Latest Hindi Sex Stories added for who looking to read Hot Padosan Xxx Kahani – सेक्सी भाभी को खड़ा लंड दिखाकर पटाया to make every night hot about Hot Padosan Xxx Kahani – सेक्सी भाभी को खड़ा लंड दिखाकर पटाया story.
Story Start Here :
हॉट पड़ोसन Xxx कहानी में मैं पड़ोस की सेक्सी भाभी को रोज कपड़े फैलाते देखता था. एक दिन मैं उन्हें देखकर लंड सहलाने लगा. वे देख कर मुस्कुरा दी.
मेरा नाम किंगशुक है.
आज मैं 28 साल का हूं. मेरा जिस्म खास कर छाती बहुत चौड़ी है और जिस्म गठीला है.
ये हॉट पड़ोसन Xxx कहानी आज से दो साल पहले की है, जब मैंने नई नौकरी करनी शुरू की थी.
आज मैं 28 साल का हूं. मेरा जिस्म खास कर छाती बहुत चौड़ी है और जिस्म गठीला है.
कोई अधेड़ उम्र की महिला हो या कमसिन लड़की … मेरी बांहों में आकर बहुत सुकून महसूस करती है.
वह अपने पेट के नीचे खुजली होने पर मेरे खड़े लंड पर अपनी चुत को रगड़ कर चैन भी पा लेती है.
मैं हर रोज दफ्तर जाने से पहले नहा कर कपड़े सुखाने छत पर जाता था और नीचे आकर तैयार होकर दफ्तर चला जाता था.
हॉट पड़ोसन Xxx कहानी यों शुरू हुई कि एक दिन यूं ही मैं छत पर गया, तो देखा कि मेरे आगे वाले घर की छत पर एक महिला अपने धुले हुए कपड़े पसार रही थी.
उसकी उम्र 34 साल की रही होगी, उसके बाल पूरे खुले थे, जो उसकी गांड तक लहरा रहे थे.
उस वक्त वह मेरी ओर पीठ करके खड़ी थी और अपना काम कर रही थी.
उसका जिस्म 34-30-36 का बेहद ही सुडौल था.
मेरी तो जैसे समझो ऊपर और नीचे दोनों जगह से लार टपक गई. मैं उसे बस एकटक देखता रहा.
पता नहीं कैसे उसे खबर लगी और अचानक से वह पलटी.
उसने मुझे लंड को सहलाते हुए देख लिया.
मेरा लंड 6 इंच लंबा है, तो वह मेरी पैंट में से फूला हुआ दिखने लगा था.
उसने अपनी साड़ी ठीक की और मुझे गुस्से से घूर कर देखा.
डर और शर्म के मारे मेरी बुरी हालत हो गई थी और मैं अगले ही पल पलट कर नीचे आ गया.
उसके बाद मैं दिन भर सोचता रहा कि वह भाभी मेरे बारे क्या सोच रही होगी!
अगले दिन मैं नहा कर कपड़े पसारने पुनः अपनी छत पर गया, तो देखा आज भाभी पहले से ही वहाँ मौजूद थी और अपने धुले हुए गीले कपड़े सूखने डालने के लिए पसार रही थी.
वह स्लीव लैस ब्लाउज पहनी हुई थी, जिसकी वजह से उसके बांए कंधे पर छोटा सा पैदाइशी दाग दिख रहा था, जो उसे और भी कामुक बना रहा था.
उसके बाल पूरे गीले थे क्योंकि वह भी नहा कर आई थी.
पानी के कुछ छींटें उसकी नाभि पर सरकते हुए बह रहे थे, उसकी नाभि पूर्ण रूप से गोल थी और गहरी भी.
आज भी उसने मुझे घूरते हुए पकड़ लिया, पर आज उसने मुझे गुस्से से नहीं देखा बल्कि पीछे के बाल पकड़ कर आगे की ओर कर लिए और एक मिठास भरी मुस्कान उसके लबों पर चमक उठी.
उसे खबर थी कि मैं उसका दीवाना हो चुका हूँ, बस पहल करनी बाकी थी.
उसकी वह खुली पीठ वाले ब्लाउज को देख कर अनायास ही मेरे पैंट में तंबू बन गया.
