी आई है. इससे तो अभी तक हजारों लोग मर चुके हैं. आज के बाद तुम बाहर नहीं जाओगे और अभी सीधे बाथरूम में जाकर नहा लो.
मैंने कहा- ठीक है.
मैं नहाने घुस गया.
बाथरूम का दरवाजा मैंने खुला रखा.
भाभी मुझसे बात भी कर रही थीं.
फिर उन्होंने कहा कि आज तुम्हारे बड़े भैया से भी बात हुई थी, उनका कहना है कि जिधर वे हैं, वहां एक प्रतिबंधित क्षेत्र बना दिया गया है. उसके बाहर निकलने की किसी को अनुमति नहीं है. इसलिए जब तक लॉकडाउन खुल नहीं जाता, तब तक वे घर नहीं आ पाएंगे.
यह सुनकर मैंने सुरभि भाभी से बोला कि आज रात का क्या प्रोग्राम है?
वे शर्मा गईं और अपने कमरे में चली गईं.
रात को जब मैं खाना खाकर सुरभि भाभी के कमरे में पहुंचा, तो मैंने देखा वहां बिस्तर पर नई चादर बिछी हुई थी तथा कुछ फूलों की पंखुड़ियां बिछाई हुई थीं, जो हमारे फ्लैट की बालकनी में लगे गुलाब के पौधे में उगे फूलों की थीं.
उन्होंने ऐसे सजाने का प्रयास किया था, जैसे फिल्मों में होता है.
मैं बिस्तर पर जाकर बैठ गया.
अचानक से बाथरूम का दरवाजा खुला.
मैंने देखा कि सुरभि भाभी अपनी शादी के जोड़े में मेरे सामने खड़ी हैं.
मैं उन्हें ऐसे देखकर पूरी तरह से अचंभित हो गया.
मैंने आगे बढ़ कर उनके हाथ को अपने हाथ से पकड़ा और बड़ी नजाकत से बिस्तर पर बिठाया.
सबसे पहले मैंने भाभी के घूँघट को उठाया.
वे एकदम नई नवेली दुल्हन लग रही थीं.
मैंने उनके होंठों पर अपने होंठों को सटाकर हौले से चूमा तो वे सिहर गईं.
मैं उन्हें चुंबन करने लगा तो वे नई नवेली दुल्हन की तरह नखरे दिखाने लगीं और मुझसे दूर हो गईं.
मैंने उन्हें पीछे से पकड़ा और धीरे-धीरे उनकी गर्दन पर चुम्बन करते हुए उनके आभूषणों को एक एक करके उतारने लगा.
पहले मांग टीका, फिर नथ, फिर कान की बालियां और अंत में गले का हार एवं चूड़ियां निकाल दीं.
भाभी के शरीर से आ रही मदहोश सुगंध में गुम सा हो गया.
मैंने उनके सारे शरीर को ऊपर से हाथ से सहलाया और उन्हें लिटा कर उनके ऊपर चढ़ गया.
मैं उनके होंठों से अपने होंठों को सटाकर खेलने लगा.
वे भी सहज होने लगी थीं.
फिर मैंने गर्दन के रास्ते धीरे-धीरे नीचे बढ़ना स्टार्ट किया और एक हाथ को चूमते हुए उनकी पतली कमर तक जा पहुंचा.
इधर आकर मैं उनके पेट पर तथा नाभि पर टूट पड़ा एवं चुंबन करने लगा.
मेरे दोनों हाथ सुरभि भाभी के अमृत कलशों को लगातार कपड़े के ऊपर से दबाए जा रहे थे.
लगभग दस मिनट तक चुंबन करने और दूध दबाने के बाद मैंने उन्हें पीछे पलटा दिया और उनकी कुर्ती की डोरियों को खोलने की कोशिश करते हुए उनकी पीठ पर चुंबन किया.
वे अश आह आह कर रही थीं.
उनकी कुर्ती की डोरियां मुझसे खुल ही नहीं रही थीं तो मैंने उनसे कहा- खुलती कैसे हैं?
उन्होंने कहा कि मैं अपना उतारती हूं, तुम अपने कपड़े भी उतारो ना! मैं तुम्हारे सामने आधी नंगी पड़ी हूँ और तुम पूरे कपड़े में हो.
हम दोनों ने अपने अपने कपड़े उतार दिए.
अब वे मेरे सामने केवल ब्रा और पेटीकोट में थीं.
मैं केवल अंडरवियर में आ गया था.
