चुनमुनिया की गांड ( ४ ) : चित्रा बिटिया को भर पेट रौंदा


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पिछली कामुक कथा “चुनमुनिया की गांड३” में घुमाफिरा कर ही सही मगर लिली की सहेली चित्रा ने अपने कामुक विचार मेरे सामने उघाड़ दिए. हालांकि मैं पहले लिली की ही गांड मारना चाहता था और तत्पश्चात उससे कम उम्र की तीन छोरियों की, पर मौक़ाएवारदात के चलते मुझे उचित लगा कि अब तो चित्रा को ही निहायत बेशर्मी के साथ चोदा जाए.

चुनमुनिया की गांड४

जैसे ही चित्रा बिटिया रानी ने अपने कामुक विचार उघाड़ कर मेरे सामने रखे मैंने उसके शरीर को ध्यान से देखा. सोचा, ओह आज के शुभ दिन मेरे सामने एक कालेज में पढने वाली छोकरी है जो अवसर केअनुसार निर्लज्ज, बेशरम हो सकती है, तो क्यों नही इसकी कामुक काया को लंड झटका देदे कर छोरी का उद्धार किया जाय. इस विचार के साथ ही मैनें उसे अश्लील इशारा कर दिया, बिटिया चित्रा रानी को आँख मार कर. फिर तबीयत से बोला – “आ बेटी, आजा आजा, अपने प्यारे कामुक अंकल की गोद में चढ़; चढ़ बेटा!!!”

मैनें आज एक तहमद पहन लिया था और उसके भीतर कुछ नहीं पहना था. चित्रा बिटिया भी एक झीने मिनी स्कर्ट में थी पर उसने भीतर पेंटी पहन रखी थी. जैसे ही वो मेरी गोद में बैठी मुझे अंदाज हो गया कि छोरी की गांड उसकी उम्र को देखते काफी मोटीतगड़ी है; मम्मे भी मोटे ताज़े, ओह, बहुत मस्त कलंदर माल था उसका. गरमगरम मांस, आह.

मैं उसके गालों को चूमनेचाटने लगा, उससे पहले मैंने उसके धुर गुलाबी गालों को दबादबा कर चुटकी काटी. अब चुम्बन शुरू. वो भी तालठोक कर जवाब दे रही थी. ओठ से ओठ और जीभ से जीभ भिड़ गए थे. जी भर चुम्मी लेने के बाद मैंने उसके एक गाल को दांत लगा हलके से काट खाया. क्या स्वाद था मेरी बेटी का.

मैंने उसे गोद में बिठाए हुए ही कुछ ऊपर खिसकाया और इस क्रिया में उसका स्कर्ट और अपना तहमद उतार लिया. अब वो सिर्फ पेंटी में थी क्योंकि उसके टॉप्स व ब्रा पहले ही मैंने निकल डाले थे. मैं धीमेधीमे उसके गोलगोल मांसल मम्मों को रगड़ने लगा, मींजने लगा, एक मीठी “आह” उसके मुंह से निकली.

मेरा नंगा लंड उसकी पतलीझीनी पेंटी पर फिसल रहा था. गरमगरम मांस था उसकी गांड का. मैंने उसकी कमर पकड़ राखी थी, नीचे से ढाका लगाया तो मेरा लौड़ा पेंटी से चिपक गया था. मुझे महसूस हुआ कि चित्रा की गांड की दरार संकरी है. सहसा उसने खुद ही पेंटी नीच खिसका दी, मैं चक कर बोला, “बेटी, तू तो बड़ी समझदार है. वह बोली – जी अंकल, मुझे तहे दिल से पता है कि आप क्या चाहते हो. आप मेरी गांड मारना चाहते हो ना?”

चित्रा की गांड का मज़ा लिया / खेल गांड के कुत्सित मज़े का

मैंने कहा, बेटी – टू एक काम कर. मेरी गान्द्सहला और समझ ले कि मेरी उम्र के मर्द को कैसे मज़ा दिया जाता है. ओह, वो तो पहले ही समझदार थी. वो मेरे पीचेलग मेरी गंद सहलाने लगी. फिर चूमने लगी, मैंने फुसफुसा कर इशारा किया तो उसकी जीभ मेरी गांड के छेद में घुस गई. फिर उसने मेरा लंड अपने मुंह में भरा. इस के बाद मैनें भी उसकी गांड के छेद को चूँसा, उसकी प्यारी गांड में अंगुल कीई, बारबार. फिर लगभग डेढ़ घंटे तक लगातार उसकी गांड मारी.

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