तंबू का बनना था कि भाभी की नजरें उसी पहाड़ी पर टिक गईं.
उसने इशारे से पूछा- क्या हुआ?
तो मैंने बताया कि उसकी पीठ पर एक छोटा सा पत्ता चिपका हुआ है!
उसने इशारे से ही कहा- तुम निकाल दो!
इस तरह इशारे इशारे से हमने फोन नम्बर आपस में ले दे लिए और हमारी बातें होने लगीं.
हम अब काफी अच्छे दोस्त हो गए थे, हमारे बीच हर तरह की बातें होने लगी थीं.
जब उनका पति घर पर नहीं होता, तो वह मुझे फ़ोन करती. हम दोनों एक दूसरे की पसंद नापसंद पर बात करते.
अब जब भी मैं छत पर जाता तो वह जानबूझ कर साड़ी को अपनी नाभि से हटा देती.
बस मेरी जीभ की लाली उसकी नाभि को गहराई तक लबालब कर देना चाहती थी.
यह देख कर वह भी कामुक नजर से मुझे देख कर अपने होंठों को दांतों तले दबा कर एक प्यारी सी मुस्कान फेंक कर नीचे चली जाती.
एक दिन फोन पर बात करते करते मैंने अपनी इच्छा जाहिर कर दी कि भाभी मैं आपको प्यार करना चाहता हूँ, आपको अपनी बांहों में लेकर बेतहाशा चूमना चाहता हूँ.
एक बार के लिए तो वह चुप हो गई.
फिर उसने हँसते हुए कहा- देखूंगी.
हम दोनों के दिन यूं ही कटते गए.
एक बार उसके सारे परिवार को गांव जाना हुआ, उधर किसी रिश्तेदार की शादी के लिए जाना हुआ था.
मगर उसने अपने बदन में दर्द का बहाना बना दिया.
भाभी के पति, बच्चे, सास ससुर सब लोग चले गए और वह मुझे अपने प्यार का तोहफा देने के लिए रूक गई.
उसने यह सब कुछ मुझे फोन पर बताया और रात में आने का निमंत्रण दे दिया.
उसने मेरे लिए मन पसंद पकवान बनाए और हम लोग हंसी मजाक करने लगे.
हम दोनों सोफे पर बैठे थे. उस वक्त गर्मी का मौसम था और उनके घर का एसी खराब हो गया था.
उसने अपना आंचल गिरा दिया कि फैन की हवा ही आती रहे.
वह बात कर रही थी और मैं उसकी जांघ सहला रहा था.
मेरी उंगली धीरे धीरे भाभी की नाभि की ओर बढ़ने लगी तो उसने मेरा हाथ हटा दिया.
वह बोली- अभी नहीं किंगशुक थोड़ी देर बाद!
मुझे ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूचियों की मस्त गोलाई दिख रही थी और मैं खुद को रोक नहीं पा रहा था.
मैं बताना भूल गया, भाभी का नाम सरला था.
मैंने कहा- सरला भाभी, अभी नहीं तो और कब!
यह कह कर मैंने उसको खुली कमर से पकड़ कर अपने ऊपर गिरा लिया.
मैंने सरला भाभी के गले और कंधों पर अनगिनत चुबन की बरसात कर दी.
उनके ब्लाउज के पीछे की दोनों डोरियों को खोल दिया और पूरी नंगी पीठ पर हाथ चलाने लगा.
मैं अपने हाथ को पूरी कमर पर चलाते हुए कमर के निचले हिस्से तक ले जाता और सहलाते हुए वापस से उसकी पीठ पर ले आता.
अब उसके कान की लौ को भी मैं काटने लगा था.
सरला भाभी कहने लगी- आह किंगशुक … मुझे इतना मजबूर मत करो कि मैं बदनाम हो जाऊं.
मेरा हाथ भाभी की खुली चूची की गोलाई को नापते हुए निप्पल पर चिकोटी ले रहा था.
मैं कहने लगा- भाभी ये मेरा और आपका सीक्रेट रहेगा. न आप किसी से जिक्र करोगी … और ना मैं किसी को इस प्यार की खबर दूंगा.
मेरे जितने भी प्रेम संबंध रहे हैं दोस्तो, वे सारी महिलाएं एक ही चीज का दीवानी रही हैं कि मैं गुमनाम रिश्ते गुप्त रखने में माहिर हूं.