भाभी आकर मेरी गोद में बैठ गईं और मुझे चुम्बन करने लगीं.
भाभी ने मेरे होंठों से अपने होंठ सटा कर जोरदार चुंबन किया.
मैं भी उनका भरपूर साथ दे रहा था.
इस बीच मैंने उनकी ब्रा खोल दी और मम्मों को आजाद कर दिया.
फिर जल्दी से उनके दोनों दूध मसल दिए.
सुरभि भाभी के मुँह से आह निकल गई.
वे बोलीं- आह आराम से करो न, पूरी रात बाकी है.
मैं हंसने लगा और उनकी चूची को दबाने लगा.
मैं उनकी ब्रा में कैद एक चूची को दबाया, तो दूसरी अपने आप ब्रा से बाहर निकल आई.
मैंने एक को दबाने लगा दूसरी को मुँह में भर कर चूसने लगा.
फिर अदला बदली कर करके मैंने दोनों चूचों को अपने मुँह से और हाथ से चूसा व सहलाया.
मैं काफी समय तक लगातार उनके मम्मों से ही खेलता रहा.
पूरे कमरे में सुरभि भाभी की सिसकारियों की आवाज गूंज रही थी.
लगभग एक घंटा तक दूध दबाने और चूसने के बाद भाभी ने कहा- सिर्फ पहाड़ों में ही घूमते रहोगे क्या? घाटी में भी मजा आता है!
यह सुनकर मैं अपना एक हाथ नीचे ले आया.
उधर मैंने धीरे से उनके पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया और पेटीकोट को पैरों की तरफ से नीचे सरका दिया.
अब मैं भाभी की पैंटी के ऊपर से उनकी चूत को रगड़ने लगा.
सुरभि की चूत से पानी निकल रहा था, जिससे उनकी पैंटी पूरी तरह से भीग चुकी थी.
मैंने एक झटके में पैंटी को उतार दिया और नंगी चुत को रगड़ने लगा.
सुरभि भाभी के मुँह से निकलने लगा- आह आह जान, मेरी चुत के दाने को भी रगड़ दो ना!
मैंने कहा- तुम चिंता ना करो जान, मैं आज तुम्हारा कुछ नहीं छोडूंगा.
मैं नीचे को सरका और सुरभि भाभी के पैरों के बीच में बैठ गया.
मैंने उनके पैरों को बिस्तर के नीचे लटका दिया और दोनों जांघों के बीच बैठकर उनकी चूत में उंगली डाल कर हिलाने लगा.
इससे यह हुआ कि वे इतनी देर से वासना की गर्मी से तप्त हो गई थीं तो उंगली चलाते ही झड़ गईं.
अब मैंने अपना मुँह चूत की दरार पर रख दिया और भाभी की गुलाबी चूत को चाटने व चूसने लगा.
मुझे महसूस हुआ कि आज भाभी ने अपनी झांटों के बाल एक बार फिर से साफ किए थे.
क्योंकि सुबह बाथरूम में चुत पर छोटे-छोटे बाल थे, जो मुझे हाथ फेरने से महसूस हो रहे थे.
मैं जब भाभी की चूत चाट रहा था तो वे तड़फ कर बोलीं- अब और मत तड़पाओ, बस जल्दी से डाल दो ना प्लीज़ … जल्दी से चोद दो मुझे … नहीं तो मैं मर जाऊंगी.
मैंने कहा- अभी कहां, अभी तुमने मेरे केले का स्वाद तो लिया ही नहीं!
सुरभि भाभी बोलीं- मैं गंदे काम नहीं करती, यह कितनी खराब आदत है. मैंने आज तक तुम्हारे भैया का भी नहीं लिया है … तो तुम्हारा कैसे लूँगी, पगला गए हो क्या!
मैंने कहा- तुमने सुबह क्या कहा था, जो कहूंगा वह करोगी. तो अपने मुँह में लो ना!
यह कह कर मैं बिस्तर पर घुटने के बल खड़ा हो गया.
सुरभि ने नानुकुर करती हुई मेरे अंडरवियर उतारा और तभी मेरे अजगर जैसे मोटे और 7 इंच लम्बे लंड ने फुफकार मार दी.
वह चड्डी से एकदम से निकल कर फनफनाने लगा.
उसका रौद्र रूप देख कर भाभी सहम गईं और बोलीं- ये लंड है या हथौड़ा?
मैंने कहा- जो भी है, बस तुम्हारे सामने है … अब ले भी लो ना मुँह के अन्दर!