भाभी जी ये बात जान कर काफी खुश हो गईं.
मैं उनकी चूचियों को दबाने लगा और इसी बीच हमारे होंठ कब आपस में जुड़ गए, इसका अहसास तक न हुआ.
मैं भाभी के होंठों को चूसता हुआ बारी बारी से उनकी दोनों चूचियों को मस्ती से दबाने लगा.
कुछ मिनट तक हम लोग एक दूसरे के होंठ चूसते रहे.
भाभी ने मेरी टी-शर्ट उतार दी और मेरे सीने पर चूमने लगीं.
मेरे कानों को काटने के साथ भाभी अपने दूध मेरे हाथ में देने की कोशिश कर रही थी. मैं भी उसकी एक चूची को भरपूर मजे के साथ दबा रहा था.
वह ऊऊह ऊऊह करती हुई कामुक सिसकारियां ले रही थी.
मेरे जिस्म में जैसे करंट दौड़ रहा था और मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया था.
मैं अब बस अपनी सुई भाभी के धागे में पिरो देना चाहता था.
मैंने भाभी को पलट दिया और अपनी पैंट को निकाल दिया.
मैं अपना खड़ा लंड भाभी के मुँह के सामने ले गया, तो वह बिना किसी हिचकिचाहट के मेरे लौड़े के सुपारे को चाटने लगी.
जल्दी ही भाभी मेरे लंड को अपने गले के अंतिम छोर तक उतार रही थी. फिर बाहर निकालती हुई लौड़े को जीभ से चाट कर वापस गले तक ले रही थी.
मेरा वीर्य छूटने वाला था, तो मैंने अपने लंड को खींच कर बाहर निकाल लिया और उसके नीचे आ गया.
मैंने उसके पैर की उंगली को मुँह में भर लिया और चूसने लगा.
भाभी की बड़ी उंगली को मैं चाट रहा था, तो वह मादक आहें भर रही थी.
मैं उसके पैर को चूमते हुए उनकी मोटी गोल जांघ पर चुम्मा देता रहा. भाभी की साड़ी और साया कमर तक उठ गई थी.
मैंने उसकी जांघों को चाट चूस कर लाल कर दिया. मैंने भाभी की जांघों पर प्यार के अनगिनत निशान बना दिए.
भाभी का पति एक हफ्ते तक नहीं आने वाला था तो कोई डर भी नहीं था.
भाभी बला की खूबसूरत लग रही थी.
जैसे ही मैंने उसकी दोनों जांघों को खोला, उसकी गर्म दहकती चुत जैसे आग और पानी दोनों उगल रही थी.
मेरी जीभ जैसे बिना इजाजत के ही उसकी चुत के गर्म रस का पान करने नीचे चली गई.
मेरी जीभ मानो उस सुलगते गुलाबी गुफा से बहने वाले झरने में स्नान करने लगी थी.
मैं सरला भाभी की कमर को पकड़ कर उसकी चूत की पंखुड़ियों को चूसता, तो कभी गहराई तक जीभ अन्दर डाल कर चूसने लगता.
भाभी बिन पानी मछली की तरह तड़फने लगी थी और उसने बिस्तर की चादर को खींच कर तार तार कर दिया था.
मैं नीचे से ऊपर तक उसकी चूत को चाटता रहा, चूसता रहा.
अब मैं धीरे धीरे चूमते हुए ऊपर उठने लगा और उसकी नाभि में चुम्मी ले ली.
भाभी ने मेरे बाल खींच कर पकड़े और बोली- किंगशुक अब रहा नहीं जाता, आ जा ना मेरे अन्दर … तेरे भईया इतना सुख नहीं देते.
मैंने कहा- हां भाभी उनका नाम किंगशुक जो नहीं है ना!
यह कह कर मैंने सरला भाभी को देखा तो उसने अपनी एक आंख दबाई और अपने होंठों को दांतों के बीच में दबा कर मुस्कुरा दी.
ये देख कर मेरा लंड और टाइट हो गया और उसकी चुत से जा लगा.
मैं भी काफी गर्म था.
मैं अब भाभी की चुत में अपने खड़े लंड को रगड़ रहा था और उसकी एक चूची को मुँह में लेकर खींचते हुए चूस रहा था.
मैंने नीचे हल्का सा दबाव बनाया तो मेरा मोटा सुपारा उसकी चूत में चला गया. भाभी की चूत टाइट थी.
उसने सुपारा लेते ही एक मीठी सिसकारी भरी- ऊऊहह किंगशुक इस बारे में प्लीज किसी को मत बताना … मैं मोहल्ले में बदनाम हो जाऊंगी, मुँह दिखाने के लायक नहीं रहूंगी!
मैंने कहा- मैं आपका यार हूँ ना भाभी, आप मुझ पर विश्वास कीजिए. मैं एक महिला की इज्जत की कदर करता हूँ भाभी.
ये कह कर मैंने एक धक्का लगाया, तो मेरा लंड आधा उसकी गीली चूत में उतरता चला गया और उसने मेरे एक कंधे पर दांत गड़ा दिए.
मैंने लंड को पीछे खींचा और पुनः एक जोरदार धक्का मारा.
इस बार मेरा पूरा लंड अन्दर चला गया.
वह ‘आआ मर गई आह ..’ करके सिसक उठी.
मैं अब अपने लौड़े को चुत में आगे पीछे करता चला गया.
हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूम रहे थे और इस प्राकृतिक मैथुन नृत्य में मदमस्त मग्न हो गए थे.
अब सरला भाभी भी नीचे से कमर चलाने लगी थी. उसे भी खूब मजा आ रहा था और उसके चहरे पर संतुष्टि के भाव आ गए थे.
मैंने कुछ देर बाद भाभी को डॉगी स्टाइल में आने को कहा.
यह मेरी सबसे पसंदीदा पोजीशन है. भाभी झट से कुतिया बन गई.
मैंने उसकी कमर को पकड़ा और अपना लोहा उसकी चूत के रास्ते पेट तक उतार दिया.
वह एक बार पुनः कलप उठी और कुछ ही पलों बाद अपनी लय में आ गई.
मैं अब तेजी से झटके मारने लगा था. भाभी तकिए को नोंच रही थी और नीचे की ओर धक्का दे रही थी.
कुछ देर बाद सरला भाभी कराह उठी- आह आह मेरे किंगशुक ये रात कभी खत्म न हो आह मेरे किंगशुक कभी खत्म ना हो!
मैं पीछे से अपना बांस सरीखा लंड भाभी की चूत में डाल निकाल रहा था, धक्के मारे जा रहा था.
उसकी पीठ, कंधे और कान को चूमे जा रहा था. मैं भाभी को घपाघप चोद रहा था और उसकी रसभरी चूचियों को दबा रहा था.
इस तरह से संभोग करते हुए हम दोनों करीब 25 मिनट हो गए थे.
अब मैं छूटने वाला था.
मैंने पूछा- कहां निकालूँ भाभी?
उसने कहा- परवाह नहीं … जिधर मर्जी हो निकाल दे … मैं पिल्स ले लूंगी.
मैंने भी अब उसकी कमर को पकड़ कर पूरा मूसल लंड अन्दर तक ठाँसा और अपने लंड का सारा माल उसके अन्दर ही गर्भाशय तक छोड़ दिया.
मुझे असीम सुख की प्राप्ति हुई.
मैं निढाल होकर उसे चूमते हुए अपनी बांहों में लेकर सो गया.
सुबह उठ कर मैं घर आ गया.
मैं फ्रेश होकर बैठा था, तब भाभी का मैसेज आया- कैसा लगा?
मैंने कहा- थैंक्स भाभी!
वह हंस दी.
मैंने कहा- अभी आ जाऊं?
वह बोली- हां बहुत आग लगी है.
मैं सबसे बचता बचाता उसके घर में घुस गया और धकापेल चुदाई की.
बार बार चुदाई … बार बार चुदाई मतलब दूसरे दिन सुबह ही वापस घर आया.
फिर जब भी उसके घर पर कोई नहीं होता, तो हम दोनों मजे करते.
मुझे ईमेल के जरिए बताइएगा जरूर कि हॉट पड़ोसन Xxx कहानी कैसी लगी.
कोई सवाल, अथवा कोई सुझाव के लिए मैं सदैव तत्पर हूं.
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