वह केवल ऊपर से ही मेरे लौड़े को चूम रही थीं.
मैंने उनके सर को पीछे से पकड़ा और अपना लंड उनके मुँह में घुसेड़ दिया.
वे मुझे पीछे की तरफ धक्का देने लगीं मगर मैंने जोर जबरदस्ती करते हुए अपना आधा लंड उनके मुँह में डाल दिया और जोर-जोर से चोदने लगा.
पूरे कमरे में पच पच की आवाज गूंजने लगी.
मेरा लंड अब उनके गले तक जा रहा था.
हॉट भाभी सेक्स प्ले के कुछ मिनट के बाद मैं उनके मुँह में झड़ गया.
मैंने अपना सारा पानी उनके गले में निकाल दिया था.
भाभी खाँसती हुई बोलीं- साले मादरचोद, मुझे रंडी समझा है क्या!
मैं हंसने लगा और उनके बूब्स को दबाने लगा, उनके होंठों को चूमने लगा जिससे वे पुनः गर्म हो गईं.
दस मिनट के चुंबन के बाद मैंने उनकी कमर को पकड़ा और चूत के ऊपर अपना लंड रगड़ने लगा.
भाभी के मुँह से निकलने वाली कामुक सिसकारियों की आवाज तेज हो गई.
वे कहने लगीं कि अब तड़पाओ मत यार … प्लीज डाल भी दो.
मैंने कहा- अभी आता हूं.
उन्होंने कहा- कहां जा रहे हो मुझे अकेली छोड़कर?
मैंने कहा- अभी आता हूं जान.
मैं कंडोम पहन कर आ गया.
मैं बोला- अब एक बार चूस लो ना प्लीज़!
वे कंडोम लगे लंड को चूसने के लिए राजी हो गईं और बेड पर बैठ गईं.
वे मेरा लंड चूसने लगीं.
थोड़ी देर चूसने के बाद मेरा लंड खड़ा हो गया.
मैंने कहा- अब मैं तुम्हारी प्यास भी बुझा देता हूं.
वे लेट गईं और मैं उनके ऊपर चढ़ कर उनकी जांघों के बीच बैठकर अपना लंड उनके चुत में पेलने लगा.
उनकी चूत इतनी गीली होने के बावजूद भी बहुत टाइट थी.
मेरा आधा लंड गया था कि उनकी चीखें निकलने लगीं.
भाभी ने कहा- निकालो इसे, बहुत दर्द हो रहा है.
वे मादक सिसकारियां भरती हुई चीखने लगीं- आह … आह … आह … मर गई साले मादरचोद … आह लंड निकाल बहन के लौड़े आह अपने हथौड़े को मेरी चूत से बाहर कर कमीने साले मेरी चुत को क्या रंडी का भोसड़ा समझा है जो अन्दर डालता जा रहा है!
मैंने उनकी किसी बात पर ध्यान नहीं दिया और जोरदार झटका लगा दिया.
मैंने अपना पूरा लंड उनकी चूत में घुसेड़ दिया और इसके पहले कि वे चिल्लातीं, मैंने उनके होंठों को अपने होंठों से बंद कर दिया और उन्हें चूमने लगा.
वे दर्द से कराह रही थीं और उनकी आंखों से आंसू निकल रहे थे.
मेरे चूमने से उनका दर्द थोड़ा कम हुआ, तो भाभी अपनी गांड उठा कर आगे पीछे करने लगीं.
मैं समझ गया कि अब वे चुदने को तैयार हैं, इसलिए मैंने बिस्तर पर अपने हाथों को टिकाया और लंड को आगे पीछे करने लगा.
सुरभि भाभी के मुँह से आह … आह की आवाज निकल रही थी.
जैसे जैसे मैं अपनी रफ़्तार बढ़ाता, उनकी आवाज और तेज होती गई.
पूरे कमरे में भाभी के चीखने की आवाजें सुनाई दे रही थीं.
साथ साथ जब मैं अपना लंड अन्दर बाहर करता, तब कुछ कुछ की आवाज आती थी, जिससे मेरे अन्दर और जोश आ जाता.
दोस्तो, हॉट भाभी सेक्स प्ले कहानी आपको कैसी लग रही है, प्लीज जरूर बताएं.
अभी चुदाई की कहानी का काफी सारा रस आना बाकी है.
प्लीज मेरे साथ सेक्स कहानी से जुड़े रहें.
हॉट भाभी सेक्स प्ले कहानी का अगला भाग: